–सरना दल के दावे ने बदले सियासी समीकरण, गरमाई राजनीति
–गुरुद्वारा कमेटी में बहुमत अकाली दल को, पर दावा सरना दल का
-सभी दलों ने सरना को दिया समर्थन, सीटों की संख्या पहुंची 20
–सिरसा का पलटवार, सदस्यों को खरीदने के लिए सरना दे रहे हैं लालच
–अकाली सदस्यों का दावा, 4 से 5 करोड़ का दिया जा रहा है लालच
नई दिल्ली /अदिति सिंह : दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (DSGMC) के आम चुनाव होने के बाद अब कमेटी में सत्ता हासिल करने के लिए जोड़-तोड़ शुरू हो गई है। विपक्षी दल के एक दावे ने दिल्ली के सियासी समीकरण बदल दिए हैं। इसको लेकर पूरी सिख सियासत गरमा गई है। हालांकि, शिरोमणि अकाली दल (बादल) ने 27 सीटें जीती हैं, और मनजिंदर सिंह सिरसा चुनाव हारने के बावजूद शिरोमणि कमेटी से नामजद सदस्य बन गए हैं। जिसके बाद बादल दल का आंकड़ा 28 पर पहुंच गया है। हांलाकि 1 सीट कोआप्शन के जरिये भी बादल दल को मिलनी तय है। 16 सदस्यों पर एक सीट कोआप्प्शन की मिल जाती है। वहीं दूसरी तरफ शिरोमणि अकाली दल (दिल्ली) के अध्यक्ष परमजीत सिंह सरना ने मीडिया से बातचीत करते हुए सीधा संकेत दिया कि उनकी पार्टी भी कमेटी में सत्ता लेने के लिए प्रयास कर रही है। लिहाजा, उनकी पार्टी भी अपना अध्यक्ष बना सकती है।
उन्होंने अपने गठबंधन साथियों के साथ 16सीटेें जीती हैं। साथ ही 3 सीटों पर जीते जागो पार्टी के अध्यक्ष मंजीत सिंह जीके ने सरना को समर्थन दे दिया है। इस हिसाब से सरना दल की सीटें बढ़कर 19 हो गई हैं। कोआप्शन की 1 सीट भी उन्हें मिल सकती है। हालांकि, लॉटरी से निकलने वाले सिंह सभाओं के अध्यक्ष (2 सीट) किसके साथ जाएंगे, ये अभी नहीं पता है। इन सबके बीच सिरसा ने आज हैरानी जनक दावा किया कि सरना के द्वारा उनके जीते हुए कमेटी मेंम्बरों से संपर्क किया जा रहा है। साथ ही उन्हें वफादारी बदलने के बदले लालच दिए जा रहे हैं।
यह भी पढें…DSGMC: दिल्ली गुरुद्वारा कमेटी पर अकाली दल का कब्जा बरकरार, हारे मनजिंदर सिरसा
इस मौके पर मीडिया के सामने अपने जीते हुए सदस्यों की परेड भी कराई। सिरसा ने दावा किया कि उनका कोई भी सदस्य परमजीत सिंह सरना के हाथों नहीं बिकेगा। इस मौके पर बादल दल के कुछ सदस्यों ने दावा किया कि उन्हें वफादारी बदलने के बदले 4 से 5 करोड़ रूपये की पेशकश की जा रही है। उन्होंने इसके लिए सीधे सरना दल पर आरोप भी लगाए हैं। एक-एक सदस्यों ने मीडिया के समक्ष बादल दल के साथ अपनी वफादारी कायम रखने का भरोसा दिया।
इससे साफ लग रहा है कि आने वाले समय में सदस्यों की वफादारी की बोली लगेगी और कोई भी पार्टी उसकी कीमत चुकाकर सत्ता प्राप्त कर सकती है। हालांकि, सिरसा ने भी दावा किया कि सरना के 7 सदस्य उनके संपर्क में हैं।
बता दें कि दिल्ली कमेटी में सदस्यों की वफादारी बदलने एवं खरीदने का पुराना इतिहास रहा है। दिल्ली गुरुद्वारा कमेटी में सदस्यों के दल बदल कानून लागू नहीं है। इसलिए जीते हुए सदस्य अपने भविष्य और रसूख को देखकर पाला बदलते रहे हैं। ये हर चुनाव में होता रहा है।