—आयुष मंत्रालय ने कहा—काढ़ा लीवर को खराब नहीं करता है
—काढे को चल रही खबरों को भी किया खारिज
नयी दिल्ली /टीम डिजिटल : कोविड-19 के संक्रमण से बचाव के लिए आप खूब जमकर पीयें काढा, उससे कोई दिक्कत या परेशानी आपको नहीं होने वाली है। भारत सरकार के आयुष मंत्रालय ने उन खबरों को भी खारिज कर दिया है जिसमें कहा जा रहा था कि लंबे समय तक काढ़े के सेवन से लीवर खराब हो जाता है। इन खबरों से काढ़े के प्रति लोगों के मन में एक संदेह उपजने लगा है लेकिन आयुष मंत्रालय ने इन खबरों को आधारहीन बताया है। साथ ही कहा कि इस बात का कोई प्रमाण नहीं है कि काढ़े के सेवन से लीवर खराब होता है।
आयुष मंत्रालय के सचिव वैद्य राजेश कोटेचा ने आयोजित स्वास्थ्य मंत्रालय की नियमित प्रेस ब्रींफिग में कहा कि काढ़ा जिन चीजों से बनता है, वे सब अलग -अलग प्रकार के वायरस के रोधी हैं। कोविड-19 को लेकर अभी अध्ययन जारी है इसलिए इस बात का कोई पुख्ता प्रमाण नहीं है कि कोरोना मरीजों पर काढ़े का क्या असर है। काढ़ा हालांकि, श्वसन प्रणाली पर बहुत सकारात्मक प्रभाव डालता है। यह गलत धारणा है कि काढ़ा लीवर खराब करता है। इस बात का कोई प्रमाण नहीं है कि काढ़े से लीवर खराब होता है।
उन्होंने कहा, काढ़े के अंदर चार चीजें होती हैं। दालचीनी, तुलसी, कालीमिर्च और सोंठ। ये चारों चीजें घर में मसालों के रूप में भी प्रयोग की जाती हैं। किसी व्यक्ति की अगर तासीर गर्म हो तो वह काढ़े के साथ गुड़, मिश्री या मुनक्का डाल के लें तो ठीक रहेगा। यह धारणा गलत है कि काढ़े से लीवर खराब होगा।
कोरोना : अश्वगंधा,लौंग और गिलोय जैसे आयुर्वेदिक औषधियां कारगर
केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने कोरोना वायरस कोविड-19 के प्रबंधन के लिए आयुर्वेद और योग पर आधारित राष्ट्रीय चिकित्सकीय प्रबंधन प्रोटोकॉल जारी किया। डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि चिकित्सकीय अध्ययनों से इस बात की पुष्टि हुई है कि कोरोना वायरस से बचाव में अश्वगंधा,लौंग और गिलोय जैसे आयुर्वेदिक औषधियां काम आती हैं। राष्ट्रीय चिकित्सकीय प्रबंधन प्रोटोकॉल को भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद और सीएसआईआर के अनुसार अद्यतन किया गया है। इसमें कोविड-19 के बचाव के लिए स्वयं की देखभाल संबंध दिशानिर्देश हैं। प्रोटोकॉल में कहा गया है कि कोविड-19 से बचाव के लिए शारीरिक दूरी,श्वसन संबंधी सफाई और हाथों की स्वच्छता के अलावा मास्क पहनना जरूरी है। इसके साथ ही एक चुटकी हल्दी और नमक को गर्म पानी में डालकर गरारे कराने चाहिए। त्रिफला को पानी में उबालकर पानी में यष्टीमधु यानी मुलेठी को भी उबालकर उस पानी से गरारे किये जा सकते हैं।
अणु तेल या शादबिंदु तेल या तिल का तेल या नारियल का तेल की बूंदें नाक में डाली जा सकती हैं। इनके अलावा गाय के घी को भी दिन में एक या दाे बार नाक में डालना चाहिए, खासकर जब घर से बाहर जाना हो और बाहर से घर लौटे हों। यूकेलिप्टस के तेल, अजवायन या पुदीने को पानी में डालकर दिन में एक बार भाप लेना चाहिए। कम से छह से आठ घंटे की भरपूर नींद लेनी चाहिए। व्यायाम करना चाहिए और योग प्रोटोकॉल का पालन करना चाहिए।