नई दिल्ली/ टीम डिजिटल : सिख इतिहास में सबसे बड़ी व लासानी शहादत में से एक के प्रतीक गुरु गोबिंद सिंह जी के छोटे साहिबज़ादे। छोटे साहिबजादे बाबा जोरावर सिंह उम्र 9 साल थी और बाबा फतेह सिंह जिनकी उम्र केवल 7 साल थी। साहिबज़ादों के शहीदी स्थान गुरद्वारा पंजाब के फतेहगढ़ साहिब पर देश व विदेश से लाखों की तादात में श्रद्धालु श्रद्धा सहित टेकते है माथा। छोटे साहिबज़ादों को क्रूर मुग़ल सशकों द्वारा अपना धर्म न परिवर्तन करने पर ज़िंदा निहों में चिनवा दिया गया था। इसी लासानी शहादत को याद करते हुए पंजाब के सरहिंद स्तिथ गुरद्वारा फतेहगढ़ साहिब पर शहीदी सप्ताह ‘शहीदी जोड़ मेल’ के रूप में मनाया जाता है। इस जोड़ मेल में देश दुनिया से आकर संगते माथा टेकते है और अलग अलग संस्थाए लंगर सेवा भी करती हैं। वहीं दिल्ली स्थित सामाजिक कार्य करने वाली संस्था ‘नानकशाही संसार फाउंडेशन’ भी फतेहगढ़ साहिब में आकर लंगर सेवा में लीन है।
—छोटे साहिबजादे बाबा जोरावर सिंह के शहीदी स्थान पर लगा ‘शहीदी जोड़ मेल’
—नानकशाही संसार फाउंडेशन ने की हर साल की तरह की लंगर सेवा
संस्था के संस्थापक बबेक सिंह माटा ने बताया कि साहिबज़ादों की यह शहादत ज़बर के खिलाफ सब्र का बहुत बड़ा प्रतीक है। माटा ने बताया कि उनकी संस्था पिछले लगभग 20 साल से दिल्ली से सरहिंद आकर लंगर सेवा कर रही है। माटा ने बताया कि उनकी संस्था की तरफ से सिख श्रद्धालुओं के लिए खास तौर पर सिले हुए मास्क भी बांटे गए। उन्होंने बताया कि यह मानवता का कार्य है जिस कार्य की शुरुवात गुरु नानक साहिब ने भूखे साधुओं के लंगर खिला कर की थी।