8.1 C
New Delhi
Friday, January 3, 2025

दिल्ली में रहने लायक नहीं, NCR में सांसों पर संकट, हवा बेहद खराब

नयी दिल्ली /खुशबू पाण्डेय। दिल्ली और उसके आसपास के शहरों में मंगलवार को धुंध छाई रही और लगातार चौथे दिन राष्ट्रीय राजधानी में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) बहुत खराब श्रेणी में दर्ज किया गया। पुणे स्थित भारतीय ऊष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान द्वारा विकसित संख्यात्मक मॉडल-आधारित प्रणाली के अनुसार, वर्तमान में शहर की खराब वायु गुणवत्ता में वाहन उत्सर्जन (11 प्रतिशत से 16 प्रतिशत) और पराली जलाने (सात प्रतिशत से 16 प्रतिशत) का सबसे ज्यादा योगदान है। इससे यह भी पता चलता है कि राजधानी के प्रदूषण में उत्तर प्रदेश के गौतम बुद्ध नगर के प्रदूषक तत्वों की हिस्सेदारी 14 फीसदी है। शहर का 24 घंटे का औसत एक्यूआई 359 दर्ज किया गया, जो इस मौसम में अब तक का सबसे अधिक एक्यूआई है। 24 घंटे का औसत एक्यूआई सोमवार को 347, रविवार को 325, शनिवार को 304 और शुक्रवार को 261, बृहस्पतिवार को 256, बुधवार को 243 और मंगलवार को 220 दर्ज किया गया था।हालात यह हो गई है कि अब दिल्ली एनसीआर में रहने लायक नहीं बचा है। लोगों को साफ हवा भी नहीं मिल रही है। इसके ​चलते लोग बीमारी से ग्रसित हो गए हैं।

-राजधानी व आसपास के शहरों में मंगलवार को धुंध छाई रही
-लगातार चौथे दिन राष्ट्रीय राजधानी में AQI  बहुत खराब श्रेणी में दर्ज किया गया

पड़ोसी गाजियाबाद में एक्यूआई 232, फरीदाबाद में 313, गुरुग्राम में 233, नोएडा में 313 और ग्रेटर नोएडा में 356 दर्ज किया गया। एक्यूआई शून्य से 50 के बीच ‘अच्छा’, 51 से 100 के बीच ‘संतोषजनक’, 101 से 200 के बीच ‘मध्यम’, 201 से 300 के बीच ‘खराब’, 301 से 400 के बीच ‘बहुत खराब’ और 401 से 500 के बीच ‘गंभीर’ माना जाता है। रात के समय हवा की गति धीमी होने और तापमान में गिरावट के कारण शनिवार को शहर की वायु गुणवत्ता बहुत खराब श्रेणी में पहुंच गई। दिल्ली के लिए केंद्र की वायु गुणवत्ता पूर्व चेतावनी प्रणाली के अनुसार, हवा की गुणवत्ता कुछ और दिन तक बहुत खराब रहने के आसार हैं। राजधानी की वायु गुणवत्ता अक्टूबर 2023 में पिछले दो वर्षों की तुलना में सबसे खराब रही है और मौसम विज्ञानियों का मानना है कि बारिश की कमी इसका मुख्य कारण है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के आंकड़ों के अनुसार राजधानी में इस साल अक्टूबर में औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक 210 दर्ज किया गया, जबकि पिछले साल अक्टूबर में यह 210 और अक्टूबर 2021 में एक्यूआई 173 था। दिल्ली में अक्टूबर 2023 में केवल एक दिन (5.4 मिमी वर्षा) हुई, जबकि अक्टूबर 2022 में छह दिन (129 मिमी) और अक्टूबर 2021 में सात दिन (123 मिमी) बारिश हुई थी। केंद्र के वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) ने कहा कि अक्टूबर 2023 के दौरान हवा की औसत गति अपेक्षाकृत कम थी और इस दौरान हवा की स्थिति बिल्कुल ‘स्थिर’ देखी गई। केंद्र के वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) द्वारा जारी निर्देश के अनुसार, एक नवंबर से दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में आने वाले हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान के शहरों और कस्बों के बीच केवल इलेक्ट्रिक, सीएनजी और बीएस6-श्रेणी वाली डीजल बसों को ही संचालित करने की अनुमति दी जाएगी। प्रदूषण के स्तर को कम करने की कोशिश के तहत केंद्र ने अप्रैल 2020 में घोषणा की थी कि भारत में बेचे जाने वाले सभी वाहनों को भारत स्टेज-6 (बीएस6) उत्सर्जन मानकों के अनुरूप होना चाहिए।

राजधानी में 15 नवंबर तक प्रदूषण चरम पर

दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) के एक विश्लेषण के अनुसार, राजधानी में एक नवंबर से 15 नवंबर तक प्रदूषण चरम पर होता है, क्योंकि इस समय पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने के मामले बढ़ जाते हैं। दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) द्वारा किए गए एक विश्लेषण के अनुसार, राजधानी में एक नवंबर से 15 नवंबर तक प्रदूषण का स्तर चरम पर होता है, जब पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने की घटनाओं की संख्या बढ़ जाती है। सीएक्यूएम के मुताबिक 15 सितंबर से 29 अक्टूबर के बीच की अवधि में दिल्ली, पंजाब, हरियाणा के अलावा राजस्थान तथा उत्तर प्रदेश के एनसीआर क्षेत्रों में खेत में पराली जलाने की संचयी संख्या 2022 की 13,964 से घटकर 2023 में 6,391 हो गई। पंजाब में इस साल 45 दिनों की इस अवधि के दौरान पराली जलाने की 5,254 घटनाएं हुईं, जबकि 2022 में 12,112 और 2021 में 9,001 ऐसी घटनाएं हुईं थीं।

हरियाणा में 45 दिनों में पराली जलाने के 1,094 मामले दर्ज

हरियाणा में इस साल 45 दिनों की अवधि के दौरान पराली जलाने के 1,094 मामले दर्ज किए गए, जो 2022 में 1,813 और 2021 में 2,413 से काफी कम हैं। पंजाब सरकार का लक्ष्य इस सर्दी के मौसम में पराली जलाने की घटनाओं को 50 प्रतिशत तक कम करना और छह जिलों में पराली जलाने की प्रथा को खत्म करना है। पिछले तीन वर्षों के नियम को ध्यान में रखते हुए, दिल्ली सरकार ने पिछले महीने शहर के भीतर पटाखों के निर्माण, भंडारण, बिक्री और उपयोग पर व्यापक प्रतिबंध की घोषणा की।

latest news

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Related Articles

epaper

Latest Articles