-DSGMC सदस्य गुरमीत शंटी ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को खिला पत्र
-दिल्ली के उपराज्यपाल, गुरुद्वारा चुनाव मंत्री, चुनाव निदेशालय से भी गुहार
–कमेटी के खातों की देखरेख एवं फंड के दुरुपयोग रोकने के लिए नियुक्त हो सरकारी अधिकारी
नई दिल्ली /टीम डिजिटल : दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (DSGMC) के पूर्व महासचिव गुरमीत सिंह शंटी ने आज यहां शुक्रवार को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को पत्र लिखकर दिल्ली कमेटी में तुरंत रिसीवर नियुक्त करने की मांग की है। शंटी ने पत्र में कहा कि मौजूदा पदाधिकारियों का कार्यकाल मार्च में ही खत्म हो चुका है। बावजूद इसके इस दौरान गुरुद्वारा फंड का दुरूपयोग अपने चुनावी फायदे के लिए कमेटी प्रबंधकों के द्वारा किया जा रहा है। लिहाजा, कमेटी के खातों की देखरेख एवं फंड के दुरुपयोग को रोकने के लिए दिल्ली सरकार की तरफ से रिसीवर या आब्र्जरवर नियुक्त किया जाए। इस व्यवस्था के होने से पारदर्शिता बनी रहेगी। शंटी ने चिटठी की प्रति दिल्ली के उपराज्यपाल, गुरुद्वारा चुनाव मंत्री एवं दिल्ली गुरुद्वारा चुनाव निदेशालय के निदेशक को भी भेजा है।
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को लिखे 4 पेज के पत्र में कमेटी के पूर्व महासचिव गुरमीत ङ्क्षसह शंटी ने कमेटी में व्याप्त भ्रष्टाचार का हवाला दिया है। शंटी के अनुसार 25 अप्रैल को कमेटी के आम चुनावों का समय निर्धारित हुआ था। लेकिन कोरोना महामारी के चलते हुए राजधानी दिल्ली में हुए लॉकडाउन के कारण आम चुनाव फिलहाल स्थगित हो चुके हैं। इस बीच कमेटी के मौजूदा पदाधिकारी और कार्यकारिणी सदस्य लगातार गुरुद्वारा फंड को गलत तरीके से इस्तेमाल कर रहे हैं। जिस बारे में दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा ने कमेटी अध्यक्ष के खिलाफ दो एफआईआर भी दर्ज की है। इसके अलावा कमेटी के फंड के दुरूपयोग किया गया है।
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शंटी ने मुख्यमंत्री केजरीवाल को बताया कि कर्मचारियों का भविष्य निधि उनके वेतन से काटने के बावजूद अभी तक जमा नहीं कराई गई है। जिसके लिए बाकायदा कमेटी प्रबंधकों को स्थानीय भविष निधि आयुक्त के द्वारा कारण बताओं नोटिस जारी हुआ है। इसके अलावा कई कर्मचारियों को ग्रेच्युटी का पैसा भी नहीं मिला है। जिसमें कमेटी में 33 साल काम कर चुके कई कर्मचारी शामिल है। शंटी ने मुख्यमंत्री को बताया कि कमेटी के अधीन चलते पांच सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में भी कमेटी अपने हिस्से का 5 फीसदी अंशदान देने में भी असफल रही है।
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इसके साथ ही कमेटी के खातों का आडिट राष्ट्रीय अखबारों में दिल्ली गुरुद्वारा एक्ट की धारा 29 के तहत प्रकाशित नहीं किया गया है। इन सब हालातों को देखते शंटी ने आशंका जताई कि गुरुद्वारा फंड का दुरूपयोग अपने चुनावी फायदे के लिए कमेटी प्रबंधकों के द्वारा किया जा रहा है। इसलिए कमेटी के खातों की देखरेख एवं फंड के दुरुपयोग को रोकने के लिए सरकार की तरफ से रिसीवर या आब्जर्बर नियुक्त करने की जरूरी हो गया है।