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Saturday, April 19, 2025

सिक्खी, सरदारी और पगड़ी की लाज रखना जरूरी

–दिल्ली गुरुद्वारा कमेटी ने मनाया गुरु गोबिंद सिंह का प्रकाश पर्व
–गुरू ने कौम के लिए पूरा वंश कुर्बान कर बख्शिश की सिक्खी : सिरसा
–दिल्ली के ऐतिहासिक गुरुद्वारों में संगतों ने मत्था टेका

(नीता बुधौलिया)

नई दिल्ली : दसवीं पातशाही श्री गुरु गोबिंद सिंह के प्रकाश पर्व के उपलक्ष्य में दिल्ली के अलग-अलग गुरुद्वारों में समागम आयोजित किये गये। मुख्य समागम गुरुद्वारा रकाबगंज साहिब के भाई लक्खीशाह वणजारा हॉल में हुआ। इस मौके पर कीर्तन समागम का आयोजन हुआ, जिसमें कीर्तनी जत्थों एवं कथावाचकों ने संगत को गुरबाणी सुनाकर निहाल किया। इस मौके पर हजारों संगतों ने दिल्ली के गुरुद्वारों में हाजिरी भरी।
इस मौके पर दिल्ली गुरुद्वारा कमेटी के अध्यक्ष मनजिंदर सिंह सिरसा ने संगत को प्रकाश पर्व की बधाई दी। साथ ही कहा कि साहिब-ए-कमाल ने पूरा वंश देश के लिए कुर्बान कर हमें सिक्खी बख्शी है। लिहाजा, सिक्खी पर कायम रहना हमारा पहला कर्तव्य है। दुनिया में ऐसी कोई और मिसाल नहीं मिलती जब एक पिता ने कौम वे देश की खातिर अपना परिवार कुर्बान कर दिया। उन्होंने कहा कि गुरु गोबिंद सिंह साहिब के छोटे साहिबजादों की शहादत जैसी भी दुनिया में कोई मिसाल नहीं मिलती।

सिक्खी, सरदारी और पगड़ी की लाज रखना जरूरी

ऐसे हालात में यह हम सब का फर्ज बनता है कि गुरु साहिब की बख्शी सिक्खी, सरदारी और पगड़ी की लाज रखने के लिए दिन रात सरगर्म हो कर काम करें। सिरसा ने कहा कि दुनिया भर में सिख कौम को सब से दिलेर, बहादुर व निम्रता धारण करने वाली कौम माना जाता है जो किसी के साथ ही धर्म, जाति व किसी भी आधार पर भेदभाव नहीं करती। उन्होंने कहा कि सिखों ने दुनिया के अलग-अलग कौने में जाकर अपनी मेहनत के बूते लोहा मनवाया है।

उन्होंने कहा कि आज सिक्खी पर सब से बड़ा संकट यह है कि हम अपने बच्चों को ही अपनी विरासत से परिचित नहीं करवा पा रहे। यह समय जब दुनिया की खोज सिद्ध करती है कि एक व्यक्ति रोजाना 3 से 5 घंटे सोशल मीडिया पर खर्च करता है तब दिल्ली कमेटी ने 2 से 5 मिनट की वीडियो सिख इतिहास पर बना कर सोशल मीडिया पर पोस्ट की हैं, जिन्हें सिर्फ पंजाबी ही नहीं बल्कि हिन्दी, तमिल, मराठी, तेलुगु, गुजराती सहित हर भाषा में डालने का प्रयास किया जा रहा है ताकि अलग-अलग भाषाओं को जानने वाले व्यक्ति भी हमारे गुरु साहिबान द्वारा इस देश को बचाने के लिए दी गई शहादत से परिचित हो सके।

सिरसा ने कहा कि आज संगत के लिए संभलने का समय है व सारी दुनिया को अपने महान शहीदी भरपूर इतिहास से परिचित करवाने का समय है। साहिब-ए-कमाल के प्रकाश पर्व जैसे पवित्र दिवस पर यह इतिहास लोगों से साझा करने का प्रण ही हमारी सब से बड़ी प्राप्ति होगी।

सिक्खी, सरदारी और पगड़ी की लाज रखना जरूरी

इस मौके पर दिल्ली कमेटी के महासचिव हरमीत सिंह कालका, सदस्य परमजीत सिंह चंडोक, जगदीप सिंह काहलों, सरबजीत सिंह विरक, हरजीत सिंह पप्पा, जतिंदर सिंह शंटी, ओंकार सिंह राजा, कुलदीप सिंह भोगल, रविंदर सिंह खुराणा व अन्य गणमान्य शख्सीयतों सहित भारी संख्या में संगत भी मौजूद रहीं।

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