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Friday, November 22, 2024

दिल्ली में अब 1 पेड़ काटेंगे तो बदले में लगाने होंगे 10 पौधे

—दिल्ली सरकार ने दी  ट्री ट्रांसप्लांटेशन पाॅलिसी को हरी झंडी
—80 प्रतिशत पेड़ ट्रांसप्लांट करने होंगे, रखनी होगी निगरानी, बनेगी कमेटी
—सरकार पेड़ों का ट्रांसप्लांटेशन करने वाली एजेंसी का एक पैनल बनाएगी
—अगर 80 प्रतिशत से कम पेड़ बचे, तो उसकी पेमेंट काट ली जाएगी

(गीतिका पाल) 
नई दिल्ली/ टीम डिजिटल : देश की राजधानी दिल्ली में अब एक पेड़ काटने के बदले 10 पौधे तो लगाने ही होंगे, इसके अतिरिक्त उसमें से 80 प्रतिशत पेड़ों का ट्रांसप्लांटेशन करना होगा। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की अध्यक्षता में हुई दिल्ली कैबिनेट की बैठक में कैबिनेट ने ट्री ट्रांसप्लांटेशन पाॅलिसी पास कर दी है। दिल्ली सरकार पेड़ों का ट्रांसप्लांटेशन करने वाली एजेंसी का एक पैनल बनाएगी और संबंधित विभाग इनमें से किसी एजेंसी से काम करा सकते हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि ट्रांसप्लांट किए गए पेड़ों में से 80 प्रतिशत से कम जीवित होने पर उस एजेंसी के भुगतान में कटौती की जाएगी और 80 प्रतिशत से ज्यादा जीवित होने पर पूरा भुगतान किया जाएगा। दिल्ली सरकार डेडीकेटेड ट्री ट्रांसप्लांटेशन सेल और स्थानीय कमेटी बना रही है। स्थानीय कमेटी ट्रांसप्लांट हुए पेड़ों की जांच और निगरानी करने के साथ सही ट्रांसप्लांटेशन होने पर प्रमाण पत्र देगी।

दिल्ली में अब 1 पेड़ काटेंगे तो बदले में लगाने होंगे 10 पौधे
सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली में बहुत घने पेड़ है, बहुत पुराने-पुराने पेड़ हैं, बहुत बड़े-बड़े पेड़ हैं, यह प्रकृति का आशीर्वाद है। दिल्ली बहुत पुराना शहर है, इसलिए यहां पहले के बहुत सारे पेड़ हैं। हमारी सरकार और दिल्ली वालों की यही कोशिश रहती है कि किसी भी पेड़ को किसी तरह का नुकसान नहीं होना चाहिए, लेकिन कई बार कोई बिल्डिंग बनानी पड़ती है, कोई विकास कार्य होता है, सड़क बनानी पड़ती है, अलग-अलग विकास कार्य के लिए कई बार पेड़ काटने की मजबूरी बन जाती है। अभी तक पॉलिसी यह थी कि अगर एक पेड़ कटेगा, तो उसके बदले क्षतिपूर्ति के तौर पर 10 पौधे लगाए जाएंगे। जिस पेड़ को काटा गया, वह पेड़ तो काफी बड़ा था, वह कई साल पुराना था, प्रकृति ने उसे कितना संजोकर इतना बड़ा बनाया था और हम सिर्फ छोटे-छोटे पौधे लगा देते हैं, इससे बात तो नहीं बनती है। वो 10 पौधे पता नहीं कितने समय बाद बड़े होंगे। इसलिए आज हमने ट्री ट्रांसप्लांटेशन पॉलिसी पास की है।

दिल्ली पूरे देश में पहला प्रदेश है, जहां पर ट्री ट्रांसप्लांटेशन पॉलिसी

सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली पूरे देश में पहला प्रदेश है, जहां पर ट्री ट्रांसप्लांटेशन पॉलिसी पास की गई है। इसमें हमने कहा है कि एक पेड़ कटेगा तो क्षतिपूर्ति के तौर पर 10 पौधे तो लगाने ही लगाने हैं, उसके अतिरिक्त उस पेड़ को काटना नहीं है। आज विज्ञान इतनी तरक्की कर चुका है कि उस पेड़ को नीचे से खोदकर कर पूरे के पूरे पेड़ को उठा कर ट्रक में डाल कर दूसरी जगह आरोपित किया जा सकता है, दूसरी जगह लगाया जा सकता है, इसको ट्रांसप्लांटेशन कहते हैं। उस पेड़ को काटने की जरूरत नहीं है, बल्कि उसको नीचे से वैज्ञानिक तरीके से उखाड़ कर और केमिकल का इस्तेमाल करके ट्रक में डालकर उसको दूसरी जगह लगाया जाता है।

80 प्रतिशत पेड़ जीवित रहने चाहिए 

आज पाॅलिसी पास की गई है कि कहीं भी, किसी भी प्रोजेक्ट में जो पेड़ काटे जाएंगे, उसमें से कम से कम 80 प्रतिशत पर पेड़ ट्रांसप्लांटेशन किए जाएंगे और जो पेड़ ट्रांसप्लांटेशन किए गए हैं, उनका कम से कम 80 प्रतिशत जीवित रहने चाहिए, सिर्फ खानापूर्ति नहीं करनी है। ट्री ट्रांसप्लांटेशन के लिए जो भी एजेंसी दिल्ली सरकार से अनुमति लेगी, उसको यह सुनिश्चित करना होगा कि वह जितने पेड़ काटे गए हैं, उनमें से 80 प्रतिशत पेड़ों का ट्रांसप्लांटेशन करेगा और ट्रांसप्लांट किए गए पेड़ों में 80 प्रतिशत जीवित रहने चाहिए।सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली सरकार ऐसी एजेंसी, जो अच्छा ट्रांसप्लांटेशन करती हैं, राष्ट्रीय स्तर की एजेंसी है, उनका ट्रैक रिकॉर्ड अच्छा है और उनका अनुभव अच्छा है, ऐसी एजेंसी का एक पैनल बनाएगी और केंद्र सरकार या दिल्ली सरकार का विभाग पेड़ काटने या ट्रांसप्लांटेशन की अनुमति लेना चाहता है, वह इन पैनल की हुई एजेंसी में से किसी से भी वह काम करवा सकता हैं।

80 प्रतिशत से कम पेड़ बचे, तो उसकी पेमेंट काट ली जाएगी

ट्रांसप्लांट करने वाली एजेंसी का भुगतान तब की जाएगी, जब एक साल के बाद देखा जाएगा कि कितने दिन बचे। अगर 80 प्रतिशत से कम पेड़ बचे, तो उसकी पेमेंट काट ली जाएगी और अगर 80 प्रतिशत से ज्यादा पेड़ बचेंगे, तो उसको पूरा भुगतान किया जाएगा। उन्होंने बताया कि दिल्ली सरकार के तहत एक डेडीकेटेड ट्री ट्रांसप्लांटेशन सेल भी बना रहे हैं और लोकल कमेटी बनाई जाएगी, जिसमें सरकारी कर्मचारी, स्थानीय नागरिक और आरडब्ल्यूए के लोग शामिल होंगे। यह कमेटी ट्रांसप्लांट किए हुए पेड़ों की जांच करेगी और उसकी निगरानी करेगी। साथ ही कमेटी प्रमाण पत्र भी देगी कि ट्री ट्रांसप्लांटेशन सही हुआ है।

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