- डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर का 341 किलोमीटर का खण्ड होगा शुरू
- प्रधानमंत्री मोदी कर सकते हैं उद्घाटन, मेन रूट से मालगाड़ी होगी शिप्ट
- डीएफसी 40 प्रतिशत भाग मार्च तक खुल जाएगा
नई दिल्ली/टुंडला : भारतीय रेलवे के मुख्य रेल मार्ग नई दिल्ली से कोलकाता मार्ग पर इस महीने से रेलगाड़ियों की रफ्तार तेज हो जाएगी। इस रूट पर बन रहे डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर (पूर्वी मालवाहक गलियारा) का 341 किलोमीटर का पहला खंड शुरू होने जा रहा है। इसका उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कर सकते हैं। इसके बाद खुर्जा-भादन खंड पर वाणिज्यिक यातायात प्रारंभ हो जाएगा। डीएफसीसी के एमडी आरएन सिंह ने शुक्रवार को इस रेल मार्ग का विशेष मुआयना किया। वे वरिष्ठ अधिकारियों के साथ पूर्वी फ्रेट कॉरिडोर के इस 341 किमी लंबे खंड के एक प्रमुख हिस्से का का निरीक्षण करने के बाद पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे।
सिंह ने बताया कि हावड़, कोलकाता की ओर से आने वाली मालगाड़ियां कानपुर के नजदीक भाऊपुर से फ्रेट कॉरिडोर में प्रवेश करेंगी और खुर्जा तक इस पर चलने के बाद पुनः रेलवे के ट्रैक पर चली जाएंगी। इससे कई घण्टे का समय की बचत होगी। उन्होंने कहा कि फेज2 के तहत दिसंबर अंत में भाऊपुर से सुजातपुर तक यातायात खोला जाएगा। जबकि मार्च में पश्चिमी कॉरिडोर पर रेवाड़ी से पालनपुर के बीच 600 किमी लंबा सेक्शन खुल जाएगा। इससे मालगाड़ियां 15 घन्टे में एनसीआर से जेएनपीटी पहुंचने लगेंगी। अगले 3 साल में उत्तर प्रदेश के पूरे इलाके का स्वरूप बदल जायेगा। उन्होंने कहा कि कोविड-19 के कारण काम में 6 माह का विलंब हुआ लेकिन शीघ्र ही कवर कर लिया जाएगा।
बता दें कि डेडिकेटेड कॉरिडोर की कई बातें नई हैं। इसमें डबल डेकर मालगाड़ियों को 100 किमी की रफ्तार पर खींचने के लिए हर 80 किमी की दूरी पर 25×2 केवी ट्रैक्शन ट्रांसफार्मरों वाले सब-स्टेशन स्थापित किए गए हैं। डीएफसीसी के जीएम, इलेक्ट्रिकल, एके मौर्या के मुताबिक खुर्जा और भादन के बीच ऐसे 5 सब स्टेशन फ्रांसीसी कंपनी एल्सटॉम ने चीन से आयात कर लगाए हैं। अन्य सेक्शनों पर इस तरह के सब-स्टेशन बनाने का काम एल एन्ड टी जैसी कंपनियों को मिला है। जबकि पश्चिमी कॉरिडोर के सब-स्टेशन जापानी कंपनियों द्वारा तैयार किए जा रहे हैं।
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मौर्या के अनुसार नव स्थापित ट्रैक्शन ट्रांसफार्मर आम ट्रैक्शन ट्रांसफॉर्मर के मुकाबले कम करंट पर 50 गुना ज्यादा पावर देते हैं। पूरे पूर्वी कॉरिडोर पर लुधियाना से कोलकाता तक कुल 30 ऐसे स्टेशन बनने हैं। इसमें 3 फेज की बिजली को 2 फेज में कन्वर्ट करने की क्षमता भी है। इससे गाड़ी जल्दी के साथ ज्यादा स्पीड पर चलती है। पूर्वी कॉरिडोर के हर 80 किमी पर ऐसा एक सब स्टेशन स्थापित किया जा रहा है। एल्सटॉम के अलावा एल एन्ड टी जैसी अन्य कंपनियां भी कॉरिडोर पर ऐसे सब-स्टेशन स्थापित कर रही हैं।
ट्रांसफार्मरों के अलावा फ्रेट कॉरिडोर की कैंचियों (टर्न आउट्स) में पहली बार ऐसी तकनीक व उपकरणो का उपयोग किया गया है जिससे मालगाड़ियों को 55 किमी की रफ्तार पर भी आसानी से पटरी बदलकर मेन लाइन से लूप लाइन और लूप लाइन से वापस मेन लाइन में लाया जा सकता है। पूरे कॉरिडोर पर ऐसी 1500 टर्न आउट बनाए जा रहे हैं। यही नहीं, भारत में पहली बार रेलवे लाइन के नजदीकी गावों-कस्बों के लोगों को शोर से बचने के लिए लाइन के किनारे कंक्रीट के विशेष ध्वनिरोधी बैरियर लगाए गए हैं।
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डीएफसीसी के महाप्रबंधक, (परिचालन), वेदप्रकाश ने कहा हमारा लक्ष्य जून, 2022 तक कुल 3360 किमी लंबे पूर्वी और पश्चिमी फ्रेट कॉरिडोर के 2800 किमी हिस्से पर यातायात प्रारंभ कर देना है। जबकि पीपीपी मॉडल पर प्राइवेट कंपनियों की साझेदारी में निर्मित किए जाने वाले शेष हिस्से का निर्माण और यातायात परिचालन 2022-23 में चालू होने की उम्मीद है। पूर्वी कॉरिडोर 1856 किमी ( लुधियाना, पंजाब से डांकुनी, पश्चिम बंगाल तक) लंबा है। जबकि दादरी (उप्र) से जवाहरलाल नेहरू पोर्ट (मुंबई) तक फैले पश्चिमी कॉरिडोर की लंबाई 1504 किमी होगी। दोनों कॉरिडोर के निर्माण पर कुल 81,459 करोड़ की लागत आने का अनुमान है।
संपूर्ण 2800 किलोमीटर के मार्ग को जून 2022 तक पूरा होगा
भारतीय रेलवे के समर्पित मालवहन गलियारे (डीएफसी) के 40 प्रतिशत भाग को इसी वित्त वर्ष में यातायात के लिए खोल दिया जाएगा जबकि संपूर्ण 2800 किलोमीटर के मार्ग को जून 2022 तक पूरा कर लिया जाएगा। विश्व बैंक एवं जापान सरकार के वित्तीय सहयोग से बनाये जा रहे दोनों डीएफसी आने वाले दिनों में भारत को पांच ट्रिलियन (5000 अरब) डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। इसके लिए परिवहन नेटवर्क की संरचना को उसी गति से विकसित करने की आवश्यकता है। परिवहन अवसंरचना के विकास से उद्योगों, वाणिज्य, निर्यात-आयात संबंधी गतिविधियों में वृद्वि होने से एक महत्वपूर्ण परिवर्तन को दिशा प्रदान होगी।
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इस खंड में अभी तक 1200 से अधिक मालगाड़ियों का परीक्षण संचालन किया जा चुका है। कोलकाता-दिल्ली रूट पर भारतीय रेलवे एवं डीएफसी के बीच रिकार्ड 20 मालगाडि़यों के इंटरचेंज से सामान्य यातायात संचालन में सुविधा हुई। पूर्वी डीएफसी के 194 किमी. लंबाई वाले भदान-खुर्जा सेक्शन पर 9000 टन भार के साथ प्रथम लंबी एवं हैवी हॉल मालगाड़ियों का संचालन भी किया जा चुका है। पश्चिमी डीएफसी के 306 किलोमीटर लंबे नवनिर्मित रेवाड़ी मदार-सेक्शन पर भारतीय रेल की मालगाड़ियों का परीक्षण संचालन दिनांक 27 दिसंबर से जारी है जबकि पालनपुर-मदार के 333 किलोमीटर खंड का निर्माण तकरीबन पूरा हो चुका है।