नई दिल्ली /अदिति सिंह : संसद की एक समिति ने रेलवे की योजना का आकार तेजी से बढऩे लेकिन इस बाबत कोष का पूरा उपयोग नहीं हो पाने का जिक्र करते हुए सिफारिश की है कि रेलवे को उन संरचनात्मक सुधारों का पालन करना चाहिए जो उन्होंने पिछले वर्षों के दौरान शुरू किये हैं। समिति ने कहा कि इससे रेलवे नेटवर्क के अनुमानित विस्तार, उन्नयन और आधुनिकीकरण के लिए अधिकतम आवंटन का उपयोग किया जा सकेगा। लोकसभा सदस्य राधामोहन सिंह की अध्यक्षता वाली रेल संबंधी स्थायी समिति ने वित्त वर्ष 2022-23 के लिए अनुदानों की मांगों पर सोमवार को संसद में अपनी रिपोर्ट पेश की। साथ ही कहा कि 2022-23 के लिए रेल मंत्रालय की वाॢषक योजना 2,45,800 करोड़ रुपये आंकी गयी और इसमें 1,37,300 करोड़ रुपये की सकल बजटीय सहायता, 5,000 करोड़ रुपये के आंतरिक संसाधन और 1,01,500 करोड़ रुपये के अतिरिक्त बजटीय संसाधन, पीपीपी के माध्यम से जुटाई गयी 35,000 करोड़ रुपये की निधि और 35,500 करोड़ रुपये का संस्थागत वित्त शामिल है।
-रेलवे को संरचनात्मक सुधारों का पालन करना चाहिए :संसदीय समिति
-विस्तार और आधुनिकीकरण के लिए संरचनात्मक सुधार जरूरी
-संसदीय समिति ने लोकसभा में पेश की अपनी रिपोर्ट, की सिफारिश
इसमें निर्भया कोष के लिए 200 करोड़ रुपये भी शामिल हैं। समिति ने कहा कि इसका आकार पिछले वर्ष की योजना के आकार से 14.3 प्रतिशत अधिक है। उन्होंने कहा, समिति नोट करती है कि हर साल रेलवे की योजना का आकार तेजी से बढ़ रहा है लेकिन वे इसका उपयोग नहीं कर पा रहे हैं। इसलिए समिति सिफारिश करती है कि रेलवे को उन संरचनात्मक सुधारों का पालन करना चाहिए जो उन्होंने पिछले वर्षों के दौरान शुरू किये गये हैं, ताकि रेलवे नेटवर्क के अनुमानित विस्तार, उन्नयन और आधुनिकीकरण के लिए अधिकतम आवंटन का उपयोग किया जा सके। समिति ने आशा जताई कि रेलवे इस बढ़े हुए आवंटन का पूरा फायदा उठाएगा और क्षमता वृद्धि की गति को विवेकपूर्ण तरीके से तेज करेगा और परियोजनाओं को समयबद्ध तरीके से पूरा करेगा। समिति ने पिछले वर्षों में रेलवे द्वारा आंतरिक संसाधनों के सृजन में लगातार गिरावट पर ङ्क्षचता जताते हुए कहा कि इसके कारण बाजार से उधार पर निर्भरता अधिक हो गयी है जिसका दीर्घकाल में बड़ा प्रभाव पडऩे वाला है।