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Friday, November 22, 2024

मझधार में फंसी राजस्थान की कांग्रेस सरकार, संकट गहराया

— उपमुख्यमंत्री और राजस्थान कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलट खुलकर हुए बागी
—30 विधायकों के साथ उनके भारतीय जनता पार्टी में जाने की चर्चाएं
—कांग्रेस पार्टी ने हालात संभालने के लिए केंद्रीय नेताओं को जयपुर भेजा

नई दिल्ली /टीम डिजिटल : मध्य प्रदेश की तर्ज पर अब राजस्थान की डेढ़ साल पुरानी अशोक गहलोत सरकार पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (एसओजी) की नोटिस से नाराज उपमुख्यमंत्री और राजस्थान कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलट खुलकर बागी हो गए हैं। 30 विधायकों के साथ उनके भारतीय जनता पार्टी (BJP) में जाने की चर्चाएं जोर पकड़ रही हैं। राज्य में सियासी हालात कर्नाटक और मध्य प्रदेश वाला बनते दिख रहे हैं। कांग्रेस हाईकमान ने हालात संभालने के लिए प्रदेश प्रभारी महासचिव समेत दो केंद्रीय नेताओं को जयपुर के लिए रवाना कर दिया है।
सियासी गतिविधियों की दृष्टि से राजस्थान अब अगला कर्नाटक-मध्य प्रदेश बनता दिख रहा है। दांव लगा तो भाजपा यहां कांग्रेस के असंतुष्ट विधायकों को अपने साथ लेकर कभी भी गहलोत सरकार पलट सकती है।  राजस्थान कांग्रेस अध्यक्ष एवं उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट समेत कई विधायक अपनी सरकार से नाराज होकर बागी हो गए हैं। पायलट ने रविवार को खुलकर कहा कि उन्हें 30 विधायकों का समर्थन प्राप्त है और अशोक गहलोत सरकार अल्पमत में आ चुकी है। उनका इशारा राजस्थान में कांग्रेस के दो फाड़ होने की ओर है। सूत्र बता रहे हैं कि पायलट अपनी अलग पार्टी बनाने की ओर कदम बढ़ा रहे हैं। उन्होंने कहा कि कोई अपना घर छोड़ना नहीं चाहता, लेकिन ऐसी बेइज्जती बर्दाश्त नहीं करूंगा।

वे मुख्यमंत्री गहलोत की ओर से रविवार देर रात बुलाई गई विधायक दल की बैठक में भी नहीं गए। वहीं सूत्रों की माने तो अपने कुछ विधायकों के भाजपा नेताओं के संपर्क में होने की भनक मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को लग चुकी है। उन्होंने भाजपा पर उनकी सरकार गिराने की साजिश का आरोप लगाते हुए एसओजी को जांच सौंपी है। इसी मामले में पूछताछ के लिए एसओजी ने मुख्यमंत्री के साथ-साथ उपमुख्यमंत्री पायलट को भी नोटिस भेजा है। पायलट के करीबी सूत्रों ने कहा कि एसओजी के पत्र ने पायलट को परेशान कर दिया है। देर रात ही समर्थक विधायकों के साथ वे दिल्ली आ धमके हैं। उन्होंने कांग्रेस हाईकमान से मिलने का वक्त भी मांगा, लेकिन रविवार देर शाम तक जब उन्हें संतोषजनक जवाब नहीं मिला तो वे खुल कर बगावत पर उतर आए।
कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस हाईकमान ने हालात को संभालने के लिए राजस्थान प्रभारी महासचिव अविनाश पांडेय, अजय माकन और रणदीप सुरजेवाला को जयपुर के लिए रवाना कर दिया।

उधर, राजधानी जयपुर में राजस्व मंत्री हरीश चौधरी, श्रम मंत्री टीकाराम जूली, स्वास्थ्य मंत्री रघु शर्मा सहित कई विधायकों ने रविवार को मुख्यमंत्री गहलोत से मुलाकात की। इनमें कई निर्दलीय विधायक भी थे। गहलोत ने भी एक ट्वीट में पायलट का नाम लिखे बगैर जोर देकर कहा कि नोटिस कई लोगों को दिये गये है। उन्होंने कहा कि मीडिया के एक वर्ग ने नोटिस की गलत तरीके से व्याख्या की है। अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (एसओजी) अशोक राठौड़ ने बताया कि मुख्यमंत्री, उप-मुख्यमंत्री, सरकारी मुख्य सचेतक और कुछ अन्य विधायकों को नोटिस जारी किये हैं। यह प्रक्रिया का एक हिस्सा है। नोटिस जिन विधायकों को जारी किये गये है उनमें निर्दलीय बाबूलाल नागर भी शामिल हैं।
वहीं, सोशल मीडिया में चल रही चर्चाओं को लेकर सचिन पायलट के करीबी रोहित बोहरा समेत तीन विधायकों ने प्रेस कांफ्रेंस कर सफाई दी कि वे कांग्रेस के समर्पित सिपाही हैं और पार्टी के साथ हैं। उन्होंने कहा कि उनके भाजपा में जाने की उड़ाई जा रही खबरें आधारहीन और भ्रामक हैं। अशोक गहलोत को अपना नेता बताते हुए कहा कि कांग्रेस सरकार अपने पांच साल पूरे करेगी। इधर, राजस्थान कांग्रेस में चल रही खींचतान को लेकर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने ट्वीट कर पार्टी हाईकमान का ध्यान खींचते हुए कहा कि क्या हम तब जागेंगे, जब घोड़े अस्तबल से बाहर निकल जाएंगे। वहीं कांग्रेस छोड़ कर भाजपा में जा चुके मध्य प्रदेश के नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने ट्वीट कर दुख जताया कि उनके मित्र सचिन पायलट को राजस्थान में हाशिए पर डाल दिया गया है और मुख्यमंत्री द्वारा उन्हें प्रताड़ित किया जा रहा है। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि कांग्रेस में टैलेंट और क्षमता का कोई मूल्य नहीं बचा है। सूत्र बता रहे हैं कि सिंधिया ने पायलट से फोन पर बात भी की है।

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