नई दिल्ली/ खुशबू पाण्डेय। भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) दिल्ली के CM अरविंद केजरीवाल ( Arvind Kejriwal) के आवास के पुनर्निर्माण में कथित अनियमितताओं और नियमों के उल्लंघनों का विशेष ऑडिट करेंगे। राज निवास के अधिकारियों ने मंगलवार को यह जानकारी दी। उन्होंने दावा किया कि गृह मंत्रालय (home Ministry) ने उपराज्यपाल वी के सक्सेना (LG VK Saxena) के 24 मई को प्राप्त एक पत्र पर गौर करने के बाद विशेष कैग ऑडिट की सिफारिश की थी। पत्र में मुख्यमंत्री के आधिकारिक आवास के पुनर्निर्माण में घोर और प्रथम दृष्टया वित्तीय अनियमितताओं का उल्लेख किया गया था। अप्रैल में पहली बार मामला सामने आने के बाद से इस मुद्दे पर सत्तारूढ़ दल का भारतीय जनता पार्टी (Bharatiya Janata Party) के साथ लगातार वाकयुद्ध जारी है। आप ने दावा किया कि यह आवास 1942 में निर्मित पुराना, कमजोर ढांचा था और इसकी मरम्मत की आवश्यकता थी। जबकि, भाजपा ने अनियमितताओं का आरोप लगाते हुए जांच पर जोर दिया।
—उपराज्यपाल वी के सक्सेना के कैग ऑडिट की सिफारिश की थी
—आवास के पुनर्निर्माण में घोर और प्रथम दृष्टया वित्तीय अनियमितताओं का उल्लेख
गृह मंत्रालय (home Ministry) को 24 मई को लिखे अपने पत्र में, उप राज्यपाल सक्सेना ने कहा कि कथित अनियमितताओं को मीडिया ने उजागर किया था, जिसके बाद दिल्ली के मुख्य सचिव ने 27 अप्रैल और फिर 12 मई को एक तथ्यात्मक रिपोर्ट सौंपी थी। उन्होंने कहा, रिपोर्ट में लोक निर्माण विभाग (PWD) और दिल्ली सरकार द्वारा मुख्यमंत्री आवास के पुनर्निर्माण के नाम पर नियमों, विनियमों और दिशानिर्देशों के उल्लंघन का विवरण दिया गया है। उपराज्यपाल के पत्र में कहा गया कि मुख्य सचिव की रिपोर्ट (Chief Secretary’s Report) के अनुसार, मरम्मत कार्य के नाम पर पीडब्ल्यूडी द्वारा एक नयी इमारत का पूर्ण निर्माण/पुनर्निर्माण किया गया। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि निर्माण शुरू करने से पहले पीडब्ल्यूडी द्वारा संपत्ति के स्वामित्व का पता नहीं लगाया गया था। पत्र में कहा गया कि रिपोर्ट के अनुसार भवन उपनियमों के संदर्भ में भवन योजनाओं की अनिवार्य और पूर्व-आवश्यक मंजूरी अब तक पीडब्ल्यूडी की भवन समिति से प्राप्त नहीं की गई। पत्र में कहा गया है, शुरुआत में प्रस्ताव मुख्यमंत्री आवास (Chief Minister’s Residence) में अतिरिक्त इमारत उपलब्ध कराने का था, हालांकि बाद में मौजूदा इमारत को ध्वस्त करने के बाद पूरी तरह से नए निर्माण के प्रस्ताव को मंत्री ने मंजूरी दे दी। पत्र में कहा गया है कि निर्माण कार्य की शुरुआती लागत 15 से 20 करोड़ रुपये थी, जो समय-समय पर बढ़ती गई। पत्र में कहा गया है कि रिपोर्ट के अनुसार, अब तक कुल 52,71,24,570 रुपये (लगभग 53 करोड़ रुपये) खर्च किए गए हैं, जो शुरुआती अनुमान से तीन गुना से अधिक है। पत्र में कहा गया है, इसके अलावा, रिकॉर्ड से पता चलता है कि प्रधान सचिव (PWD) की स्वीकृति से बचने के लिए, जिन्हें 10 करोड़ रुपये से अधिक की वित्तीय मंजूरी देने की शक्तियां सौंपी गई हैं, हर अवसर पर 10 करोड़ रुपये से कम राशि के आधार पर मंजूरी प्राप्त की गई। रिपोर्ट में एमपीडी-2021 या दिल्ली के मास्टर प्लान (MPD) के घोर उल्लंघन को भी चिह्नित किया गया। पत्र में कहा गया, दिल्ली वृक्ष संरक्षण अधिनियम, 1994 के अनुसार, 10 से अधिक संख्या में पेड़ों की कटाई/दूसरी जगह रोपने के लिए सक्षम प्राधिकारी की मंजूरी प्राप्त करने से बचने के लिए, 9,2,6,6 और 5 की संख्या में पेड़ों की कटाई/रोपने के लिए पांच बार में कुल 28 पेड़ के लिए मंजूरी ली गई। पर्यावरण कानूनों के उल्लंघन का यह मामला राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) के समक्ष लंबित है।