–पंजाब में विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं, इसलिए केजरीवाल का नया खेल
–खोली पोल, दिल्ली सरकार ने सबसे पहले कृषि कानून को 23 नवंबर को किया था नोटिफाई
–आज विधान सभा का विशेष सत्र बुलाकर कृषि विधेयकों की प्रतियां फाड़ रहे हैं
—केजरीवाल एवं आम आदमी पार्टी की हरकत पर बीजेपी ने जताई कड़ी आपत्ति
–झूठ बोलकर माफी मांगने का रिकॉर्ड कायम कर चुके अरविंद केजरीवाल
नई दिल्ली/ टीम डिजिटल : भारतीय जनता पार्टी ने दिल्ली विधान सभा का विशेष सत्र बुलाकर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उनके विधायक विधान सभा में कृषि विधेयकों की प्रतियां फाडऩे की सख्त भत्र्सना की है। साथ ही दावा किया कि पंजाब में विधान सभा चुनाव होने वाले हैं, इसलिए अरविंद केजरीवाल झूठ के एक नए खेल को जन्म दे रहे हैं। भाजपा ने केजरीवाल एवं आम आदमी पार्टी की इस हरकत पर कड़ी आपत्ति भी जताई है। भाजपा की राष्ट्रीय प्रवक्ता एवं नई दिल्ली से सांसद मीनाक्षी लेखी ने कहा कि दिल्ली की आप सरकार देश की पहली राज्य सरकार थी जिसने नए कृषि कानून को 23 नवंबर 2020 को नोटिफाई किया था, लेकिन आज विधान सभा का विशेष सत्र बुलाकर कृषि विधेयकों की प्रतियां फाड़ रहे हैं। क्योंकि पंजाब में विधान सभा चुनाव होने वाले हैं। यह अरविन्द केजरीवाल और आम आदमी पार्टी की केवल और केवल झूठ की राजनीति नहीं तो और क्या है? इतना ही नहीं, 2017 के पंजाब विधानसभा चुनावों के दौरान भी आम आदमी पार्टी ने किसानों को ऐसे ही कानून बनाने का वादा करते हुए अपने घोषणापत्र में लिखा था कि कृषि उपज मंडी एक्ट में सुधार किया जाएगा, ताकि किसान अपनी उपज अपनी मर्जी के खरीदारों को राज्य के बाहर भी बेच सकें। घोषणा पत्र में आम आदमी पार्टी ने साफ तौर पर लिखा था कि पंजाब के हर जिले जहां पर किसान अपनी उपज बेचते हैं, वहां पर मंडियों में प्राइवेट निवेश किया जाएगा ताकि ग्रामीण आंत्रप्रेन्योर को उसी तरह का लाभ मिल सके जैसा इंडस्ट्रियल और आईटी स्टार्टअप्स को मिलता है। लेकिन आज वोट बैंक की राजनीति के लिए केजरीवाल और उसकी सरकार इस पर भी यू-टर्न ले रही है। मीनाक्षी लेखी ने कहा…..
कदम कदम फरेब है हर राह है दुश्वार
पावों में सौ बेडिय़ाँ जैसे चलना कुसूर है।
भाजपा मुख्यालय में पत्रकारों से बातचीत करते हुए सांसद मीनाक्षी लेखी ने दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर झूठ की राजनीति का आरोप लगाते हुए करारा हमला बोला। मीनाक्षी ने कहा कि….
इश्तिहारों ने दिखा दी है झूठे लोगों की असलियत
जो टोपी पहनकर टोपी पहनाने का काम करते हैं।
मीनाक्षी लेखी ने कहा कि केजरीवाल सरकार ने 2015 से 2020 तक 300 करोड़ रुपये इश्तिहारों पर खर्च किये पर अपने खुद के नगर निगमों को देने के लिए वे केंद्र सरकार को गुहार लगाते हैं। झूठ बोलकर माफी मांगने का रिकॉर्ड कायम कर चुके अरविंद केजरीवाल यू – टर्न मुख्यमंत्री के रूप में स्थापित हो रहे हैं। हर मुद्दे पर झूठ बोलना और दिल्ली की जनता की समस्याओं से भागना केजरीवाल की आदत बन गई है। वे हर दिन एक नये झूठ के साथ सामने आते हैं लेकिन उनका झूठ जल्द ही बेनकाब भी हो जाता है। दिल्ली की जनता से जुड़ी समस्याओं से उनका कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने कहा कि अरविंद केजरीवाल को मीडिया में अपना चेहरा चमकाने की भूख है। उनके पास हर दिन नए विज्ञापन के लिए करोड़ों रुपये हैं लेकिन दिल्ली के तीनों नगर निगमों का बकाया भुगतान के लिए उनके पास पैसे नहीं हैं। उन्होंने कहा कि दिल्ली नगर निगम का बकाया कोई भाजपा या केजरीवाल का पैसा नहीं है, ये तो दिल्ली की गरीब जनता का पैसा है लेकिन केजरीवाल झूठ बोल कर शायद इस पैसे को हड़प जाना चाहते हैं।
केजरीवाल में जमीन पर सच का सामना करने का साहस नहीं
लोक सभा सांसद ने कहा कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल में इतना नैतिक साहस नहीं है कि वह जमीन पर सच का सामना करें, इसलिए वे नगर निगमों को बदनाम करने की साजिश रच रहे हैं। उन्होंने कहा कि विगत 11 दिनों से दिल्ली के तीनों नगर निगम कर्मचारियों के वेतन के लिए बकाये के 13,000 करोड़ रुपये की मांग को लेकर कड़ाके की ठंड में भी धरना दे रहे हैं लेकिन केजरीवाल को फर्क नहीं पड़ता। उन्होंने कहा कि दिल्ली भाजपा कोई व्यक्तिगत लड़ाई नहीं लड़ रही बल्कि दिल्लीवासियों की सुविधा और निगम कर्मचारियों के अधिकारों के लिए लड़ रही है। केजरीवाल सरकार निगमों को अपंग करने की कोशिश कर जनता के साथ विश्वासघात कर रही है। उन्होंने कहा कि केजरीवाल सरकार नगर निगम की बकाया राशि का भुगतान जल्द करे, क्योंकि यदि नगर निगम का काम रुका तो दिल्ली की जनता केजरीवाल सरकार को कभी माफ़ नहीं करेगी।
एमसीडी के 13 हजार करोड़ का बकाया नहीं दे रही है केजरीवाल सरकार
भाजपा की प्रवक्ता मीनाक्षी लेखी ने कहा कि एमसीडी के 13 हजार करोड़ का बकाया अरविंद केजरीवाल सरकार नहीं दे रही है फंड नहीं मिलने की वजह से एमसीडी के कर्मचारियों का वेतन रुका हुआ है। निगम के कर्मचारियों के वेतन पर दिल्ली के मुख्यमंत्री कुंडली मारकर बैठे हैं। नगर निगमों के महापौर के धरने का दिल्ली के सभी सातों सांसदों के साथ-साथ निगम की 50 से अधिक कर्मचारी यूनियन ने भी समर्थन किया है। निगमोंं की कमजोर आर्थिक स्थिति को लेकर तीनों महापौर ने मुख्यमंत्री को पत्र भी लिख चुके हैं। हाई कोर्ट की फटकार के बावजूद त्यौहारों के समय भी केजरीवाल सरकार ने नगर निगमों का बकाया नहीं दिया। केजरीवाल सरकार साजिश के तहत निगमों का फंड रोककर सफाई कर्मचारियों, डॉक्टरों, नर्सों आदि को सड़क पर प्रदर्शन करने के लिए मजबूर करना चाहती है, ताकि दिल्ली में अराजकता का माहौल पैदा हो। अगर सफाईकर्मी हड़ताल पर गए, तो पहले से ही कोरोना से जूझ रही दिल्ली में हालात और खराब हो जाएंगे और इसके लिए पूरी तरह केजरीवाल सरकार ही जिम्मेदार होगी।