भारत के बुज़ुर्गों की 70 फ़ीसदी आबादी गाँवों में रहती है और इन्हें लेकर भी चिंताएं बढ़ रही हैं।
नई दिल्ली /टीम डिजिटल :भारत के ग्रामीण इलाक़ों में साठ करोड़ से अधिक लोग रहते हैं और अब ये डर बढ़ रहा है कि बहुत से लोग बिना टेस्ट और इलाज के ही इस वायरस का शिकार न बन जाएं। नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-4 के डेटा के मुताबिक़ देश की ग्रामीण आबादी के 25 प्रतिशत लोगों की पहुंच ही सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं तक है।
स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच न होने की वजह से गाँवों में बहुत से लोग गंभीर बीमारियों का भी इलाज नहीं करा पाते हैं।ऐसे में जानलेवा बीमारियों का इलाज समय पर नहीं हो पाता है। भारत के शीर्ष महामारी विशेषज्ञ जयप्रकाश मुलीयिल मानते हैं कि भारत की कम से कम आधी आबादी तक कोरोना संक्रमण पहुंचेगा।उन्होंने द गार्डियन से कहा है कि भारत के ग्रामीण इलाक़ों में पहले से जानलेवा बीमारियों का शिकार बहुत से लोग कोविड-19 का इलाज नहीं करा पाएंगे वो कहते हैं, ‘’इस समूह और बुज़ुर्गों पर वायरस की चपेट में आने का ख़तरा ज़्यादा है। सीमित संसाधनों की वजह से परिवार बुज़ुर्गों को तुरंत अस्पताल नहीं लेकर जाएंगे. उन्हें मरने के लिए छोड़ दिया जाएगा। ये ग्रामीण भारत की एक सच्चाई है जहां औसत आयु 65 वर्ष ही है।’’ मुलियल कहते हैं कि भारत के कई ज़िले दस हज़ार वर्ग किलोमीटर से भी बड़े हैं। मौत अलग-अलग इलाक़ों में हो रही होंगी। ऐसे में इस मानवीय त्रासदी की पूरी तस्वीर कभी सामने आ ही नहीं पाएगी या सामने आएगी भी तो इसमें बहुत वक़्त लगेगा।
ग्रामीण इलाक़ों के लोग भय में
सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि ग्रामीण भारत में जिस तरह महामारी फैलेगी वो शहरों के मुक़ाबले बिल्कुल अलग होगा। शहरों में भले ही ये बीमारी तेज़ी से फैल रही है लेकिन यहां डॉक्टरों और स्वास्थ्यकर्मियों के ख़िलाफ़ इससे लड़ने के लिए कुछ संसाधन तो है हीं। भारत में 80 प्रतिशत डॉक्टर और 60 प्रतिशत अस्पताल शहरी इलाक़ों में ही हैं। बीस करोड़ से अधिक आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश और 10 करोड़ से अधिक आबादी वाले राज्य बिहार में हालात मुश्किल हो सकते हैं। दोनों ही राज्यों की सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाएं बेहद लचर हैं। भारत के सबसे ग़रीब प्रांतों में से एक बिहार में तीस प्रतिशत से अधिक लोग ग़रीबी रेखा से नीचे हैं। यहां 90 प्रतिशत के क़रीब आबादी गाँवों में ही रहती है।
2019 के नेशनल हेल्थ प्रोफ़ाइल डेटा के मुताबिक़ बिहार में हर दस हज़ार की आबादी पर सिर्फ़ एक बिस्तर और चार डॉक्टर ही उपलब्ध हैं। राज्य में जब वायरल बुख़ार या डेंगू फैलता है तब भी स्वास्थ्य सेवाओं की हालत ख़राब हो जाती है। उत्तर प्रदेश सरकार के मुताबिक़ इस समय प्रदेश में कोविड संक्रमण के लिए 135 अस्पताल हैं। सरकार ने बड़े पैमाने पर टेस्ट कराने का लक्ष्य भी रखा है लेकिन अभी भी संक्रमण की पूरी तस्वीर सामने नहीं आई है।