नयी दिल्ली /सुनील पाण्डेय : सरकार ने पशुधन क्षेत्र में विकास को बढ़ावा देने के लिए संशोधित राष्ट्रीय गोकुल मिशन को मंजूरी देते हुए इसके लिए 3400 करोड़ रूपये का व्यय निर्धारित किया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को यहां हुई केन्द्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में इस आशय के प्रस्ताव को मंजूरी दी गयी।
इस प्रस्ताव में पशुधन क्षेत्र में विकास को बढ़ावा देने के लिए संशोधित राष्ट्रीय गोकुल मिशन (National Gokul Mission) के तहत केंद्रीय क्षेत्र घटक के रूप में संशोधित मिशन का क्रियान्व्यन 1000 करोड़ रुपये के अतिरिक्त परिव्यय के साथ किया जा रहा है, जो 2021-22 से 2025-26 तक 15वें वित्त आयोग चक्र के दौरान कुल 3400 करोड़ रुपये निर्धारित किया गया है।
—राष्ट्रीय गोकुल मिशन को केन्द्रीय मंत्रिमंडल की मंजूरी
—पशुधन क्षेत्र में विकास को बढ़ावा देने के लिए सरकार की बडी पहल
—दस वर्षों में दूध उत्पादन में 63.55 प्रतिशत की वृद्धि हुई
—वीर्य केन्द्रों को मजबूत बनाया जाएगा, वृहद होगा कृत्रिम गर्भाधान नेटवर्क
—केन्द्रीय मवेशी प्रजनन फार्मों को मजबूत बनाएगी सरकार
मिशन के साथ दो नई गतिविधियां जोड़ी गई हैं । पहली गतिविधि में कुल 15000 बछियों के लिए सुविधाओं के निर्माण को लेकर बछिया पालन केंद्रों की स्थापना के लिए पूंजीगत लागत का 35 प्रतिशत एकमुश्त सहायता का प्रावधान है। दूसरी गतिविधि में किसानों को उच्च आनुवंशिक योग्यता (एचजीएम) आईवीएफ बछिया खरीदने के लिए प्रोत्साहित करना शामिल है।
यह योजना राष्ट्रीय गोकुल मिशन की मौजूदा गतिविधियों को जारी रखने के लिए है। इनमें वीर्य केन्द्रों को मजबूत बनाना, कृत्रिम गर्भाधान नेटवर्क, बैल प्रजनन कार्यक्रम का कार्यान्वयन, लिंग-विशिष्ट वीर्य का उपयोग करके त्वरित नस्ल सुधार कार्यक्रम, कौशल विकास, किसान जागरूकता, उत्कृष्टता केन्द्र की स्थापना शामिल है। साथ ही केन्द्रीय मवेशी प्रजनन फार्मों को मजबूत बनाना और इनमें से किसी भी गतिविधि में सहायता के पैटर्न में कोई बदलाव किए बिना केन्द्रीय मवेशी प्रजनन फार्मों को मजबूत बनाना शामिल है।
डेयरी उद्योग में लगे 8.5 करोड़ किसानों की आजीविका में भी सुधार
राष्ट्रीय गोकुल मिशन के क्रियान्वयन एवं सरकार के अन्य प्रयासों से पिछले दस वर्षों में दूध उत्पादन में 63.55 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, साथ ही प्रति व्यक्ति दूध की उपलब्धता जो 2013-14 में 307 ग्राम प्रतिदिन थी, वह 2023-24 में बढ़कर 471 ग्राम प्रतिदिन हो गई है। पिछले दस वर्षों में उत्पादकता में भी 26.34 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। इस योजना से दूध उत्पादन और उत्पादकता में उल्लेखनीय वृद्धि होगी, जिससे अंततः किसानों की आय में वृद्धि होगी। इस पहल से न केवल उत्पादकता बढ़ेगी बल्कि डेयरी उद्योग में लगे 8.5 करोड़ किसानों की आजीविका में भी सुधार होगा।