—रेलमंत्री ने मुम्बई-अहमदाबाद हाईस्पीड कोरिडोर पर लॉन्चिंग मशीन को दिखाई हरी झंडी
नई दिल्ली/ नेशनल ब्यूरो : रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने स्वदेश में ही डिजाइन की हुई और निर्मित फुल-स्पैन लॉन्चिंग इक्विपमेंट-स्ट्रेडल कैरियर तथा गर्डर ट्रांसपोर्टर को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। इन मशीनों से मुम्बई-अहमदाबाद हाईस्पीड रेल गलियारे में मेहराबदार ढांचे के निर्माण में तेजी आयेगी। मंत्री ने आज मियां मोतो शिंगो, मंत्री, जापान दूतावास, सुनीत शर्मा, अध्यक्ष, रेलवे बोर्ड, सतीश अग्निहोत्री, प्रबंध निदेशक, एनएचआरसीएल एवं एस एन सुब्रह्मण्यम, कार्यकारी निदेशक, लार्सन एवं टूब्रो की उपस्थिति में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये इसका शुभारंभ किया। इस मौके पर रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि प्रधानमंत्री के विजन के तहत सरकार भारतीय रेलवे को देश के समावेशी विकास का इंजन बनाने के लिये संकल्पबद्ध है। उन्होंने कहा कि आज भारतीय रेलवे एक नए आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ रहा है जिसमें आम जन की भावना समाहित हैं।
Flagged off Made in India engineering marvel, a reflection of the 21st Century Mindset. #HighSpeedRailonFastTrack pic.twitter.com/7EzkdPaWFI
— Ashwini Vaishnaw (@AshwiniVaishnaw) September 9, 2021
आज इक्कीसवीं सदी में भविष्य को दृष्टि में रखकर योजनाएं बनाने और उन्हें धरातल पर कार्यान्वित करने की जरूरत है। आज का समारोह उसी नए भारत की तरफ कदम बढ़ाने का एक उदाहरण है। उल्लेखनीय है कि मुम्बई-अहमदाबाद हाईस्पीड रेल परियोजना (एमएएचएसआर) के 508 किलोमीटर लंबे मेहराबदार निर्माण के लिये उत्कृष्ट प्रणाली इस्तेमाल की जा रही है। इस निर्माण में फुल-स्पैन लॉन्चिंग प्रणाली (एफएसएलएम) का उपयोग किया जा रहा है। इस प्रौद्योगिकी के जरिये पहले से तैयार पूरी लंबाई वाले गर्डरों को खड़ा किया जाता है, जो बिना जोड़ के पूरे आकार में बने होते हैं। इन्हें दोहरे मेहराबदार ट्रैक के लिये इस्तेमाल किया जाता है। इसकी मदद से निर्माण कार्य में तेजी आती है। एफएसएलएम को दुनिया भर में इस्तेमाल करते हैं, जहां मेट्रो प्रणाली के लिये मेहराबदार निर्माण में इससे मदद मिलती है। ऐसी मशीनों के डिजाइन बनाने और उनका निर्माण करने में अब भारत भी इटली, नार्वे, कोरिया और चीन जैसे देशों के समूह में शामिल हो गया है। कंक्रीट के उपयोग से पहले से तैयार चौकोर गर्डर (प्री-स्ट्रेस्ड कंक्रीट-पीएससी) को भी लॉन्च किया जायेगा। उल्लेखनीय है कि इन गर्डरों का भार 700 से 975 मीट्रिक टन है और इनकी चौड़ाई 30, 35 तथा 45 मीटर की है। इन्हें भी एफएसएलएम प्रणाली के जरिये हाई-स्पीड गलियारे के लिये लॉन्च किया जायेगा। सबसे भारी-भरकम पीएससी चौकोर गर्डर का भार 975 मीट्रिक टन है और उसकी लंबाई 40 मीटर है।
आत्मनिर्भर भारत अभियान को बढ़ावा
भारत में एमएएचएसआर परियोजना के लिये पहली बार इसका उपयोग किया जा रहा है। आत्मनिर्भर भारत अभियान को बढ़ावा देने के लिये 1100 मीट्रिक टन क्षमता वाले एफएसएलएम उपकरण को स्वदेशी स्तर पर बनाया गया है। इसका डिजाइन भी यहीं तैयार किया गया है। मेसर्स लार्सन एंड टुब्रो की चेन्नई स्थित कांचीपुरम की निर्माण इकाई में इसे बनाया गया है। इसके लिये मेसर्स एल-एंड-टी ने 55 सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों के साथ साझेदारी की थी। उल्लेखनीय है कि इस तरह के 20 लॉन्चिंग उपकरणों की जरूरत गुजरात के वापी और अहमदाबाद के बीच 325 किलोमीटर के मेहराबदार निर्माण के लिये होगी।