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Thursday, November 21, 2024

बजट-2024-25 : महिलाओं, लड़कियों के लिए लाभकारी योजनाओं के लिए खोला खजाना

नयी दिल्ली/,खुशबू पाण्डेय । वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister Nirmala Sitharaman) ने मंगलवार को कहा कि महिला-नीत विकास को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न मंत्रालयों के तहत महिलाओं और लड़कियों से संबंधित योजनाओं के वास्ते तीन लाख करोड़ रुपये से अधिक आवंटित किये गये हैं। सीतारमण ने लोकसभा में 2024-25 का बजट पेश करते हुए कहा कि यह (आवंटन) आर्थिक विकास में महिलाओं की भूमिका बढ़ाने को लेकर सरकार की प्रतिबद्धता का द्योतक है। उन्होंने कहा, महिला-नीत विकास को बढ़ावा देने के मद्देनजर महिलाओं और लड़कियों से संबंधित लाभकारी योजनाओं के वास्ते बजट में तीन लाख करोड़ रुपये से अधिक आवंटित किये गये हैं। सीतारमण ने कहा कि कार्यबल में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए सरकार कामकाजी महिला छात्रावास स्थापित करेगी। बजट की मुख्य विशेषताओं में से एक है, औद्योगिक समूहों के साथ साझेदारी में कामकाजी महिलाओं के लिए छात्रावासों की स्थापना और कामकाजी माताओं की सहायता के वास्ते क्रेच की स्थापना करना।

—महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए सरकार कामकाजी महिला छात्रावास स्थापित करेगी

इन कदमों का उद्देश्य महिलाओं के लिए कार्यस्थल और घर के बीच संतुलन को बढ़ाना है, जिससे कार्यबल में उनकी अधिक भागीदारी संभव हो सके। इतना ही नहीं, बजट में कामकाजी महिलाओं की हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए महिला-केंद्रित कौशल कार्यक्रमों की शुरुआत का खाका भी पेश किया गया है। वर्ष 2024 की दूसरी तिमाही में कामकाजी महिलाओं की संख्या में 24 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। बजट से यह पता चलता है कि नियोजन संबंधी हालिया आंकड़ों के अनुसार, कामकाजी महिलाओं की भागीदारी में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। मई 2024 तक लगभग 2.40 लाख नयी महिला सदस्य जुड़ी हैं, जो पिछले वर्ष की तुलना में 12.1 प्रतिशत की वृद्धि को दर्शाता है। पिछले वर्ष की तुलना में कामकाजी महिला सदस्यों की संख्या में 17.2 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गयी, जो अधिक समावेशी कार्यबल की ओर सकारात्मक बदलाव का संकेत है। वित्त वर्ष 2024-25 के लिए महिला एवं बाल विकास (डब्ल्यूसीडी) मंत्रालय के केंद्रीय बजट में ढाई प्रतिशत की मामूली बढ़ोतरी की गयी है। मंत्रालय के लिए बजट में 26,092 करोड़ रुपये के प्रावधान किये गये हैं, जबकि पिछले वित्त वर्ष में संशोधित बजट राशि 25,448 करोड़ रुपये थी। सीतारमण ने कहा कि कार्यबल में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए सरकार कामकाजी महिला छात्रावास स्थापित करेगी। महिला छात्रावास, स्वाधार (आश्रय) गृह और प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना जैसी परियोजनाओं का समर्थन करने वाली ‘सामर्थ्य उप-योजना’ के लिए 2,516 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं, जो पिछले संशोधित बजट 2,325 करोड़ रुपये से थोड़ा अधिक है। महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के इस बजट का एक महत्वपूर्ण हिस्सा केंद्र-प्रायोजित योजनाओं के लिए निर्धारित है। इन योजनाओं के लिए 25,848 करोड़ रुपये प्राप्त हुए हैं। इस मंत्रालय के तहत सक्षम आंगनवाड़ी और पोषण 2.0, मिशन वात्सल्य और मिशन शक्ति जैसी महत्वाकांक्षी योजनाओं को पोषण, बाल संरक्षण और महिला सशक्तीकरण की दिशा में बेहतर परिणाम के लिए अपने प्रयासों को जारी रखने के वास्ते पर्याप्त धनराशि दी गई है। बजट में विशेष रूप से सक्षम आंगनवाड़ी और पोषण 2.0 के लिए 21,200 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं, जिसका उद्देश्य कुपोषण की समस्या से निपटना और बच्चों की देखभाल में सहयोग करना है। संबल उपयोजना में ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ और महिला सुरक्षा के लिए ‘वन स्टॉप सेंटर’ जैसी पहल शामिल हैं तथा इस उपयोजना के लिए 629 करोड़ रुपये के प्रावधान किये गये हैं। राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्ल्यू) की अध्यक्ष रेखा शर्मा ने देश के विकास में महिलाओं के योगदान के महत्व पर प्रकाश डालते हुए सरकार के प्रयासों की प्रशंसा की। शर्मा ने कहा, महिलाएं किसी भी राष्ट्र की रीढ़ होती हैं। सतत वृद्धि और विकास के लिए उनका सशक्तीकरण और भागीदारी महत्वपूर्ण है।

महिलाओं के आर्थिक सशक्तीकरण

महिलाओं के छात्रावास, क्रेच और कौशल विकास कार्यक्रमों जैसी पहल के लिए सरकार द्वारा तीन लाख करोड़ रुपये से अधिक का आवंटन इस वास्तविकता की गहन समझ को दर्शाता है। इस बीच, गैर-सरकारी संगठन (एनजीओ) ‘पॉपुलेशन फाउंडेशन ऑफ इंडिया’ ने कहा कि सीतारमण द्वारा अपने भाषण में साझा की गई सरकार की नौ शीर्ष प्राथमिकताओं में स्वास्थ्य को गायब देखना बेहद अप्रत्याशित था। फाउंडेशन की कार्यकारी निदेशक पूनम मुत्तरेजा ने कहा, यद्यपि सरकार ने युवाओं और महिलाओं के आर्थिक सशक्तीकरण के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दिखाई है, लेकिन ऐसा लगता है कि उसने उनके स्वास्थ्य, शिक्षा और सामाजिक कल्याण में पर्याप्त निवेश की आवश्यकता को नजरअंदाज कर दिया है। उन्होंने कहा, यह (बजट) जनसंख्या की बदलती गतिशीलता और लोगों के स्वास्थ्य एवं कल्याण पर जलवायु परिवर्तन के पूर्ण प्रभाव को स्वीकार करने में भी विफल रहा है।

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