नयी दिल्ली/ खुशबू पाण्डेय। भारतीय जनता पार्टी (Bharatiya Janata Party) की मध्य प्रदेश इकाई के अध्यक्ष एवं सांसद विष्णुदत्त शर्मा (Vishnudutt Sharma) ने मंगलवार को कहा कि देश में नयी शिक्षा नीति लागू होने के बाद प्राथमिक और उच्च शिक्षा में बहुत तेजी से सुधार होने लगा और भारत को ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था बनाने का लक्ष्य निकट आने लगा है।
शर्मा ने यहां मध्य प्रदेश भवन में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 (National Education Policy-2020) से भारत की उच्च शिक्षा व्यवस्था में एक महत्वपूर्ण बदलाव आया है। वर्ष 2013-14 में शिक्षा व्यवस्था से आज हम बहुत आगे बढ़ चुके हैं। उन्होंने कहा “देश की आजादी के बाद मैकाले की शिक्षा पद्धति चल रही थी। हम लोग वर्षों से मांग कर रहे थे, शिक्षा पद्धति में बदलाव किया जाए।
—कांग्रेस ने किया था शिक्षा का वामपंथीकरण, तुष्टीकरण और मोदी सरकार ने किया भारतीयकरण
— संस्कार और संस्कृति से परिपूर्ण है नई शिक्षा नीति
—राष्ट्रीय शिक्षा नीति को सबसे पहले लागू कर मध्यप्रदेश हुआ लाभान्वित
—सिर्फ ‘ज्ञानवान’ ही नहीं ‘संस्कारवान’ ही बनाती है नई शिक्षा नीति
—नई शिक्षा नीति से भारतीय स्कूली शिक्षा के मानक अब अंतर्राष्ट्रीय स्तरों की ओर
—भारत को ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था बनाने का लक्ष्य निकट : विष्णुदत्त
प्रधानमंत्री ने नयी शिक्षा नीति को लागू करते शिक्षा को समावेशी, सुलभ और वैश्विक प्रतिस्पर्धी बनाने की निरंतर प्रतिबद्धता के साथ कार्य किया है। नयी शिक्षा नीति से छात्रों के समग्र विकास को बढ़ावा देने के साथ शिक्षा स्तर में सुधार के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य हुआ है। नयी शिक्षा नीति का उद्देश्य शिक्षा को रोजगार के साथ जोड़ना है, ताकि विद्यार्थियों को आवश्यक कौशल एवं ज्ञान के साथ कई विकल्प एवं अवसर मिल सके। विश्वविद्यालय के छात्रों को अब कई विकल्प मिल रहे हैं। अब 1 साल में सर्टिफिकेट, 2 साल में डिप्लोमा और 3 साल में डिग्री प्राप्त होगी।
शर्मा ने कहा कि नयी शिक्षा नीति में वह सब कुछ है, जो वर्तमान परिदृश्य में छात्रों को आज जानने की आवश्यकता है। शिक्षा तंत्र को सुधारने कर वैश्विक बनाने के लिए यह नीति लाई गई है। गरीब, अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनताति को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने का पूरा प्रयास किया गया है। लड़कियों, दिव्यांगों के लिए भी अलग से प्रावधान किए गए हैं।
उन्होंने कहा कि 1986 के बाद 34 वर्षों बाद नयी शिक्षा नीति लाने की प्रक्रिया प्रधानमंत्री ने शुरू की और आज वह विश्वस्तरीय शिक्षण संस्थान के निर्माण की प्रतिबद्धता के साथ कार्य कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि नयी शिक्षा नीति लाने की प्रक्रिया 2015 से शुरू हुई थी जिसमें ढाई लाख ग्राम पंचायतों, 6600 विकासखंड, 6000 नगरीय निकाय और 6 हजार 76 जिलों से करीब दो लाख सुझावों के बाद यह नई शिक्षा नीति लाने का कार्य किया गया है। नयी शिक्षा नीति व्यक्ति के समग्र विकास, सभी को सुलभ शिक्षा देने और भारत में ज्ञान आधारित समाज बनाने की परिकल्पना को साकार करने के लिए बनाया गया है।
शिक्षा नीति में खेल आधारित शिक्षा को प्राथमिकता
मध्यप्रदेश भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि नयी शिक्षा नीति में खेल आधारित शिक्षा को प्राथमिकता दी गई है। एनसीईआरटी द्वारा नयी शिक्षा नीति के तहत जो पाठ्यक्रम, शिक्षा ढांचा तैयार किया गया है, वह बदलते समय के साथ छात्रों को शिक्षा देने के अनुकूल करने और 21वीं सदी की आवश्यकताओं को पूरा करने का कार्य करेगा। उन्होंने कहा कि कला, विज्ञान, मानविकी विज्ञान को स्थान मिला है। इसमें मातृभाषा आधारित शिक्षा के महत्व को स्वीकार किया गया है। शिक्षा मातृभाषा, स्थानीय भाषा और क्षेत्रीय भाषा में कौशल विकास का पूरा समायोजन किया गया है।
महिला फैकल्टी की संख्या में 29.1 फीसदी की वृद्धि
उन्होंने कहा कि 2022 में उच्च शिक्षा संस्थानों में कुल फैकल्टी की संख्या में 12.1 प्रतिशत की वृद्धि एक महत्वपूर्ण कदम है। साथ ही महिला फैकल्टी की संख्या में 29.1 फीसदी की वृद्धि भी हुई है। 2014-15 में उच्च शिक्षा में 3.2 करोड़ नामांकन था, जो वर्ष 2022 में बढ़कर 4.6 करोड़ हुआ है। महिला नामांकन में 30.4 प्रतिशत की वृद्धि होना यह दर्शाता है कि नई शिक्षा नीति लैंगिक समानता में भी वृद्धि हुई है।
उन्होंने कहा कि इस शिक्षा नीति के लागू होने से अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति व अन्य पिछड़ा वर्ग के छात्रों की संख्या में भी 50.1 प्रतिशत से अधिक वृद्धि हुई है। नयी शिक्षा से अनुसूचित जाति की महिला नामांकन में 61 प्रतिशत, अनुसूचित जनजाति में नामांकन में 75 और कुल महिला नामांकन में 96.3 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। पूर्वोत्तर क्षेत्र में भी महिलाओं की नामांकन संख्या में लगभग 43 प्रतिशत की वृद्धि होना क्षेत्र के लिए एक बेहतर प्रयास है।
मान्यता प्राप्त कॉलेज की संख्या 9807 हुई
उन्होंने कहा कि मान्यता प्राप्त कॉलेज की संख्या 2015 में 6241 से आज 2024 में 9807 हुई है। इसी प्रकार से मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालयों की संख्या में नई शिक्षा नीति आने के बाद दोगुनी से अधिक 120 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने भारत को ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था के रूप में 2047 तक विकसित बनाने का लक्ष्य रखा है। नयी शिक्षा नीति इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए कारगर होगी।
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