नई दिल्ली / टीम डिजिटल। कोरोना वायरस महामारी ने डार्क वेब पर कुछ ऐसी चीजों की बिक्री शुरू करा दी है जो वहां कभी नहीं होती थी। वहां वायरस डिटेक्टर्स से लेकर कोरोना वायरस की ‘वैक्सीन’ तक बेची जा रही है। यही नहीं, चोरी-छिपे गैरकानूनी तरीके से रिकवर हो चुके पेशेंट्स का खून बेचा जा रहा है। Agartha नाम की एक डार्क वेब मार्केट पर ‘कोरोना वायरस के खिलाफ इम्युनिटी के लिए रिकवर्ड पेशेंट्स का प्लाज्मा’ लिस्टेड है। इसके सेलर ने 25ml प्लाज्मा से शुरुआत की थी। फिर 50ml, 100ml, 500ml के पैकेट्स भी लिस्ट किए। अब वह 2.036 बिटक्वाइंस (10.86 लाख रुपये) में एक लिटर खून बेचने का दावा कर रहा है।
क्यों बेचा जा रहा खून?
कोरोना वायरस जैसी महामारी के बीच प्लाज्मा थेरेपी एक उम्मीद बनकर उभरी है। रिर्सर्चर्स को भरोसा है कि COVID-19 से ठीक हो चुके मरीजों के प्लाज्मा से बाकी मरीजों की जिंदगी बचाई जा सकती है। जिस मरीज को एक बार कोरोना का संक्रमण हो जाता है, वह जब ठीक होता है तो उसके शरीर में एंटीबॉडी डिवेलप होती है। यह एंटीबॉडी उसको ठीक होने में मदद करते हैं। ऐसा व्यक्ति रक्तदान करता है। उसके खून में से प्लाज्मा निकाला जाता है और प्लाज्मा में मौजूद एंटीबॉडी जब किसी दूसरे मरीज में डाला जाता है तो बीमार मरीज में यह एंटीबॉडी पहुंच जाता है, जो उसे ठीक होने में मदद करता है। एक शख्स से निकाले गए बीच की मदद से दो लोगों का इलाज संभव बताया जाता है। कोरोना नेगेटिव आने के दो हफ्ते बाद वह प्लाज्मा डोनेट कर सकता है।
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डार्क वेब पर कोरोना से जुड़ा क्या-क्या?
safetyfirst2020 नाम का सेलर ‘कोरोना एंटीवायरस डिटेक्टिव डिवाइस’ बेच रहा है। Agartha पर ही ‘कोरोना वायरस की वैक्सीन’ भी 0.065 बिटक्वाइंस (34,751 रुपये) में बेची जा रही है। Pax Romana नाम की साइट पर ‘रिकवरी के बेहतर चांस’ के लिए 20 कैप्सूल्स का पैकेट 43 डॉलर (3,291 रुपये) में उपलब्ध है। इसके अलावा chloroquine (Covid-19 में यूज हो रही hydroxychloroquine का कम जहरीला रूप) और favipiravir (जापान में फ्लू के खिलाफ यूज होने वाली एंटी वायरल दवा) भी सेल के लिए है। इनके दाम 23,000 रुपये से डेढ़ लाख रुपये के बीच हैं।
धोखा है ये सब, संभलकर रहें
डार्क वेब पर एक ओर जहां अधिकतर सेलर अपने वादे पूरे करते हैं, Covid-19 से जुड़ा बिजनेस मुख्य रूप से धोखा है। वहां बिकने वाली चीजें, जैसे Covid-19 की वैक्सीन अभी तक तैयार ही नहीं हुई है। अबतक डीप वेब की मार्केट्स में ड्रग्स, डेटा और फेक क्रेडेन्शियल्स ही बिका करते थे। मगर कोरोना आउटब्रेक की वजह से सप्लाई चैन टूटी और बिजनेस को नुकसान पहुंचा। ऐसे में बहुत से सेलर्स ने यह शर्त जोड़ दी है कि डिलीवरी में खासा समय लग सकता है। बहुत से सेलर्स ने धोखेबाजी का रास्ता अपना लिया है।