–सरकार की हरी झंडी के बाद एनएचएआई ने जारी की अधिसूचना
–राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के चलते 24 मार्च से बंद है टोल प्लाजा
–देशभर में एनएचएआई के 552 टोल प्लाजा, रोजाना 80 करोड़ होता है कलेक्शन
–रोजाना टोल प्लाजा से गुजरते हैं ढाई करोड़ गाडिय़ां
(अदिति सिंह)
नई दिल्ली / टीम डिजिटल : कोविड-19 के बढ़ते प्रकोप को रोकने के लिए 24 मार्च की रात 12 बजे से बंद किए गए राष्ट्रीय राजमार्गों के सभी टोल प्लाजा 20 अप्रैल से फिर शुरू हो जाएंगे। इसके बाद पहले की तरह टोल टैक्स की वसूली होने लगेगी। भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) ने इस बावत अधिसूचना जारी कर दी है, साथ ही केंद्र सरकार को भी बता दिया है। देशभर में एनएचएआई के करीब 552 टोल प्लाजा हैं। इसमें से 500 टोल प्लाजा आधुनिक रूप से काम करते हैं और हर सुविधाएं उपलब्ध हैं।
लॉकडाउन के चलते गाडिय़ों को बंद करने और बाद में टोल की वसूली बंद होने से एनएचएआई केा रोजाना 80 करोड़ रुपये से ज्यादा का नुकसान हो रहा है। अमूमन देशभर के एनएचएआई टोल प्लाजों पर 80 करोड़ रुपये की रोजाना वसूली होती थी। लेकिन, कोरोना के बढ़ते प्रकोप के बीच लोगों की आवाजाही कम होने के चलते 20 मार्च से टोल पर भारी कमी हो गई और वसूली घटकर 20 करोड़ रुपये रोजाना तक पहुंच गई।
हालात यह हो गई कि खर्चा ज्यादा होने लगा और कमाई घटती चली गई। इसके बाद 24 मार्च की रात 12 बजे सभी एनएचएआई के टोल प्लाजा पर वसूली को बंद कर दिया गया। सिर्फ इमरजेंसी सेवाएं एवं खाने पीने की आवश्यक चीजों की सप्लाई हो रही थी। सूत्रों के मुताबिक रोजाना करीब ढाई करोड़ (2.50 करोड़) वाहन भारतीय राष्ट्रीय राजमार्गों (एनएचएआई) से गुजरते हैं।
20 अप्रैल से खुलने के बाद यह अनुमान लगाया जा रहा है कि करीब 50 लाख वाहन राष्ट्रीय राजमार्गों से गुजरने लगेंगे। इसके बाद 3 मई के बाद लॉकडाउन खुलने के बाद वाहनों की संख्या फिर से पहले की तरह हो जाएगी।
बता दें कि सरकार ने कोरोना वायरस के मद्देनजर लागू राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के दौरान 25 मार्च से टोल टैक्स की वसूली अस्थाई तौर पर रोक दी थी ताकि आवश्यक वस्तुओं की ढुलाई में आसानी हो। हालांकि, सरकार के इस आदेश का परिवहन उद्योग से जुड़े लोगों ने विरोध किया है।
एआईएमटीसी ने किया विरोध, पुनर्विचार करे सरकार
ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस (एआईएमटीसी) के अध्यक्ष कुलतारन सिंह अटवाल ने कहा कि सरकार को इस क्षेत्र पर कोई वित्तीय बोझ डालने से पहले अपने फैसले पर पुनर्विचार करना चाहिए। उन्होंने सरकार के इस कदम का विरोध करते हुए कहा है कि यह बहुत ही गलत है, सरकार चाहती है कि आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति अबाध जारी रहे, और हमारा समुदाय तमाम बाधाओं के बावजूद ऐसा कर रहा है। बता दें कि एआईएमटीसी के तहत करीब 95 लाख ट्रक और परिवहन प्रतिष्ठान आते हैं।
ट्रक मालिकों ने डेढ से पौने दो गुrना भाड़ा बढ़ा दिया
आईएफटीआरटी के प्रवक्ता एवं परिवहन विशेषज्ञ एसपी सिंह के मुताबिक जब सरकार ने 24 मार्च और 14 अप्रैल के बीच में टोल खत्म किया था उस बीच में माल भाड़ा 50 से 75 फीसदी बढ़ गए। ट्रकों की कमी हो गई और ड्राइवर अपने अपने घरों में ट्रक छोड़कर भाग गए थे। इस बीच गर्मियों की फ्रूट एवं वेजिटेबल बाजार में आई हुई थी, तो उसका लाभ उठाते हुए ट्रक मालिकों ने किराया डेढ से पौने दो गुना कर दिया। वह भी तब जबकि टोल माफ किया गया था। दोबारा 20 अप्रैल से टोल शुरू करना न्याय संगत है। आखिरकार सरकार अपना राजस्व कयों गवाएंगी।