–गुरुद्वारा बंगला साहिब आकर करें अरदास, दूर होगा संकट
–कमेटी के उपाध्यक्ष कुलवंत बाठ ने दिए कई उदाहरण, लगाई गुहार
—देशवासियों को निजात दिलाने के लिए अरदास करें
(अदिति सिंह)
नई दिल्ली / टीम डिजिटल : दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबन्धक कमेटी (DSGMC) के उपाध्यक्ष कुलवंत सिंह बाठ ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से अपील की है कि वह कोरोना बीमारी से देशवासियों को निजात दिलाने के लिए गुरुद्वारा बंगला साहिब आकर अरदास करें। कुलवंत सिंह बाठ ने प्रधानमंत्री मोदी को ट्वीट करके उनसे अपील की है कोरोना की महामारी को भगाने के लिए पीएम मोदी को गुरुद्वारा बंगला साहिब आकर अरदास करनी चाहिए।
बाठ ने कहा कि आज से कई सौ साल पहले 1664 ई में भी जब दिल्ली में चेचक की महामारी फैली थी और लोग मरने शुरु हो गये थे तो उस समय गुरु हरिकृष्ण साहिब ने जो कि सिखों के आठवें गुरु थे उन्होंने गुरुद्वारा बंगला साहिब में आकर लोगों को यहां से अमृत पिलाकर ठीक किया था तब से रोजाना हजारों लाखों श्रद्वालु यहां आकर अपने दुखों को दूर करने के लिए अरदास करते हैं और उनके दुख दूर होते हैं। बाठ ने एम मोदी से अपील किया कि एक बार वह यहां आकर अरदास करें , उम्मीद है कि भयंकर बीमारी से हमें निजात मिलेगी।
बाठ ने बताया कि गुरु साहिब की उम्र मात्र 8 वर्ष की थी जब गुरू हर किशन साहिब जी को गुरुपद प्रदान किया गया।
गुरु हर राय ने 1661 में गुरु हरकिशन जी को अष्ठम गुरू के रूप में स्थापित किया। इस बात से नाराज होकर राम राय जी ने इस बात की शिकायत राज दरबार में की। इस बावत राम राय का पक्ष लेते हुए उस समय के मुगल बादशाह ने राजा जय सिंह को गुरू हर किशन जी को उनके समक्ष उपस्थित करने का आदेश दिया। राजा जय सिंह ने अपना संदेशवाहक कीरतपुर भेजकर गुरू को दिल्ली लाने का आदेश दिया। पहले तो गुरू साहिब ने अनिच्छा जाहिर की। परन्तु उनके गुरसिखों एवं राजा जय सिंह के बार-बार आग्रह करने पर वो दिल्ली जाने के लिए तैयार हो गये। रास्ते में लाल चन्द नामक हिन्दू साहित्यकार एवं विद्वान की शंका दूर करने के लिए कि एक बालक को गुरुपद कैसे दिया जा सकता है।
गुरु साहिब ने गूंगे के सिर पर अपनी छड़ी इंगित कर के उसके मुख से संपूर्ण गीता सार सुनाकर लाल चन्द को हतप्रभ कर दिया। इस स्थान पर आज के समय में एक भव्य गुरुद्वारा पंजोखरा साहिब सुशोभित है, जिसके बारे में मान्यता है कि यहाँ स्नान करके शारीरिक व मानसिक व्याधियों से छुटकारा मिलता है। इसके पश्चात लाल चन्द ने सिख धर्म को अपनाया एवं गुरू साहिब को कुरूक्षेत्र तक छोड़ा। जब गुरू साहिब दिल्ली पहुंचे तो राजा जय सिंह एवं दिल्ली में रहने वाले सिखों ने उनका बड़े ही गर्मजोशी से स्वागत किया।
गुरू साहिब को राजा जय सिंह के महल में ठहराया गया। सभी धर्म के लोगों का महल में गुरू साहिब के दर्शन के लिए तांता लग गया आज उसी स्थान पर गुरुद्वारा बंगला साहिब बना हुआ है। बाठ ने एम मोदी से अपील किया कि एक बार वह यहां आकर अरदास करें , उम्मीद है कि भयंकर बीमारी से हमें निजात मिलेगी।