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Monday, December 23, 2024

शाबास RPF : अंतरराष्ट्रीय रेलवे ई-टिकटिंग रैकेट का पर्दाफाश

–पाकिस्तान, बांग्लादेश, दुबई से जुड़े हैं तार, टेरर फंडिंग का संदेह
–दुबई में बैठा है सरगना, 24 लोग गिरफ्तार, मिले दस्तावेज
–अवैध साफ्टवेयर के जरिये तत्काल श्रेणी के रेल टिकटों पर डाका
–आरपीएफ ने की बड़ी कार्रवाई, दस्तावेजों की जांच, पूछताछ
–रेलवे के इतिहास में अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई

(खुशबू पाण्डेय)

नई दिल्ली/टीम डिजिटल   : भारतीय रेलवे (Indian Railways) के ई-टिकटिंग कारोबार में सेंधमारी कर समानांतर नेटवर्क अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर चलाया जा रहा था, जिसे पकडऩे में रेलवे पुलिस को बड़ी सफलता मिली है। इस खेल में शामिल गुलाम मुस्तफा नामक व्यक्ति को पकड़ा गया है, जिसके पास चौकाने वाले दस्तावेज मिले हैं। प्रमुख सूत्रधार के आधार पर ही 24 और लोगों को भी गिरफ्तार किया गया है। जबकि, इसका सरगना हामिद अशरफ है, जो दुबई में बैठा है और वहीं से कारोबार संचालित कर रहा है। ये गिरोह अवैध साफ्टवेयर के माध्यम से तत्काल श्रेणी के रेल टिकटों की कालाबाजारी करता रहा है। साथ ही क्रिप्टो करंसी एवं हवाला के माध्यम से पैसा विदेश भेज कर उसका इस्तेमाल आतंकवाद के वित्तपोषण के लिए करता है।

शाबास RPF : अंतरराष्ट्रीय रेलवे ई-टिकटिंग रैकेट का पर्दाफाश
आरपीएफ के महानिदेशक अरुण कुमार ने इसका खुलासा मंगलवार को किया। साथ ही दावा किया कि गिरफ्तार किए गए गुलाम मुस्तफा के पास उपलबध उन्नत तकनीक का भी पता चला है। इस गिरोह में 20 हजार से अधिक एजेंटों वाले 200 से 300 पैनल देश भर में सक्रिय है और उसका सरगना हामिद अशरफ दुबई में बैठा है। वह पाकिस्तान के संदिगध एवं विवादास्पद संगठन तब्लीक ए जमात पाकिस्तान से जुड़ा है। इसमें बेंगलुरु की एक सॉफ्टवेयर कंपनी की साझीदार है और गुरुजी के कूटनाम वाला एक उच्च तकनीकविद् इस गिरोह को सक्रिय मदद देता है।

RPF को मिलेंगे IPC में कार्यवाही के अधिकार

आरपीएफ महानिदेशक के मुताबिक ई-टिकट गिरोह में शामिल यह व्यक्ति मदरसे से पढ़ा हुआ है और खुद ही उसने सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट करना सीखा है। उसके तार आतंकी वित्त पोषण से भी जुड़े होने का संदेह है। गिरोह के तार पाकिस्तान, बांग्लादेश और दुबई से जुड़े होने का संदेह है। गुलाम मुस्तफा (28) को भुवनेश्वर से पकड़ा गया। उसके पास काम करने वाले प्रोग्रामर की एक टीम थी। उसने 2015 में बेंगलुरू में टिकट काउंटर शुरू किया और फिर ई-टिकट और अवैध सॉफ्टवेयर का काम करने लगा।

आईआरसीटीसी के 563 निजी आईडी मिले

रेलवे सुरक्षा बल (RPF) के महानिदेशक अरूण कुमार ने बताया कि गुलाम मुस्तफा के पास आईआरसीटीसी के 563 निजी आईडी मिले और उसके पास स्टेट बैंक आफ इंडिया की 2400 शाखाओं और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक की 600 शाखाओं की सूची भी मिली, जहां उसके खाते होने के संदेह हैं। गुलाम मुस्तफा वर्ष 2015 एवं 2016 में टिकटों की दलाली से अपना धंधा शुरू किया था। इसी धंधे में इसे इतना मजा आया कि अंतर्राष्ट्रीय टिकट खिलाड़ी बन गया।

हैकिंग प्रणाली उसके लैपटॉप में पाई गई

बता दें कि दस दिनों से आईबी, स्पेशल ब्यूरो, ईडी, एनआईए और कर्नाटक पुलिस ने मुस्तफा से पूछताछ की है। इस मामले में धनशोधन और आतंकवादी वित्त पोषण का भी संदेह है। उन्होंने कहा कि मुस्तफा ने डार्कनेट तक पहुंच के लिए सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया और लिनक्स आधारित हैकिंग प्रणाली उसके लैपटॉप में पाई गई। देश और विदेशों में शाखाओं वाली एक भारतीय सॉफ्टवेयर कंपनी पर भी नजर रखी जा रही है, जिसके तार गिरोह से जुड़े हैं। उन्होंने कंपनी का नाम बताने से इंकार कर दिया। बहरहाल उन्होंने कहा कि कंपनी ङ्क्षसगापुर में धनशोधन के एक मामले में लिप्त है।

आधार, पैन बनाने का माहिर, कई देशों से जुड़े हैं तार

रेलवे सुरक्षा बल के महानिदेशक अरुण कुमार ने कहा कि मुस्तफा के फोन में कई पाकिस्तानी, बांग्लादेशी, पश्चिम एशिया, इंडोनेशिया और नेपाली नागरिकों के नंबर मिले हैं, साथ ही छह आभासी नंबर भी मिले हैं। यह फर्जी आधार कार्ड, पैन कार्ड बनाने का माहिर भी है। इसके पास से एप्लीकेशन भी मिला है। डीजी ने कहा कि मुस्तफा के लैपटॉप से पता चला कि वह पाकिस्तान के एक धाॢमक समूह का अनुयायी है। उन्होंने कहा कि मुस्तफा के डिजिटल फुटङ्क्षप्रट सरकारी वेबसाइट पर मिले। इस अवैध कारोबार के जरिये प्रति महीने दस से 15 करोड़ रुपये बनाने का संदेह है।

बस्ती का रहने वाला है सरना, गोंडा बम ब्लास्ट का है आरोपी

इस खेल का मास्टर माइंड दुबई में बैठा हुआ है। हामिद अशरफ नाम के इस शख्स ने रेलवे टिकटों की कालाबाजारी के लिए गिरफ्तार किया था। ये उत्तर प्रदेश की बस्ती का रहने वाला है और इस पर 2019 में गोंडा के एक स्कूल में हुए बम ब्लास्ट करने का भी आरोप है। हामिद अशरफ बेल पर रिहा होकर नेपाल के रास्ते संभवत: दुबई भाग गया है। इसी हामिद अशरफ के नीचे भारत में करीब 20 हजार लोग रेलवे के ई-टिकटों की कालाबाजारी का काम करते हैं।

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