सिख पंथ, पार्टी और धार्मिक स्थलों को आजाद कराने का किया ऐलान
-सफर-ए-अकाली लहर कार्यक्रम के माध्यम से तैयार किया नया रोडमैप
–सांसद ढींढसा की मौजूदगी में देशभर के सिख संगठन शामिल
–मनाया अकाली दल का 100वां स्थापना दिवस, प्रस्ताव पारित
(खुशबू पाण्डेय)
नई दिल्ली: शिरोमणी अकाली दल की स्थापना की शताब्दी को लेकर दिल्ली के प्रमुख सिख संगठनों तथा समूह अकाली परिवारों ने राज्यसभा सांसद सरदार सुखदेव सिंह ढींढसा की सरप्रस्ती में पंथ और पार्टी को बचाने, धार्मिक स्थलों को आजाद कराने का ऐलान किया। देशभर से इकट्ठे हुए बागी अकालियों ने राजधानी दिल्ली में अपनी ताकत दिखाई और बादल परिवार के खिलाफ हुंकार भरी।
सफर-ए-अकाली लहर नामक जलसे के दौरान सिख मसलों के मुद्दई के तौर पर अकाली दल के गौरवशाली इतिहास का हिस्सा रहें कई पूर्व सांसद,मंत्री,विधायक, शिरोमणी कमेटी सदस्य,दिल्ली व पटना कमेटी के पूर्व अध्यक्षों सहित सिख स्टूडेंटस फेडरेशन के बड़े नेता एवं सामाजिक हस्तियाँ शामिल हुई। उक्त सिख चिंतकों ने अकाली दल के इतिहास के हवाले से मौजूदा समय में अकाली लहर के पटरी से उतरने के कारण सिख कौम में पैदा हुए भटकाव का हल निकालने का रास्ता खोजने को अकाली दल की स्थापना के मूल लक्ष्य की प्राप्ति के लिए जरूरी बताया।
इस मौके पंथ की बेहतरी के लिए कई अहम् प्रस्ताव भी जयकारों की गूँज में पारित किए गए। 1920 में अकाली दल की स्थापना की दिल्ली से 1919 में शुरू हुई लहर का वक्ताओं ने हवाला देते हुए अखंड कीर्तनी जत्थे के प्रमुख रहें भाई रणधीर सिंह के द्वारा 1919 में वायसराय हाउस, जोकि मौजूदा राष्ट्रपति भवन है की ओर रास्ता निकालने के लिए अंग्रेज हुकूमत के द्वारा गुरुद्वारा रकाबगंज साहिब की दीवार तोडऩे के विरोध में लगाए गए मोर्चे को अकाली लहर के आधार के तौर पर परिभाषित किया।
इस कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए दिल्ली कमेटी के 2 पूर्व अध्यक्षों मनजीत सिंह जीके तथा परमजीत सिंह सरना की क्रमश: जागो पार्टी तथा शिरोमणी अकाली दल (दिल्ली) के द्वारा पूरी तैयारी की गई थी। साथ ही इन्हें बीर खालसा दल सहित अन्य पंथक संगठनों का भी समर्थन प्राप्त था। संसद से सटे मावलंकर हाल में हुए कार्यक्रम में सिख नेताओं ने बादल परिवार के अधीन चल रहें अकाली दल पर पंथ की आवाज को नजरअंदाज करने का आरोप लगाया। साथ ही बादल परिवार के द्वारा अकाली दल की आड़ में अपने पारिवारिक व व्यापारिक हित साधने की बात कही। पिछले दिनों अकाली दल से निष्कासित किए गए राज्यसभा सांसद सुखदेव सिंह ढींढसा व उनके विधायक पुत्र परमिंदर सिंह ढींढसा ने अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल पर अकाली दल को पंथ की नुमाईंदा जत्थेबंदी से पारिवारिक संगठन बनाने का ठीकरा फोड़ा। जागो के महासचिव परमिंदर पाल सिंह ने सभी मेहमानों का स्वागत किया।
देशभर के सिख संगठन पहुंचे
शिरोमणी अकाली दल टकसाली के अध्यक्ष व पूर्व सांसद रणजीत सिंह ब्रहमपुरा, अकाली दल 1920 के अध्यक्ष रविइंदर सिंह,पंजाब विधानसभा के पूर्व स्पीकर बीर दविंदर सिंह,पूर्व मंत्री बलवंत सिंह रामूवालिया,सेवा सिंह सेखवां,सज्जन कुमार के खिलाफ 1984 मामले में प्रमुख गवाह निरप्रीत कौर,परमजीत सिंह सरना,मनजीत सिंह जीके,सिख चिंतक भाई तरसेम सिंह खालसा,बाबा बलजीत सिंह दादूवाल ने इस मौके विचार रखें। ऑल इंडिया सिख स्टूडेंटस फेडरेशन के करनैल सिंह पीरमुहम्मद, मनजीत सिंह भोमा, दिल्ली कमेटी के पूर्व अध्यक्ष हरविंदर सिंह सरना,फेरुमान अकाली दल के अध्यक्ष महंत जसबीर सिंह,पूर्व विधायक रविंदर सिंह ब्रहमपुरा ने भी इस मौके अपनी हाजरी भरी। दिल्ली में अकाली लहर को मजबूत करने वाले पुरातन अकालियों के परिवारों को भी इस मौके सम्मानित किया गया।
सरकार के दरबार में अकाली दल का भाव गिरा
सांसद सुखदेव ढींढसा ने कहा कि हम सबने दुखी होकर पार्टी के पद त्यागे थे। हम सभी ने यह भी तय किया है कि कोई भी सियासी नेता धार्मिक चुनाव नहीं लड़ेगा। ब्रहमपुरा ने कहा कि अकाली दल की नींव में शहीदों का खून लगा है। पर इन्होंने बेड़ा गर्क कर दिया है। इसलिए अकाल तख्त साहिब पर संगत को एकत्रित होकर अकाली दल का नया प्रधान चुनना चाहिए। रामूवालिया ने कहा कि सुखबीर बादल की आँख,दिल,दिमाग व हाथ खराब है, इसलिए बेइमानी करते हंै। सुखबीर की गलत नीतियों की वजह से नौजवानों की अक्ल,नस्ल व फसल खराब हो गई है। यहीं कारण है कि सरकार के दरबार में अकाली दल का भाव गिर गया है।
आजादी के लिए बनाए शहीदी जत्था, पहला सदस्य होंगे : सरना
शिअद दिल्ली अध्यक्ष परमजीत सिंह सरना ने सुझाव दिया कि बादल परिवार से अकाली दल को आजाद करवाने के लिए शहीदी जत्थे बनाए जाए, जिसमें शहीदी देने के लिए शामिल होने वाला मंै पहला सदस्य होंगा। शाहिन बाग में जैसे औरतों ने मोर्चा लगाया है, वैसा मोर्चा दिल्ली में कमेटी को आजाद करवाने के लिए लगाना चाहिए। जीके ने आए हुए सभी नेताओं का स्वागत करते हुए अकाली दल के अस्तित्व को बचाने के लिए सभी को सरगर्म होने का संदेश दिया।
राष्ट्रीय जलसे में 7 प्रस्ताव पारित
इस मौके पारित किए गए 7 प्रस्ताव है। शिरोमणी अकाली दल के गौरवशाली इतिहास की जानकारी नयी पीढ़ी को पूरा साल अलग-अलग तरीकों से उपलब्ध करवाने की कोशिशें की जाएंगी। श्री अकाल तख़्त साहिब, शिरोमणी कमेटी और दिल्ली कमेटी को राजनीतिक प्रभाव से आज़ाद करवाने के लिए संघर्ष किया जायेगा। 1984 सिख हत्याकांड के पीडितों को इंसाफ़ दिलवाने के लिए पूरी तत्परता के साथ कोशिशें की जायेगी। अपनी सजा पूरी कर चुके बंदी सिंहों की रिहाई के लिए राजनीतिक और कानूनी कोशिशें भी की जाएगी। गुरू नानक साहिब जी के पवित्र चरण छोह प्राप्त स्थान गुरुद्वारा ज्ञान गोदरी साहिब,गुरुद्वारा डांगमार साहिब और मंगू मठ को सरकारी कब्ज़े से आज़ाद करवाने के लिए राजनीतिक और कानूनी लड़ाई लडऩे के लिए कोशिशें तेज की जाएंगी।
धार्मिक संस्थानों के चुनाव लडऩे पर रोक लगे
सिख इतिहास की अच्छी तरह जाँच पड़ताल करने के बाद,यकीनी तौर पर मिलावट और कमी रहित बनाने के लिए जत्थेदार श्री अकाल तख़्त साहिब की निगरानी में सिख रिसर्च बोर्ड बना कर इतिहास को डिजिटल तरीको से सुरक्षित करने की माँग की जाती है। राजनीतिक नेताओं के धार्मिक संस्थानों के चुनाव लडऩे पर रोक लगे। शिरोमणी और दिल्ली कमेटी के चुनाव समय से करवाए जाएँ। दिल्ली कमेटी की फोटो वाली नयी वोटर सूची बनाने का कार्य तुरंत शुरू करे दिल्ली सरकार। खालसा पंथ की तरफ से 1947 में देश की आजादी के बाद पंजाब की बेहतरी और कौम की अलग पहचान को बरकरार रखने के लिए आज तक पारित किये गए समूह प्रस्तावों को अमली जामा पहनाने के लिए यह एकत्रता संकल्प लेती है।