–13 जोन और 60 डिविजनों के अधिकारियों जताई आपत्ति
–सरकार के विलय फैसले को बताया एकतरफा फैसला
–प्रधानमंत्री, कैबिनेट सचिव, रेल मंत्री व रेलवे बोर्ड अध्यक्ष को सौंपा ज्ञापन
–बिना किसी संगठन बनाए विरोध शुरू, भेजा 250 पन्नों का ज्ञापन
(ईशा सिंह )
नई दिल्ली : भारतीय रेलवे (Indian Railways) में हुए काडर विलय के खिलाफ अधिकारियों ने विरोध शुरू हो गया है। शुरुआत में दबी जुबान से अधिकारी विलय का विरोध कर रहे थे, लेकिन अब खुलेआम रेल मंत्रालय, रेलवे बोर्ड एवं विलय के खिलाफ उतर गए हैं। इसको लेकर देशभर के रेलवे अधिकारियों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, पीएमओ, रेलमंत्री पीयूष गोयल, डीओपीटी सहित भारत सरकार के सभी प्रमुख लोगों का दरवाजा खटखटाया है। अधिकारियों ने रेलवे सेवा के विभिन्न काडर के विलय के फैसले का विरोध करते हुए इसे एकतरफा फैसला करार दिया है। साथ ही 250 पन्नों का ज्ञापन सरकार को सौंपा है। इसमें भारतीय रेलवे के 13 जोन और 60 डिविजन के सिविल सेवा के अधिकारी शामिल हैं। अधिकारियों ने दावा किया कि इससे रेल परिचालन की सुरक्षा पर असर होगा। सूत्रों के मुताबिक रेलवे की आठ सेवाओं का विलय कर भारतीय रेलवे प्रबंधन सेवा (आईआरएमएस) बनाने का अधिकारी विरोध कर रहे हैं। रेल मंत्रालय के इस प्रस्ताव के खिलाफ एक लिफाफे में ज्ञापन को रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष, रेलमंत्री, काॢमक मंत्रालय के सचिव, कैबिनेट सचिव और यहां तक की प्रधानमंत्री को बुधवार और गुरुवार को भेजा गया।
RPF को मिलेंगे IPC में कार्यवाही के अधिकार
बता दें कि 24 दिसंबर को प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में कैबिनेट कमेटी की मंजूरी मिलने के बाद रेल मंत्री पीयूष गोयल ने पत्रकारों को रेलवे की समस्त आठ कैडर के विलय की जानकारी दी थी। साथ ही बताया था कि दो दिवसीय (सात व आठ दिसंबर) परिवर्तन संगोष्ठी में सभी रेल अधिकारियों की चर्चा के बाद कैडर विलय का निर्णय सर्वसम्मिति से लिया गया। इससे रेलवे में दशकों पुरानी विभागों की लॉबिंग समाप्त होगी। साथ ही रेलवे में तेजी से फैसले होंगे, क्षमता बढ़ेगी और यात्री सुविधाएं बेहतर होंगी। उनके इस दावे के दो हफ्ते बाद ही 13 जोन व 60 डिविजन के अधिकारियों एकतरफा फैसला बताते हुए इसका विरोध शुरू कर दिया है।
सभी सेवाओं के प्रतिनिधियों ने आरोप लगाया कि परिवर्तन संगोष्ठी में 12 समूह बनाए गए थे और प्रत्येक का नेतृत्व महाप्रबंधक (जीएम) कर रहे थे और फैसला सिविल सेवा के मुकाबले अभियंत्रिकी सेवा के अनुकूल लिया गया। ज्ञापन में कहा गया कि करीब 2500 सिविल सेवा के अधिकारी हैं, जो इस विलय से प्रभावित होंगे।
अंबाला डिविजन के प्रतिनिधि ने आरोप लगाया
उत्तर रेलवे के अंबाला डिविजन के प्रतिनिधि ने आरोप लगाया कि सभी महाप्रबंधक अभियंत्रिकी सेवा के थे। समूह के सदस्य भी संबंधित महाप्रबंधक के जोन से लिए गए। केवल महाप्रबंधक को ही बोलने की अनुमति थी। संबंधित महाप्रबंधक द्वारा विपरीत विचार रखने की अनुमति दी गई क्योंकि समूह का सदस्य उसके अधीनस्थ था। वास्तविकता यह है कि महाप्रबंधक की निजी राय को ही समूह का रुख मान लिया गया।
इस आरोप का सभी जोन एवं डिविजन के ज्ञापनों में समर्थन किया गया। ज्ञापन में कहा गया जब असहमति और अलग विचारों को व्यक्त करने की अनुमति ही नहीं दी जाएगी तो कैसे परामर्श प्रक्रिया को लोकतांत्रिक माना जा सकता है जैसी की रेलमंत्री की इच्छा है। सभी प्रतिनिधियों ने रेखांकित किया कि इस कदम से रेल परिचालन की सुरक्षा से समझौता होगा जबकि परिसंपत्ति में खामी से बचने के लिए विशेषज्ञों की जरूरत है।
पदोन्नत अधिकारियों के परिसंघ ने विलय का पुरजोर तरीके से समर्थन कर दिया
रेलवे के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि भारतीय रेलवे के पदोन्नत अधिकारियों के परिसंघ ने पहले ही विलय का पुरजोर तरीके से समर्थन कर दिया है। इस परिसंघ में रेलवे के प्रथम श्रेणी के कुल 8,400 अधिकारियों में से 3,700 अधिकारी शामिल हैं। उन्होंने कहा, मंत्रालय उच्चस्तर पर सिविल सेवा परीक्षा के जरिये आने वाले अधिकारियों को आश्वस्त कर चुका है कि उनके हितों की रक्षा की जाएगी।
सूत्रों के मुताबिक अधिकारियों को ई-मेल के जरिये सुझाव भेजने को कहा गया है और अब तक 900 सुझाव आ चुके हैं और जहां तक ज्ञापन का मामला है तो इससे निर्णय की प्रक्रिया प्रभावित नहीं होगी। सूत्रों ने कहा, ई-मेल के जरिये सुझाव आमंत्रित करना अंतिम फैसला लेने से पहले विचार-विमर्श की वृहद प्रक्रिया है। कैबिनेट सचिव के नेतृत्व में गठित समूह सभी के हितों पर ध्यान देगा।