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Friday, December 27, 2024

1984 Sikh riots : पीड़ितों ने बरसी पर अपने जख्मों को याद किया

नई दिल्ली /अदिति सिंह : दिल्ली में 1984 के सिख विरोधी दंगे में जब सोनिया के माता-पिता एवं उनके चाचाओं की हत्या कर दी गयी थी तब वह महज तीन साल की थीं। सोनिया ने इस दंगे की 40वीं बरसी पर शनिवार को यहां संवाददाता सम्मेलन में कहा कि उस समय 13 साल की रहीं उनकी बड़ी बहन ने उन्हें तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद फैली हिंसा एवं सिख समुदाय के लोगों की हत्या के बारे में बताया। उन्होंने कहा, मैं बस तीन साल की थी मेरी बहन ने मुझे उस घटना के बारे में बताया। उन्होंने यह भी बताया कि कैसे मेरे पिता और चाचाओं को मार डाला गया। आंखों में आंसू लिये सोनिया ने बताया कि कैसे मां-बाप की अनुपस्थिति में उनकी बहन ने उन्हें संभाला। सोनिया अब एक गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) में काम करती हैं और उनके दो बच्चे हैं। इंदिरा गांधी की 31 अक्टूबर, 1984 में उन्हीं के घर में दो अंगरक्षकों -बेअंत सिंह और सतवंत सिंह ने गोली मारकर हत्या कर दी थी।

—वरिष्ठ वकील एच एस फूल्का की मौजूदगी में वृत्तचित्र जारी किया
—‘1984 नरसंहार इंसाफ की अंतहीन खोज’ नामक 20 वृत्तचित्र वीडियो की एक सीरीज जारी

संवाददाता सम्मेलन में वरिष्ठ वकील एच एस फूल्का (Senior Advocate H S Phoolka) ने कहा कि वह और उनकी टीम दंगे की 40 वीं बरसी पर ‘1984 नरसंहार इंसाफ की अंतहीन खोज’ नामक 20 वृत्तचित्र वीडियो की एक सीरीज जारी कर रही है। फूल्का ने बताया कि वृतचित्र वीडियो में दंगों के दौरान बच गये लोगों ने उस समय के अपने अनुभव बताये हैं। शनिवार को 12 वीडियो जारी किए गए।

1984 Sikh riots : पीड़ितों ने बरसी पर अपने जख्मों को याद किया

बाकी वीडियो चंडीगढ़ में नौ नवंबर को जारी किए जाएंगे। फूल्का ने कहा, 1984 की घटनाएं न केवल अनगिनत नागरिकों की हत्या का, बल्कि न्याय के भी दम तोड़ देने का द्योतक हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि संपूर्ण न्याय व्यवस्था ध्वस्त हो गई और ‘आंखों पर पट्टी’ बांधे न्याय की देवी ने दर्शाया कि न्यायाधीश भी अंधे हो गये हैं क्योंकि वे अपने आसपास हो रहे अत्याचारों को देखने में विफल रहे। वरिष्ठ वकील ने कहा, 2017 के पहले उच्चतम न्यायालय ने इस नरसंहार के अपराधियों को दंडित करने में सक्रिय रुचि नहीं ली। लेकिन 2017 में न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा ने मामलों को फिर से खोलने के लिए एक नई विशेष जांच टीम का गठन किया, जो पीड़ितों के लिए न्याय की मांग के प्रति लंबे समय से लंबित प्रतिबद्धता का संकेत है। दंगे के समय अपने छोटे-छोटे बच्चों की देखभाल करने वाली दर्शन कौर ने उस दिन को याद किया जिसने हमेशा के लिए उनकी जिंदगी बदल दी। एक भीड़ उनके घर पहुंची और दर्शन कौर के बार -बार गुहार लगाने के बावजूद उसने हमला कर दिया।

गांधी की मौत का पता चला तब अराजकता फैल गयी

दर्शन कौर असहाय सब देखती रहीं। उन्होंने कहा, हमारे पास टेलीविजन नहीं था, कोई चेतावनी जारी नहीं की गयी थी। अगले दिन (एक नवंबर, 1984 को) जब हमें गांधी की मौत का पता चला तब अराजकता फैल गयी। वे (भीड़) आये और रसायनों से भरी बोतलें हमारे घर पर फेंकी तथा मेरे पति को मुझसे छीनकर ले गये। कौर ने कहा, 40 साल बीत गये और अब भी हम अपने प्रियजनों को लेकर व्यथित हैं। उन्होंने कहा, लेकिन न्याय अब भी दूर है। उन्होंने कहा कि उस दिन का दर्द आज भी उस त्रासदी की याद दिलाता है, जो परिवारों और समुदायों को कभी भी नहीं भरने वाला जख्म दे गया है।

दिल्ली में हुए दंगों में 2,733 लोगों की मौत हुई

नानावटी आयोग की रिपोर्ट (Nanavati Commission Report) के अनुसार, दिल्ली में हुए दंगों में 2,733 लोगों की मौत हुई और इस सिलसिले में 587 प्राथमिकियां दर्ज की गईं। कुल मामलों में से, पुलिस ने लगभग 240 मामलों को यह कहते हुए बंद कर दिया कि इनमें कुछ भी ‘अता-पता’ नहीं चला और लगभग 250 मामलों में लोगों को बरी कर दिया गया।

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