पटना /शीतल झा : बिहार के मुज़फ़्फ़रपुर में सैकड़ों लड़कियों का यौन शोषण का दिल दहलाने वाली घटना सामने आया है। जॉब स्कैंडल के इस घटना में फ़र्ज़ी दस्तावेज और फ़र्ज़ी वेब साईट के ज़रिए सैकड़ों लड़कियों को शिकार बनाया गया। विडंबना देखिए पिछली बार की तरह इस बार भी सुशासन बाबू के राज की पुलिस पीड़िताओं को न्याय दिलाने के जगह उन्हें थाने से बेरंग लौटा दिया। आख़िरकार शोषित लड़की ने न्यायालय का दरवाज़ा खटखटाया। न्यायलय के हस्तछेप के बाद ही एफ़आईआर दर्ज किया गया और मामले की जाँच शुरू की गई।
ग़ौरतलब है कि पूर्व में भी बिहार में गर्ल हॉस्टल में लड़कियों के साथ दुराचार का मामला सामने आया था। उस मामले में भी पुलिस का रवैया नकारात्मक ही थी। मीडिया ट्राइल के बाद एफ़आईआर दर्ज किया गया था और मामले की जाँच शुरू हुई थी। सत्ता से जुड़े कई बड़े नाम सामने आया था।
शोषित लड़कियों की आपबीती प्रकाश में आने के बाद भी प्रशासन सो रहा है, शायद इसलिए ना तो अभी तक कोई हाई लेवल जाँच कमेटी बनाई गई है और ना ही कोई बड़ी कार्यवाही हुई है। हैरत की बात तो यह है कि कई आरोपी अभी भी पुलिस के गिरफ़्त से बाहर है।
“बेटी बचाओ- बेटी पढ़ाओ” का नारा वाली सरकार बलात्कार/यौन शोषण पर ज़्यादातर मौन ही नज़र आती है।
डिजिटल इंडिया की डींग हांकने वाली सरकारें आख़िर कब तक सोशल मीडिया के दुरुपयोग रोकने में बेबस नज़र आती रहेगी। सवाल उठता है कि सोशल मीडिया प्लेटफार्म बिना वेरीफाई किए जॉब पोस्ट कैसे अप्रूव कर देता है ? महँगाइयाँ और बेरोज़गारी तले दबे शोषित लड़कियाँ और उनके परिजन ने भी सोशल प्लेटफार्म में प्रकाशित फ़र्ज़ी विज्ञापन की जाँच नहीं किया और दलालों के जाल में फँस गए।
फ़र्ज़ी कंपनी कैसे बन गई जब सब कुछ ऑनलाइन /डिजिटल है । पूर्व के घटनाओं की तरह इस घटना के तार भी रसूख़ लोगों से जुड़ा तो नहीं है? धीमी गति से चल रही जाँच इस शंका को बल प्रदान कर रहा है।
शोषित लड़कियों से जो राशि ली गई थी, वो अब तक उन्हें वापस क्यों नहीं लौटाया गया? सभी शोषित लड़कियों का मेडिकल क्यों नहीं करवाया गया ? उन पुलिसकर्मियों को निलंबित क्यों नहीं किया गया जिन्होंने एफ़आईआर दर्ज करने से मना कर दिया था? इन सवालों का जवाब जब तक नहीं मिलता तब तक इस जघन्य मामले का निष्पक्ष जाँच होगा भी, इसमें संदेह उठना लाज़मी है।
आख़िरकार कब तक फ़र्ज़ी दस्तावेज, फ़र्ज़ी वेबसाइट और दलालों का दंश समाज को झेलना पड़ेगा।
फर्जी नेटवर्क कंपनी
मुजफ्फरपुर के अहियापुर थाना क्षेत्र के बखरी में फर्जी नेटवर्क कंपनी के नाम पर लड़कियों को झांसा देकर यौन शोषण करने के मामले में पुलिस ने बड़ी कार्रवाई करते हुए मुख्य आरोपी तिलक सिंह को गिरफ़्तार तो कर लिया, लेकिन एक हैरानजनक खुलासा भी किया है। पुलिस का कहना है कि उसकी जांच में अभी तक ऐसी बात सामने नहीं आई कि 100 से ज्यादा लड़कियों का यौन शोषण किया गया है और उनसे मारपीट की गई. यह सब पीड़िता का ही किया धरा है। शादी न होने पर उसने ऐसे सनसनीखेज आरोप लगाए।
मुजफ्फरपुर पुलिस के एसपी सिटी अवधेश दीक्षित के अनुसार, तिलक सिंह समेत 9 लोगों के खिलाफ अहियापुर थाना में यौन शोषण, मारपीट जैसे गंभीर आरोप लगाए गए थे। फिलहाल गोरखपुर से आरोपी तिलक को गिरफ्तार कर लिया गया है। वहीं अन्य की तलाश जारी है।