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Wednesday, March 12, 2025

LokSabha Elections : देश का एक शहर ऐसा जहां मतदान करने को इच्छुक नहीं हैं कारोबारी महिलाएं

इम्फाल/ टीम डिजिटल । मणिपुर में जातीय संघर्ष का प्रभाव राज्य के ऐतिहासिक ‘इमा बाजार’ (‘Ima Bazaar’) पर भी पड़ा है, जहां की महिला कारोबारियों में लोकसभा चुनाव के प्रति उत्साह की कमी साफ नजर आ रही है। यह विश्व में पूरी तरह से महिलाओं द्वारा संचालित एकमात्र बाजार है। राज्य में जारी उथल-पुथल के बीच चुनावी प्रक्रिया की प्रासंगिकता पर सवाल उठाते हुए, विभिन्न बाजार संघों की महिला व्यापारी अपनी एक प्रमुख शिकायत के साथ चुनाव का बहिष्कार करने पर विचार कर रही हैं। उनकी शिकायत है कि देश मणिपुर को भूल गया। इस बाजार में एक दशक से अधिक समय से मछली की दुकान संचालित कर रही 52 वर्षीय नीमा देवी ने कहा हिंसा के 11 महीने बाद भी कोई समाधान नहीं हुआ है और शांति बहाल नहीं हुई है।

मणिपुर : अशांति के बीच चुनाव कराने पर महिला व्यापारियों ने उठाये सवाल
—जातीय संघर्ष का प्रभाव राज्य के ऐतिहासिक ‘इमा बाजार’ पर भी पड़ा है
—महिलाओं को समझाने की कोशिश कर रही हूं लेकिन वे मतदान करने को इच्छुक नहीं

लोग लगातार भय में जी रहे हैं। उन्होंने कहा चुनाव से क्या बदलेगा? देश, सरकार, हर कोई मणिपुर को भूल गया। वहीं, फल और सब्जी विक्रेता देबजानी ने कहा, चुनाव नहीं चाहिए। करीब पांच सौ साल पुराना ‘इमा कीथेल’ बाजार काफी लोकप्रिय है। बाजार तीन बहुमंजिला इमारतों में फैला हुआ है जहां 4,500 से अधिक दुकानें हैं।

LokSabha Elections : देश का एक शहर ऐसा जहां मतदान करने को इच्छुक नहीं हैं कारोबारी महिलाएं

बाजार के इस अनूठे पहलू की अनदेखी नहीं की जा सकती कि हरेक व्यापारी महिला है। यह मशहूर बाजार इस साल गणतंत्र दिवस समारोह में राज्य की झांकी का ‘थीम’ भी था। तीसरी पीढ़ी की बर्तन व्यापारी प्रिया खरैबम ने पूछा, अगर सब कुछ वैसे ही चलना है जैसे चल रहा है, तो हमें चुनावों की आवश्यकता क्यों है? इससे क्या बदल जाएगा? बाजार में व्यापारियों के एक समूह, जिसे मणिपुर कीथेल फांबी अपुनबा लूप कहा जाता है, ने जनता के कल्याण के प्रति सरकारी उपेक्षा का हवाला देते हुए चुनाव-संबंधी गतिविधियों में शामिल होने से दूर रहने का विकल्प चुना है।

LokSabha Elections : देश का एक शहर ऐसा जहां मतदान करने को इच्छुक नहीं हैं कारोबारी महिलाएं

व्यापारियों के संगठन की महासचिव युमनाम इबेयिमा ने कहा चुनाव कराने के फैसले से पता चलता है कि सरकार को जानमाल की कोई चिंता नहीं है। राज्य के लोग पिछले 11 महीनों से दो समुदायों के बीच संघर्ष से उत्पन्न हिंसा को झेल रहे हैं। उन्होंने कहा हिंसा के कारण हमें भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। राज्य में पिछले साल तीन मई को मेइती और आदिवासी कुकी समुदायों के बीच झड़पें शुरू होने के बाद से 200 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है जबकि हजारों लोग बेघर हो गए हैं।

LokSabha Elections : देश का एक शहर ऐसा जहां मतदान करने को इच्छुक नहीं हैं कारोबारी महिलाएं

बाजार में एक अन्य व्यापारी संगठन लुकमैसेलअप की महासचिव असेम निर्मला ने कहा, यह (संकट) के समाधान का वक्त है चुनाव का नहीं। यह चुनाव बहुत गलत समय पर थोपा जा रहा है। उन्होंने कहा, हम इस बारे में विचार कर रहे हैं कि हमें मतदान नहीं करना चाहिए या सरकार के खिलाफ वोट देना चाहिए और दूसरे दलों को एक मौका देना चाहिए। मैं बाजार में महिलाओं को समझाने की कोशिश कर रही हूं लेकिन वे मतदान करने को इच्छुक नहीं हैं। इस बाजार की करीब 75 बुजुर्ग कारोबारियों ने पिछले साल जून में दिल्ली की यात्रा की थी और जंतर मंतर पर धरना देते हुए जातीय आधार पर राज्य के बंटवारे का विरोध किया था। मणिपुर में लोकसभा की दो सीट के लिए चुनाव दो चरणों में, 19 अप्रैल और 26 अप्रैल को होना है।

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