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Thursday, November 21, 2024

Indian Railways : विकसित भारत की रेलवे का ब्ल्यू प्रिंट तैयार, खत्म होगी वेटिंग लिस्ट

नई दिल्ली/ खुशबू पाण्डेय : वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने वर्ष 2024-25 के अंतरिम बजट में विकसित भारत की भारतीय रेलवे के ब्ल्यू प्रिंट को मंजूरी दी है। इसके तहत अगले पांच साल में करीब 11 लाख करोड़ रुपए की लागत से तीन आर्थिक गलियारों के निर्माण किया जाएगा। इसके बाद मालवहन क्षमता दोगुनी और यात्रीवहन क्षमता में एक तिहाई से अधिक की वृद्धि को समायोजित किया जा सकेगा। इस बार के अंतरिम बजट में रेलवे के पूंजीगत व्यय आवंटन दो लाख 52 हजार करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है जो वर्ष 2023-24 के आवंटन दो लाख 40 हजार करोड़ रुपए की तुलना में पांच प्रतिशत अधिक है। संसद में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा पेश अंतरिम बजट में रेलवे के प्रावधानों पर चर्चा करते हुए रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने विस्तार से जानकारी दी। उनके मुताबिक विकसित भारत की रेलवे के ब्ल्यू प्रिंट में यात्रियों की वेटिंग लिस्ट खत्म करना है। इस समय भारतीय रेलवे साल में 700 करोड़ यात्रियों का परिवहन करती है।

-40 हजार डिब्बों को वंदे भारत एवं अमृत भारत मानकों पर बदला जाएगा
-तीन प्रमुख आर्थिक रेल गलियारों की घोषणा, बढ़ेगी रफ्तार
-रेलवे के पूंजीगत व्यय आवंटन दो लाख 52 हजार करोड़ रुपए का प्रावधान
-वर्ष 2023-24 के आवंटन की तुलना में पांच प्रतिशत अधिक है बजट
-मालवहन क्षमता दोगुनी और यात्रीवहन क्षमता में एक तिहाई वृद्धि होगी

इस क्षमता को 1000 करोड़ यात्री प्रति वर्ष के स्तर पर ले जाना है। रेलवे इस समय करीब 1500 अरब टन माल ढुलाई करती है, इसे 3000 अरब टन की ढुलाई के लिए सक्षम बनाना है। नयी प्रौद्योगिकी से यात्रियों के अनुभव को बेहतर बनाना है और संरक्षा सुनिश्चित करनी है। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि इस बजट में रेलवे के विकास को प्रधानमंत्री गतिशक्ति परियोजना के अंतर्गत ले लिया गया है और आर्थिक विकास को बल देने के लिए तीन आर्थिक गलियारों -ऊर्जा, खनिज एवं सीमेंट गलियारा, बंदरगाहों से कनेक्टिविटी के लिए रेल सागर गलियारा और सघन यात्री यातयात वाला अमृत चतुर्भुज गलियारा, को विकसित करने की घोषणा की गयी है। रेल मंत्री ने कहा कि तीनों आर्थिक गलियारों के विकास पर करीब 11 लाख करोड़ रुपए की लागत आयेगी। इसके लिए कुल 434 परियोजनाएं चिह्नित की गयीं हैं। कई परियोजनाओं का एलाइनमेंट तय हो चुका है जबकि कुछ परियोजनाओं को कैबिनेट में स्वीकृति के लिए रखा जाने वाला है। इस प्रकार से इन गलियारों के निर्माण में देरी का कोई सवाल नहीं है। रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि वंदे भारत एक्सप्रेस, अमृत भारत, नमो भारत, मेट्रो रेल देश में यात्रियों को यात्रा का सुखद अनुभव दे रहीं हैं। इसे देखते हुए यह तय किया गया है कि इस समय सेवा में लगे करीब 40 हजार सामान्य कोचों को अमृत भारत एवं वंदे भारत के अनुभवों के आधार पर अपग्रेड किया जाएगा। इनमें शौचालय, सेमीपरमानेंट कपलर, बेहतर सीटें, चार्जिंग प्वाइंट, पानी के लिए सेंसर, सुरक्षा के लिए सीसीटीवी कैमरे आदि लगा कर यात्रियों को बेहतर अनुभव प्रदान किया जाएगा। उन्होंने इस बात से इन्कार किया कि एक्सीलरेशन एवं डिएक्सीलरेशन को वंदे भारत जैसा बनाया जा सकता है।

5 साल में 40 हजार किमी रेललाइन बिछायी जाएगी

रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव के मुताबिक इसके लिए 40 हजार किलोमीटर की रेललाइन बिछायी जाएगी। यह काम आने वाले पांच साल में काम पूरा किया जाएगा। उन्होंने कहा कि ऊर्जा खनिज एवं सीमेंट गलियारे एवं रेल सागर गलियारों पर समेकित योजना बना कर काम किया जाएगा। आरंभ के बिन्दु और गंतव्य के बिन्दु के बीच संपर्क मार्ग को उच्च क्षमता के लिए विकसित किया जाएगा। डबल लाइन में तीसरी एवं चौथी लाइन और चार लाइनें हैं तो पांचवीं एवं छठवीं लाइन बिछायी जाएगी। जरूरत हुई तो नयी लाइन बिछायी जाएगी।

कोई नया मालवहन गलियारा नहीं बनाया जाएगा

रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव ने साफ किया कि कोई नया मालवहन गलियारा नहीं बनाया जाएगा। बल्कि रेलवे के नेटवर्क का समेकित ढंग से विकास किया जाएगा ताकि विकसित ढांचा बहुउद्देश्यीय हो। जहां तक अमृत चतुर्भुज गलियारे की बात है तो चार महानगरों को जोडऩे वाली ग्रांड कोर्ड एवं ग्रांड क्वार्डिलेटेरल लाइनों एवं कुछ अन्य व्यस्ततम मार्गों को भी इसमें जोड़ा जाएगा। इन गलियारों में गाडिय़ों की गति बढ़ाने, सिगनल प्रणाली अपग्रेड करने, कवच लगाने एवं ट्रैक को अपग्रेड करने का काम किया जाएगा।

186 स्टेशनों पर और 170 इंजनों में कवच प्रणाली स्थापित

रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने संरक्षा के बारे में चर्चा करते हुए कहा कि भारत के विकसित ऑटामैटिक ट्रेन प्रोटेक्शन सिस्टम -कवच को लगाने का काम तेजी से चल रहा है। इस समय तक करीब 3040 किलोमीटर ट्रैक पर ओएफसी बिछायी जा चुकी है। 269 टॉवर लग चुके हैं। 186 स्टेशनों पर और 170 इंजनों में कवच प्रणाली के उपकरण लगाये जा चुके हैं। 827 किलोमीटर पटरियों पर भी कवच प्रणाली के उपकरण लगाये जा चुके हैं।

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