नयी दिल्ली/खुशबू पाण्डेय। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू (Draupadi Murmu) ने सोमवार को कहा कि कृषि-खाद्य प्रणाली में महिलाओं के योगदान को मान्यता नहीं दी गई है और इसे अब बदलने की जरूरत है, क्योंकि वे खेत से लेकर थाली तक भोजन पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। उन्होंने कहा कि महिलाओं को कृषि ढांचे के ‘पिरामिड’ में सबसे नीचे रखा जाता है और उन्हें ऊपर आने तथा निर्णय लेने वालों की भूमिका निभाने के अवसर से वंचित किया जाता है। राष्ट्रपति ने कहा कि वास्तव में कोविड-19 वैश्विक महामारी से कृषि-खाद्य प्रणाली और समाज में संरचनात्मक असमानता के बीच मजबूत संबंध सामने आया। उन्होंने कहा, महिलाएं भोजन बोती हैं, उगाती हैं, फसल काटती हैं, संसाधित करती हैं और उसका विपणन करती हैं।
—खेत से लेकर थाली तक भोजन पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती महिलाएं
—सामाजिक मानदंडों द्वारा रोका जाता है उनके योगदान को मान्यता नहीं दी जाती
वे भोजन को खेत से थाली तक लाने में अपरिहार्य भूमिका निभाती हैं, लेकिन अब भी दुनियाभर में उन्हें भेदभावपूर्ण सामाजिक मानदंडों द्वारा रोका जाता है उनके योगदान को मान्यता नहीं दी जाती। मुर्मू ने कृषि क्षेत्र में लैंगिक मुद्दों पर एक वैश्विक सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा, उनकी भूमिका को हाशिए पर रखा जाता है। कृषि-खाद्य प्रणाली की पूरी श्रृंखला में उनके अस्तित्व को नकार दिया गया है। इस कहानी को बदलने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि भारत में बदलाव देखे जा रहे हैं क्योंकि विधायी तथा सरकारी हस्तक्षेपों के माध्यम से महिलाएं अधिक सशक्त हो रही हैं। इस क्षेत्र में महिलाओं के सफल उद्यमी बनने की कई कहानियां हैं।
President Droupadi Murmu inaugurated an International Research Conference on ‘From research to impact: Towards Just and Resilient Agri-Food Systems’ in New Delhi. The President said that the agri-food systems should be resilient and agile so that they can withstand shocks and… pic.twitter.com/R0J4j07OMz
— President of India (@rashtrapatibhvn) October 9, 2023
इस चार दिन के सम्मेलन का आयोजन कंसोर्टियम ऑफ इंटरनेशनल एग्रीकल्चरल रिसर्च सेंटर्स (CGIAR) जेंडर इम्पैक्ट प्लेटफॉर्म और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) द्वारा संयुक्त रूप से किया जा रहा है। राष्ट्रपति ने कहा कि आधुनिक महिलाएं असहाय नहीं बल्कि शक्तिशाली हैं। उन्होंने कृषि-खाद्य प्रणाली को अधिक न्यायसंगत बनाने के लिए न केवल महिला विकास बल्कि महिला नेतृत्व वाले विकास का आह्वान किया। उन्होंने कहा, विडंबना यह है कि जैसे-जैसे हम आधुनिक युग में प्रवेश कर रहे हैं, हम अब भी न्यायसंगत और जुझारू कृषि-खाद्य प्रणाली बनाने में कई चुनौतियों से जूझ रहे हैं। राष्ट्रपति ने कहा कि हालांकि कृषि क्षेत्र ने कोविड-19 के दौरान जुझारू क्षमता दिखाई, लेकिन वैश्विक महामारी कृषि-खाद्य प्रणाली और समाज में संरचनात्मक असमानता के बीच एक मजबूत संबंध को सामने लेकर आई है। उन्होंने कहा, वैश्विक स्तर पर हमने देखा कि महिलाओं को लंबे समय से कृषि-खाद्य प्रणालियों से बाहर रखा गया है। उदाहरण के लिए महिलाएं अवैतनिक श्रमिक, खेत जोतने वाली, किसान हैं लेकिन जमीन की मालिक नहीं हैं। राष्ट्रपति ने इस बात पर जोर दिया कि कोविड-19, संघर्ष तथा जलवायु परिवर्तन के संकट ने कृषि-खाद्य प्रणाली की चुनौतियों को बढ़ाया है। उन्होंने कहा, जलवायु परिवर्तन एक बड़ा खतरा है और समय हाथ से निकलता जा रहा है। हमें अब तेजी से काम करने की जरूरत है। राष्ट्रपति ने कहा कि एक तरफ जलवायु परिवर्तन और प्रजातियों के विलुप्त होने से खाद्य उत्पादन प्रभावित हो रहा है, दूसरी तरफ कृषि-खाद्य चक्र अस्थिर और पर्यावरण अनुकूल नहीं है। उन्होंने कहा कि कृषि को केवल व्यावसायिक आधार पर बढ़ावा नहीं दिया जा सकता क्योंकि इसका सामाजिक दायित्व मानवता के अस्तित्व के लिए महत्वपूर्ण है। मुर्मू ने कहा कि सरकार ने ‘वोकल फॉर लोकल’ का आह्वान किया है और इसे कृषि-खाद्य प्रणाली में भी अपनाने की जरूरत है।
महिलाओं ने कृषि वृद्धि में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई : तोमर
इस अवसर पर कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि महिलाओं ने देश की कृषि वृद्धि में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। सीजीआईएआर के कार्यकारी प्रबंध निदेशक एंड्रयू कैंपबेल ने कहा कि संकट के समय पुरुषों की तुलना में महिलाओं के खाद्य असुरक्षा से अधिक प्रभावित होने की आशंका रहती है। महिलाएं और लड़कियां जलवायु परिवर्तन, कोविड-19 तथा संघर्ष से पुरुषों से अधिक प्रभावित हैं। सीजीआईएआर जेंडर इम्पैक्ट प्लेटफॉर्म के निदेशक निकोलिन डी हान ने कहा कि महिलाओं को नेतृत्व करने और खाद्य प्रणालियों से लाभ उठाने के अवसरों से बाहर रखा गया है। कृषि राज्यमंत्री कैलाश चौधरी तथा शोभा करंदलाजे और कृषि सचिव मनोज आहूजा भी इस कार्यक्रम में उपस्थित रहे।