जयपुर /खुशबू पाण्डेय। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ (Jagdeep Dhankhar) ने सोमवार को कहा कि वो दिन दूर नहीं जब संविधान संशोधन के जरिये संसद और विधानसभाओं में महिलाओं को उचित प्रतिनिधित्व मिलेगा। धनखड़ ने सोमवार को जयपुर में राजस्थान विश्वविद्यालय (University of Rajasthan) से संबंध महारानी महाविद्यालय की छात्राओं के साथ राष्ट्र निर्माण में महिलाओं की भागीदारी विषय पर संवाद कार्यक्रम में भाग लिया। छात्राओं से संवाद के दौरान उपराष्ट्रपति धनखड़ ने कहा कि महिलाओं के लिए आसमान ही सीमा है, वे हर क्षेत्र में – प्रशासन, सेना, कॉरपोरेट में सफलता के नए प्रतिमान गढ़ रही हैं। उन्होंने महिलाओं को कहा कि अपने निर्णय स्वयं लें और आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनें। पुरुषों की नकल मत कीजिए, वे आपसे श्रेष्ठ नहीं हैं, अपने आपको मौलिक रखिये। धनखड़ ने छात्राओं को तीन मंत्र दिए – पहला, कभी टेंशन मत लीजिये, टेंशन लेने से कुछ नहीं होता। दूसरा, असफलता से कभी मत डरिये और तीसरा यह कि आपके दिमाग मे कोई अच्छा विचार आये तो उसे केवल दिमाग मे मत रखे रखिये बल्कि जमीन पर लागू करिये। उपराष्ट्रपति ने युवाओं से अति-प्रतिस्पर्धा में ना पड़ने की अपील करते हुए कहा कि उन्हें अपनी रुचि के अनुसार कैरियर के चुनाव करना चाहिए। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि अब वो दिन दूर नहीं जब संविधान में संशोधन करके संसद और विधान सभाओं में महिलाओं को उनका उचित प्रतिनिधित्व मिलेगा। यदि महिलाओं को ये आरक्षण जल्दी मिल गया तो भारत 2047 से पहले ही विश्व शक्ति बन जायेगा।
—महिलाएं हर क्षेत्र प्रशासन, सेना, कॉरपोरेट में सफलता के नए प्रतिमान गढ़ रही
—महिलाओं से आह्वान, आगे बढ़कर राष्ट्र की प्रगति में योगदान देना होगा
—नारी शक्ति के आधार पर भारत दुनिया को बदलेगा : उपराष्ट्रपति
महिला शिक्षा पर बल देते हुए धनखड़ ने कहा कि लड़के को पढ़ाने से एक परिवार ही तरक्की करता है, लेकिन यदि हम एक लड़की को पढ़ाते हैं तो कई परिवार शिक्षित होते हैं। एक छात्रा द्वारा महिला सुरक्षा पर पूछे गए प्रश्न के उत्तर में धनखड़ ने कहा कि यह केवल सरकारी तंत्र का ही काम नहीं है बल्कि महिलाओं के लिए सुरक्षित वातावरण तैयार करने में समाज, व्यक्ति और संस्थानों को मिलकर प्रयास करने होंगे।
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उन्होंने कहा, हर सक्षम व्यक्ति यह निश्चय करे कि मैं इस विषय पर अपना योगदान करूंगा। असामाजिक तत्वों से सख्ती से निपटने पर बल देते हुए उन्होंने खुशी व्यक्त की की हम अंग्रेजों की बनायी दंड संहिता को बदल रहे हैं। धनखड़ ने कहा, मेरे जीवन में एक ही ताकत है – मेरी नानी, दादी, मेरी मां और मेरी धर्मपत्नी। पांच दशक के सार्वजनिक जीवन मे अनेक उतार चढ़ाव आये, लेकिन ये महिलाएं मेरे पीछे चट्टान के समान अडिग खड़ी रहीं। महिलाओं के प्रति दृष्टिकोण में आ रहे बदलाव को रेखांकित करते हुए धनखड ने कहा कि उन्होंने राज्य सभा मे चेयरमैन की जगह जेंडर न्यूट्रल शब्द चेयरपर्सन को बढ़ावा दिया है।
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उन्होंने कहा अब पेनल आफ वाइस चेयरमेन की जगह पेनल आफ वाइस चेयरपर्सन’ शब्द का प्रयोग किया जाता है। धनखड़ ने आगे बताया, मैंने पहली बार राज्य सभा के उपसभापति पैनल में पचास फीसदी महिलाओं की नियुक्ति की है और उनका प्रदर्शन उत्कृष्ट रहा है। राज्यसभा में महिला सशक्तीकरण (women empowerment) हेतु उठाये अन्य कदमों के विवरण देते हुए धनखड़ ने कहा, मैं जब भी देश-विदेश की यात्रा के लिए डेलिगेशन के नामों का निर्णय करता हूँ तो उसमें महिलाओं को प्राथमिकता देता हूँ ताकि जिन लोगों को अभी तक बाहर जाने का मौका नहीं मिला था, उन्हें भी अवसर मिले।
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उपराष्ट्रपति ने कहा कि महिलाओं की प्रगति में रुकावट पैदा करने के अनेक प्रयास हुए हैं लेकिन अब समाज का दृष्टिकोण बदल रहा है। 2019 में पहली बार लोकसभा में 78 महिला सांसद निर्वाचित होकर आयी हैं। विश्व महिलाओं के योगदान के बिना प्रगति नहीं कर सकता। चंद्रयान और आदित्य मिशन की सफलता में महिला वैज्ञानिकों की भूमिका की सराहना करते हुए धनखड़ ने कहा कि इसी नारी शक्ति के आधार पर भारत दुनिया को बदलेगा। उपराष्ट्रपति ने कहा कि भारत का डंका आज पूरी दुनिया में बीज रहा है। उन्होंने कहा, मैंने अपनी विदेश यात्राओं के दौरान देखा है कि भारत के प्रतिनिधि को बहुत सम्मान की नजर से देखा जाता है।
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दस वर्ष पूर्व हमारी गिनती कमजोर पांच में होती थी और आज हम विश्व की टॉप फाइव अर्थव्यवस्था हैं और शीघ्र ही हम तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होंगे। उपराष्ट्रपति ने उपस्थित छात्राओं से प्रश्न किया कि ऐसे ‘मजबूत भारत’ को क्यों कुछ लोग ‘मजबूर भारत’ दिखाना चाहते हैं? सोशल मीडिया के इस दौर में आप शांत मत बैठिये बल्कि ऐसे लोगों को जवाब दीजिये जो हमारे देश और संस्थाओं पर कालिख पोतने का काम करते हैं। उपराष्ट्रपति ने महिलाओं से आह्वान करते हुए कहा कि आप देश में 50 फीसदी हैं, आपको आगे बढ़कर राष्ट्र की प्रगति में योगदान देना होगा। उन्होंने यह भी कहा कि हमें भारतीय होने पर गर्व होना चाहिये, भारत की ऐतिहासिक उपलब्धियों पर गर्व करना चाहिए, और राष्ट्रहित को सर्वोपरि रखना चाहिए।
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बिजली, पानी, पेट्रोल जैसे प्राकृतिक संसाधनों का अपव्यय रोकने पर बल देते हुए धनखड़ ने कहा, हम इन संसाधनों के ट्रस्टी हैं और इनका प्रयोग आवश्यकता के अनुसार करना चाहिए, ऐसा न हो कि कोई अमीर है तो अनावश्यक पेट्रोल फूंके। उपराष्ट्रपति ने युवाओं से अपील की कि मौलिक अधिकारों के साथ साथ वे मौलिक कर्तव्यों को भी अमल में लायें। आर्थिक राष्ट्रवाद पर बल देते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि थोड़े से पैसों के लाभ के लिए हमें आर्थिक राष्ट्रवाद से समझौता नहीं करना चाहिए। उन्होंने प्रश्न किया कि खिलौने और दीवाली के दिये जैसी चीजें बाहर से क्यों आनी चाहिए?