नई दिल्ली/ खुशबू पाण्डेय: महिला एवं बाल विकास मंत्रालय (Ministry of Women and Child Development) ने निर्भया कोष (Nirbhaya Fund) के अंतर्गत बलात्कार, सामूहिक बलात्कार पीड़ितों और गर्भवती होने वाली नाबालिग बालिकाओं (minor girls) को न्याय दिलाने की प्रक्रिया के दौरान उनकी देखभाल और सहायता के लिए 74.10 करोड़ रुपये की योजना शुरू की। इस योजना का उद्देश्य उन नाबालिग लड़कियों को आश्रय, भोजन, दैनिक आवश्यकताओं की पूर्ति, न्यायालय की सुनवाई में भाग लेने के लिए सुरक्षित परिवहन और कानूनी सहायता प्रदान करना है, जिन्हें बलात्कार/सामूहिक बलात्कार (gang rape) या किसी अन्य कारण से जबरन गर्भधारण के कारण परिवार द्वारा छोड़ दिया गया है और उनके पास अपना भरण-पोषण करने के लिए कोई अन्य साधन नहीं है।
वर्ष 2021 में, राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो ने पोक्सो अधिनियम के तहत 51,863 मामले दर्ज किए। इनमें से 64 प्रतिशत (33,348) मामले धारा 3 (पेनेट्रेटिव सेक्सुअल असॉल्ट) और धारा 5 (ऐग्रवेट पेनेट्रेटिव सेक्सुअल असॉल्ट) के तहत दर्ज किए गए।
इस डेटा के विश्लेषण से पता चलता है कि अधिनियम की धारा 3 और 5 के तहत दर्ज किए गए कुल 33,348 अपराधों में से 99 प्रतिशत (33.036) अपराध बालिकाओं के साथ हुए है। इनमें से कई मामलों में, बालिकाएं गर्भवती (girls pregnant) हो जाती हैं और कई शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से जूझती हैं। ये समस्याएं उस समय और भी बढ़ जाती हैं जब उन्हें अपने ही परिवारों द्वारा अस्वीकार कर दिया जाता है, त्याग दिया जाता है अथवा वे अनाथ हो जाती हैं।
योजना के उद्देश्य हैं:
1. पीड़ित बालिकाओं को एक ही मंच पर समर्थन और सहायता प्रदान करना
2. शिक्षा, पुलिस सहायता, चिकित्सा (मातृत्व, नवजात शिशु और शिशु देखभाल सहित), मनोवैज्ञानिक और मानसिक परामर्श, कानूनी सहायता और बालिकाओं के लिए बीमा कवर सहित तत्काल आपातकालीन और गैर-आपातकालीन पहुंच की सुविधा प्रदान करना ताकि पीड़िता और उसके नवजात शिशु को एक ही मंच पर न्याय और पुनर्वास संबंधी सहायता मिल सके।
पात्रता मानदंड
• 18 वर्ष से कम आयु की पीड़िता:
• पेनेट्रेटिव सेक्सुअल असॉल्ट– पोक्सो अधिनियम की धारा 3,
• ऐग्रवेट पेनेट्रेटिव सेक्सुअल असॉल्ट- पोक्सो अधिनियम की धारा 5,
• भारतीय दंड संहिता, 1860 (आईपीसी) की धारा 376, 376ए-ई
• और इस तरह के दुष्कर्म के कारण यदि बालिका गर्भवती हो गई है तो योजना का लाभ दिया जाता है। ऐसी बालिका;
• एक अनाथ हो या
• परिवार द्वारा त्याग दिया गया हो
• परिवार के साथ नहीं रहना चाहती हो
इस योजना के तहत लाभ प्राप्त करने के लिए पीड़ित बालिका के पास एफआईआर की प्रति होना अनिवार्य नहीं है। हालांकि, योजना को लागू करने के लिए यह सुनिश्चित करना जिम्मेदार व्यक्तियों का दायित्व होगा कि पुलिस को जानकारी प्रदान की जाए और एफआईआर दर्ज की जाए।
बाल गृह द्वारा पालन की जाने वाली प्रक्रिया
बालिका गृह का प्रभारी व्यक्ति पीड़ित बालिका के लिए एक अलग सुरक्षित स्थान प्रदान करेगा क्योंकि उसकी आवश्यकताएं गृह में रहने वाले अन्य बच्चों से भिन्न हैं। इस बालिका की देखभाल के लिए प्रभारी व्यक्ति द्वारा तुरंत मामले से संबंधित एक कर्मी को नियुक्त किया जाएगा। पीड़िता की देखभाल और सुरक्षा के लिए गृह को अलग से धनराशि उपलब्ध कराई जाएगी। मिशन वात्सल्य दिशा-निर्देशों के तहत पोक्सो पीड़िताओं के उचित पुनर्वास और समर्थन के लिए प्रावधान भी किए जाएंगे।