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Sunday, December 22, 2024

Population Day: देश में बढ़ती आबादी पर रोक जरूरी

(भावना ठाकर ‘भावु’)
हमारे देश की आबादी देखकर 11 जुलाई विश्व जनसंख्या दिवस पर कुछ भी लिखते हुए कलम ड़गमगा जाती है, जहाँ नज़र जाए बस मानव समुन्दर लहरा रहा है। ऐसे में देश कहाँ से उपर उठेगा? देश को हर लिहाज से उपर उठाना है तो बढ़ती आबादी पर रोक लगानी होगी।
बच्चें पैदा कर देना कोई बड़ी उपलब्धि नहीं! पैदा करके उसे अच्छी परवरिश देना  जरूरी है। छोटा परिवार सुखी परिवार  सरकार ने परिवार नियोजन के लिए ये जो स्लोगन रखा है वो एकदम सार्थक है।
भारत देश तेजी से उभरता हुआ देश है। विकास की राह पर भी आगे बढ़ रहा है लेकिन आने वाले समय में आबादी और अधिक होगी।
दुनिया भर के कई देशों में बच्चों को ईश्वर का उपहार समझ कर लोग जनसंख्या बढ़ाते जाते हैं। कुछ धार्मिक समुदायों में तो बच्चों को ईश्वर की देन समझकर जनसंख्या रोकने पर कोई उपाय ही नहीं किया जाता। कई देशों में लोग बेटों को धन कमाने का जरिया समझते हैं। जिसकी वजह से बेटे की चाहत में जनसंख्या बढ़ती चली जाती है।
हर साल 11 जुलाई को पूरे विश्व में जनसंख्या दिवस मनाया जाता है। इस दिन को मनाने का उद्देश्य यह है कि, दुनिया के प्रत्येक व्यक्ति बढ़ती जनसंख्या की ओर अवश्य ध्यान दें और जनसंख्या को कंट्रोल करने में अपना योगदान भी अवश्य करें। इस दिन राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर जुंबेश चलाई जाती है ताकि जनता जागरूक हो और जनसंख्या पर कंट्रोल कर सकें। जनसंख्या वृद्धि विश्व के कई देशों के सामने बड़ी समस्या का रूप ले चुकी है, खासकर विकासशील देशों में जनसंख्या विस्फोट’ गहरी चिंता का विषय है।
चीन के बाद भारत जनसंख्या के मामले में विश्व में दूसरे नंबर पर था जो आज चीन से आगे निकल चुका है। अगर भारत की जनसंख्या इसी दर से बढ़ती रही तो भारत विकास के मामले में गिरता जाएगा।
11 जुलाई, 1987 में विश्व की जनसंख्या 5 अरब को पार कर गई थी। तब संयुक्त राष्ट्र ने जनसंख्या वृद्धि को लेकर दुनिया भर में जागरूकता फैलाने के लिए ‘विश्व जनसंख्या दिवस’ मनाने का निर्णय लिया था पर किसे इस चिंता जनक मुद्दे की परवाह है? देश के अहम मुद्दों से भटक रही सरकार धर्म और जात-पात के मसलों में अटकी पड़ी है, पर देश का सबसे बड़ा और चिंता जनक मसला देश की बढ़ती आबादी है। पोप्युलेशन के मामले में भारत ने चीन को धोबी पछाड़ दे दी। भारतवासियों से ज़्यादा एक दिन और सारे देशों के लोगों डेरा तंबू जमाकर भारत को अपना देश बताने लगेंगे। न जानें कहाँ-कहाँ से भारत में घूस आते है। भारत की आबादी को देखें तो दिन दुगनी रात चौगुनी बढ़ती जा रही है। क्या यह सब भारतीय ही है? बिलकुल नहीं भारत में अतरंगी प्रजा का मेला लगा हुआ है। वामपंथी, बांग्लादेशी, नेपाली, रोहिंगिया और न जानें कहाँ-कहाँ के लोग देखने को मिल रहे है। आख़िर यह लोग कैसे हमारे देश में घूस जाते है? सीमाओं पर क्या कोई पहरा नहीं, कोई कानून नहीं, कोई रोकटोक नहीं। अब कैसे पता चलेगा कौनसे लोग कौनसी गतिविधियों में शामिल है। ऐसे लोगों का न राशन कार्ड वैलिड होता है, न आधार कार्ड सारे नकली डाॅक्यूमेंटस के आधार पर भारत में अपना अड्डा जमाकर बैठे होते है। आज देश में गरीबी, भुखमरी और बेरोजगारी अपना मुँह फ़ाडकर खड़ी है। बाहर से आए ऐसे ही लोगों की वजह से पोप्यूलेशन चरम छू रहा है। सरकार को सबसे पहले बाहर से आए ऐसे लोगों को सही जाँच पड़ताल करके देश से तड़ीपार करना चाहिए। देश की 30% आबादी कम हो जाएगी। क्यूँ ऐसे मुद्दों तक सरकार की सोच नहीं जाती। बढ़ती आबादी आम आदमी की जिंदगी पर भारी पड़ रही है। मंहगाई और बेरोजगारी देश के भविष्य को पतन की ओर ले जा रही है।
देश के युवाओं को शिक्षा और रोज़गार दो, उनको लक्ष्य की प्राप्त करने की सही दिशा दिखाने की जरूरत है। गैर मुल्क का एक भी आदमी देश में बिना वजह न आने पाए ऐसी कोई तो व्यवस्था होनी चाहिए, तभी देश की आबादी पर रोक लगेगी, तभी देश में शांति रहेगी और तभी देश उपर उठेगा। बाकी जिस देश की मिट्टी में जिसने जन्म नहीं लिया उन्हें देश को जलाने में कोई मलाल नहीं होगा। देश को वही प्यार कर सकता है जो इस देश में जन्मा है। बद से बदतर होते जा रहे हालातों पर समझदारी दिखाकर जनसंख्या नियंत्रण बिल का जल्दी से जल्दी अमल करने की जरूरत है। और यही जागरूकता मानव समाज की नई पीढ़ियों को बेहतर जीवन देने का संदेश देगी। बच्चों को बेहतर शिक्षा, स्वास्थ्य, वातावरण सहित अन्य आवश्यक सुविधाएँ भविष्य में देने के लिए छोटे परिवार की महत्ता हर दंपत्ति को समझनी चाहिए। ‘विश्व जनसंख्या दिवस’ की महत्ता को समझा जाए।

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