19.1 C
New Delhi
Friday, November 22, 2024

नर्मदा बचाओ आंदोलन में अनशन पर बैठी महिलाएं

—नर्मदा चुनौती अनिश्चितकालीन सत्याग्रह
—मेधा पाटकर भी अनशन पर बैठी

बडवानी | नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेत्री मेधा पाटकर जी के द्वारा नर्मदा चुनौती अनिश्चितकालीन सत्याग्रह, नर्मदा किनारे छोटा बड़दा में दुसरे दिन भी जारी रहा | 192 गांव और एक नगर को बिना पुनर्वास डूबाने की केंद्र और गुजरात सरकार के विरोध में किया जा रहा है | जबकि आज सरदार सरोवर बांध से प्रभावित 192 गांव और एक नगर में 32,000 परिवार निवासरत है ऐसी स्थिति में बांध में 138.68 मीटर पानी भरने से 192 गांव और 1 नगर की जल हत्या होगी |

आज बांध में 134 मीटर पानी भरने से कई गांव /जलमग्न हो गये हैं हजारों हेक्टर जमीन डूब गई है जिनका भी सर्वोच्च अदालत के फैसले अनुसार 60 लाख रूपये मिलना बाकी है कई घरों का भू – अर्जन होना बाकी है और ऐसी स्थिति में लोगों को बिना पुनर्वास डूबाया जा रहा है |

आज छोटा बडदा का कोली समाज का मोहल्ला जहां अभी अभी 5 लोगों की रेत खनन में मौत हुई है अभी तक उनको भरपाई भी नहीं मिली है | उसी मोहल्ले का अनवर जो कायम रैली में आकर बताता आया है हमारा मोहल्ला भी डूबने से बचेगा नहीं, हमारे मोहल्ले को अभी डूब से बाहर कर दिया गया है हमने इसके लिए आवेदन भी दिया लेकिन कोई कार्यवाही नहीं की गई है आज हमारे मोहल्ले के करीब पानी आ गया है |

हमने गांव गांव का सर्वेक्षण किया सरकार को आवेदन भी दिया लेकिन ऐसे ही 15 साल निकल गए सरकार सर्वेक्षण करने की क्षमता ही नहीं इच्छाशक्ति भी नहीं | आज भी गांव गांव की जो मांगे प्रलंबित है वो अगर सर्वेक्षण के द्वारा पूरी नहीं करेंगे तो कई सारी हजारों हेक्टर खेती डूब जायेगी या टापू बन जायेगी वो भी बिना भूअर्जन के या नुकसान भरपाई के बगेर | ऐसी स्थिति में की निमाड़ के लोगों की एक मात्र आजीविका जो खेती है उससे किसान ही नहीं उससे जुड़े मजदुर भी अपनी आजीविका खो देंगे | बाजार भी भंगार हो जायेंगे | कईयों को वैकल्पिक भूखंड मिला है लेकिन घर बंधने के लिए मुआबजा नहीं मिला और जो हजारों करोड़ो का घर प्लाँट आबंटन में भ्रष्टाचार हुआ है यह बात भी झा कमिशन में कही गई है | कई प्लांट मिला है तो दुसरे का कब्जा है तो एक ही प्लाँट दो लोगों को मिला है, तो कईयों को प्लाँट मिलना बाकी है |

पिछले 15 साल से जो सरकार मध्यप्रदेश में थी उसी की करतूत है की 2008 से जीरो बैलेंस के शपथ पत्र न्यायालय में देती रही , लेकिन आज की सरकार ने माना की नर्मदा घाटी में 6000 परिवार निवासरत है लेकिन हमारा मानना है की आज भी नर्मदा घाटी में 32,000 परिवार निवासरत है | आज की सरकार ने हमारी बात तो सूनी पर 08 महीनों में काम युद्ध स्तर पर आगे नहीं बढ़ा | आज भी वही स्थिति है पूर्व की सरकार ने जो भी किया उसे सामने लाकर मध्यप्रदेश सरकार को गुजरात और केंद्र सरकार से कड़ा सामना करते हुए बांध के गेट खुलवाना चाहिए और पुनर्वास का काम तत्काल करना चाहिए |

ऐसे ही हर बांध में गांव गांव की हत्या होती रही क्योंकि विकास की आवधारणा भी गलत है ऐसी स्थति में क्या मध्यप्रदेश सरकार अपने लोगों को बिना पुनर्वास डूबने से रोक पायेगी |हजारों परिवारों का सम्पूर्ण पुनर्वास भी मध्य प्रदेश में अधूरा है, पुनर्वास स्थलों पर कानूनन सुविधाएँ नही है। ऐसे में विस्थापित अपने मूल गाँव में खेती, आजीविका डूबते देख संघर्ष कर रहे है। ऐसे में आज की मध्य प्रदेश सरकार लोगो का साथ नही छोड़ सकती । ऐसा हमारा विश्वास है।

मघ्यप्रदेश के मुख्य सचिव द्वारा नर्मदा नियंत्रण प्राधिकरण NCA को भेजे गये 27.05.2019 के पत्र अनुसार 76 गांवों में 6000 परिवार डूब क्षेत्र में निवासरत है। 8500 अर्जियां तथा 2952 खेती या 60 लाख की पात्रता के लिए अर्जियाँ लंबित है।

6000 परिवार, 76 गाँव, 32000 परिवार निवासरत

नर्मदा बचाओ आंदोलन के अनुसार 6000 परिवार और 76 गाँव ही नहीं, काफी अधिक मात्रा में (करीबन 32000 परिवार) निवासरत है। गांवो में विकल्प में अधिकार न पाये दुकान, छोटे उद्योग, कारीगरी, केवट, कुम्हार तो डूब लाकर क्या इन गांवों की हत्या करने दे सकते है?

इन मुद्दों पर कार्य बहुत धीमी गति से आगे बढ़ा है। आज तुरंत सही प्रक्रिया अपनाना जरुरी है क्योंकि पिछले 15 सालों में काफी गड़बड़ी, धांधली, झूठे रिपोर्ट और भ्रष्टाचार चला है। आज भी दुर्देव से भ्रष्टाचारियों को रोका नहीं गया है। पूर्व शासन से सर्वोच्च या उच्च अदालत में प्रस्तुत याचिकाएँ वापस करने के आश्वासनों की पूर्ति आज तक नहीं हुई है ।

latest news

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Related Articles

epaper

Latest Articles