नई दिल्ली/ खुशबू पाण्डेय : केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (Central Board of Secondary Education) ने शुक्रवार को 12वीं कक्षा के परीक्षा परिणाम घोषित कर दिए और 87.33 प्रतिशत विद्यार्थियों ने इस बार सफलता हासिल की है जो पिछले साल के मुकाबले 5.38 प्रतिशत कम है। इस साल 12वीं कक्षा में 90 और 95 प्रतिशत से अधिक अंक लाने वाले विद्यार्थियों की संख्या में भी पिछले साल के मुकाबले गिरावट आई है। सीबीएसई (CBSE) अधिकारियों का हालांकि, कहना है कि पिछले शैक्षणिक सत्र से तुलना करना उचित नहीं होगा क्योंकि महामारी की वजह से पिछले सत्र को दो टर्म में विभाजित किया गया था। बोर्ड के मुताबिक इस साल 12वीं कक्षा में 87.33 प्रतिशत विद्यार्थी उत्तीर्ण हुए हैं जो पिछले साल 92.71 उत्तीर्ण प्रतिशत से कम है। हालांकि, वर्ष 2019 (कोविड महामारी के पूर्व के शैक्षणिक सत्र) के उत्तीर्ण प्रतिशत 83.40 के मुकाबले यह अधिक है।
इस साल 12वीं कक्षा में 87.33 प्रतिशत विद्यार्थी उत्तीर्ण हुए
—इस बार फिर लड़कियों ने उत्तीर्ण प्रतिशत के मामले में लड़कों से बाजी मारी
—12वीं कक्षा में 1,12,838 विद्यार्थियों ने 90 प्रतिशत से अधिक अंक प्राप्त किए
इस बार फिर लड़कियों ने उत्तीर्ण प्रतिशत के मामले में लड़कों से बाजी मारी हैं। उनका उत्तीर्ण प्रतिशत लड़कों के मुकाबले छह प्रतिशत अधिक है। CBSE बोर्ड ने साथ ही घोषणा की कि अस्वस्थ प्रतिस्पर्धा से बचने के लिए कोई मेधा सूची जारी नहीं की जाएगी। अधिकारियों ने बताया कि बोर्ड ने विद्यार्थियों के अंकों के आधार पर उन्हें प्रथम, द्वितीय तथा तृतीय श्रेणी देने की प्रक्रिया से दूर रहने का भी फैसला किया है। बोर्ड के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, सीबीएसई विद्यार्थियों के बीच अस्वस्थ प्रतिस्पर्धा से बचने के लिए कोई मेधा सूची घोषित नहीं करेगा। हालांकि, बोर्ड 0.1 प्रतिशत विद्यार्थियों को मेरिट प्रमाणपत्र जारी करेगा जिन्होंने विभिन्न विषयों में सर्वाधिक अंक हासिल किए हैं। सीबीएसई (CBSE) नतीजों के मुताबिक 12वीं कक्षा में 1,12,838 विद्यार्थियों ने 90 प्रतिशत से अधिक अंक प्राप्त किए जबकि 22,622 विद्यार्थी 95 प्रतिशत से अधिक अंक प्राप्त करने में सफल रहे हैं।
बोर्ड के मुताबिक 12वीं कक्षा में 90 प्रतिशत से अधिक अंक लाने वाले विद्यार्थियों में 271 विशेष आवश्यकता वाले बच्चे (CSWN) हैं जबकि इसी श्रेणी के 44 बच्चों ने 95 प्रतिशत से अधिक अंक प्राप्त किया है। पिछले साल 1,34,797 विद्यार्थियों ने 12वीं कक्षा में 90 प्रतिशत से अधिक अंक प्राप्त किया था और 33,432 विद्यार्थियों ने 95 प्रतिशत से अधिक अंक प्राप्त किया था। हालांकि, वर्ष 2019 (कोविड महामारी आने से पूर्व के शैक्षणिक सत्र) में क्रमश: 90 और 95 प्रतिशत से अधिक अंक प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों की संख्या 94,299 और 17,693 थी। बोर्ड के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, पिछले शैक्षणिक सत्र के दौरान दो भागों में परीक्षा ली गई थी और पाठ्यक्रम को महामारी के मद्देनजर एकमुश्त राहत के तहत दो टर्म में विभाजित किया गया था। इस साल, बोर्ड की परीक्षा वार्षिक एक टर्म के तहत हुई जैसा कि महामारी से पहले कराई जाती थी और विद्यार्थियों ने एक ही बार में पूरे पाठ्यक्रम की परीक्षा दी। उन्होंने कहा, इसलिए, महामारी के पूर्व के सालों से ही तुलना उचित होगा और वर्ष 2019 के मुकाबले उत्तीर्ण प्रतिशत में वृद्धि हुई है। सीबीएसई की 12वीं कक्षा की परीक्षा में 16.60 लाख से अधिक छात्र बैठे थे। त्रिवेंद्रम क्षेत्र में सबसे अधिक 99.91 प्रतिशत विद्यार्थी उत्तीर्ण हुए जबकि प्रयागराज क्षेत्र में सबसे कम 78.05 प्रतिशत विद्यार्थी उत्तीर्ण हुए। 1.25 लाख से अधिक विद्यार्थियों को कम्पार्टमेंट की श्रेणी में रखा गया है जबकि पिछले साल यह संख्या 1,07,689 थी। आंकड़ों के मुताबिक विदेश में मौजूद सीबीएसई से सबद्ध स्कूलों के 92.59 प्रतिशत विद्यार्थी 12वीं कक्षा में उत्तीर्ण हुए हैं। जवाहर नवोदय विद्यालय (Jawahar Navoday Vidyalay) के 97.51 प्रतिशत विद्यार्थी परीक्षा में सफल घोषित किए गए हैं। इसके बाद केंद्रीय तिब्बती स्कूल प्रशासन है जिसमें पढ़ने वाले 96.77 प्रतिशत विद्यार्थी उत्तीर्ण हुए हैं। केंद्रीय विद्यालय (Central School) के 92.51 प्रतिशत, निजी स्कूलों के 87.95 प्रतिशत, सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों के 87.17 और सरकारी स्कूलों के 83.73 प्रतिशत विद्यार्थी 12वीं की कक्षा में उत्तीर्ण हुए हैं।