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Friday, November 22, 2024

दिल्ली के तीनों नगर निगम होंगे एक, संसद में मंजूर

नयी दिल्ली /खुशबू पाण्डेय । संसद ने राष्ट्रीय राजधानी के तीनों नगर निगमों के एकीकरण के प्रावधान वाले दिल्ली नगर निगम (संशोधन) विधेयक, 2022 को मंगलवार को मंजूरी दे दी। लोकसभा के बाद राज्यसभा में भी दिल्ली नगर निगम संशोधन विधेयक 2022 ध्वनिमत से पारित हो गया है। 30 मार्च को लोकसभा में यह संशोधन विधेयक पारित हो गया था। विधेयक को पेश करते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि एमसीडी के साथ आम आदमी पार्टी ने सौतेला व्यवहार किया है। तीनों क्षेत्रों में सुचारु रूप से काम करने के लिए एमसीडी का विलय जरूरी है। उन्होंने कहा कि दिल्ली में संसद भवन, प्रधानमंत्री आवास और दूतावास जैसे महत्वपूर्ण स्थान है ऐसे में एमसीडी का सुचारु रूप से काम करना जरूरी है। राज्यसभा में विधेयक पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि भारत सरकार की संवैधानिक क्षमता पर सवाल उठाया गया है।

—राज्यसभा में ध्वनिमत से दिल्ली नगर निगम संशोधन विधेयक पास
—गृह मंत्री अमित शाह ने दिया जवाब, संघीय ढांचे पर आघात नहीं

उन्होंने कहा कि यह विधेयक संविधान के अनुच्छेद 239 (एए) के तहत प्रदत्त अधिकार के माध्यम से लाया गया है जिसमें कहा गया है कि संसद को दिल्ली के संघ राज्य क्षेत्र से जुड़े किसी भी विषय पर कानून बनाने का अधिकार प्राप्त है। उन्होंने कहा कि इस अनुच्छेद को पढऩे के बाद सारे भ्रम दूर हो जाएंगे। उन्होंने कहा कि दिल्ली एक पूर्ण राज्य नहीं है और केंद्र सरकार किसी पूर्ण राज्य के संबंध में विधेयक यहां नहीं ला सकती। इससे पहले विधेयक पर हुई चर्चा में कई विपक्षी सदस्यों ने विधेयक पेश करने के केंद्र सरकार के अधिकार को लेकर सवाल उठाए थे और इसे संघीय ढांचे पर प्रहार करार दिया था। शाह ने कहा कि वह यह स्पष्ट करना चाहते हैं कि इस विधेयक को पूरी तरह से संविधान प्रदत्त तरीके से लाया गया है और यह किसी भी प्रकार से संघीय ढांचे पर आघात नहीं है तथा यह आघात उस समय होता जब सरकार किसी पूर्ण राज्य के संबंध में कोई विधेयक लेकर आती।

आम आदमी पार्टी पर निशाना साधते हुए गृह मंत्री ने कहा कि अगर यही रवैया रहा तो नगर निगम में जीतने का दावा करते करते वह दिल्ली की सरकार न गंवा दें। उन्होंने दिल्ली की आप सरकार पर तीन नगर निगमों के साथ सौतेला व्यवहार करने का आरोप लगाते हुए कहा कि वह निगमों को प्रताडि़त कर रही है और इससे दिल्ली की जनता प्रताडि़त हो रही है। शाह ने इस बात को निराधार बताया कि भारतीय जनता पार्टी सरकार हार के भय से आक्रांत होकर चुनाव टालना चाहती है। उन्होंने विपक्ष से सवाल किया कि अगर छह महीने बाद चुनाव होंगे तो क्या विपक्ष को हारने का भय है। उनके जवाब के बाद सदन ने विपक्षी सदस्यों द्वारा लाए गए संशोधनों को खारिज कर दिया तथा विधेयक को ध्वनिमत से मंजूरी प्रदान कर दी। लोकसभा इसे पहले ही पारित कर चुकी है। शाह ने कहा कि दिल्ली के पांचवें वित्त आयोग ने तीन निगमों को करीब 40,500 करोड़ रुपये देने की अनुशंसा की थी लेकिन दिल्ली सरकार ने उसमें काफी कटौती कर दी। उन्होंने आरोप लगाया कि नगर निगम की कई महत्वपूर्ण सिफारिशों को दिल्ली सरकार ने नहीं माना, उनके कई अनुरोधों को खारिज कर दिया। शाह ने कहा कि ऐसे में निगम कैसे काम करेंगे। उन्होंने कहा कि दिल्ली नगर निगम को विभाजित करना एक गलती थी और इसके बाद भी अगर आप सरकार ने इस तरह से व्यवहार नहीं किया होता तो नगर निगम सुचारू रूप से काम कर लेते। उन्होंने कहा कि चर्चा में उन्हें पावर हंगरी (सत्ता का भूखा) बताया गया लेकिन ऐसा बयान देने वाले सदस्यों को आइना देखना चाहिए कि उन्होंने खुद क्या किया है।

भाजपा को न तो हारने का भय है और न ही जीतने का अहंकार

शाह ने कहा कि भाजपा को न तो हारने का भय है और न ही जीतने का अहंकार है। जब लोकसभा में उनकी पार्टी के सिर्फ दो सदस्य थे और उस समय सत्तारूढ़ पार्टी (कांग्रेस) की ओर से तंज कसा जाता था और उन्हें हम दो हमारे दो बताया जाता था। स्थानीय निकायों के चुनाव समय से कराने की कुछ विपक्षी सदस्यों की मांग का जिक्र करते हुए उन्होंने सवाल किया कि ऐसे सदस्यों को महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल का भी हवाला देा चाहिए था जहां बिना कारण बताए ही चुनाव टाल दिए गए। पश्चिम बंगाल का विशेष तौर पर जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी लोकतांत्रिक तरीके से चुनाव जीतने का प्रयास करती है और इसके लिए विपक्षी कार्यकर्ताओं को निशाना नहीं बनाती। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार पुलिस सहित विभिन्न मदों में हर साल दिल्ली सरकार का करीब 17,000 करोड़ रुपये का भार उठाती है।

राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद कानून में बदल जाएगा

राज्यसभा से भी यह विधेयक पारित हो गया है। अब राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद यह कानून में बदल जाएगा। इसके बाद तीनों एमसीडी का विलय करके एक ही नगर निगम बनाया जाएगा। इसके अलावा दिल्ली के पार्षदों को कम करके 272 से 250 तक सीमित कर दिया जाएगा। इस कॉर्पोरेशन को दिल्ली नगर निगम के नाम से जाना जाएगा। इसके अलावा केंद्र सरकार ही फैसला करेगी कि नगर निगम में कितने पार्षद होंगे और कितनी सीटें आरक्षित की जाएंगी। इसके अलावा केंद्र सरकार का सैलरी व अन्य सुविधाओं पर नियंत्रण होगा। नए विधेयक में यह भी कहा गया है कि एमसीडी कमिश्नर सीधे केंद्र सरकार को जवाबदेह होगा। कानून बनने और एमसीडी के विलय के बाद दिल्ली सरकार की भूमिका बहुत सीमित हो जाएगी।

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