हरिद्वार/ धीरेंद्र शुक्ला : भारतीय जनता पार्टी (BJP) के वरिष्ठ नेता और केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने आज शांतिकुंज हरिद्वार में आयोजित ‘शांतिकुंज स्वर्ण जयंती वर्ष व्याख्यान माला – मनुष्य में देवत्व में उदय और धरती पर स्वर्ग का अवतरण’ कार्यक्रम को संबोधित किया। साथ ही देश की आध्यात्मिक संस्कृति के पुनरुत्थान में शांतिकुंज संस्थान की भूमिका और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में देश को विश्वगुरु के पद पर प्रतिष्ठित करने के लिए किये जा रहे अथक प्रयासों की जम कर सराहना की। कार्यक्रम में शांतिकुंज के प्रमुख डॉ प्रणव पांड्या, देव संस्कृति विश्वविद्यालय के कुलाधिपति, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, देव संस्कृति विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष मदन कौशिक सहित कई मनीषी व्यक्तिव और देव संस्कृति विश्वविद्यालय के छात्र उपस्थित थे। शाह ने कहा कि शांतिकुंज के संरक्षण में जिस तरह सनातन धर्म और सनातन संस्कृति के प्रचार प्रसार का विश्व अभियान चला, आज उस संस्थान के स्वर्ण जयंती की व्याख्यान माला है।
यह वर्ष शांतिकुंज की स्वर्ण जयंती के साथ-साथ आजादी का अमृत महोत्सव वर्ष भी है। 50 साल का समय किसी भी संस्था के लिए देश और समाज में बदलाव लाने के लिए काफी अल्प समय है और महामानव पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य जी तो देश या समाज में नहीं, युग में बदलाव लाने का लक्ष्य लेकर चले थे लेकिन पिछले 50 वर्षों में हम यह अनुभव कर सकते हैं कि युग परिवर्तन के लक्ष्य को सामने रख कर सही दिशा में हम काम कर रहे हैं। अखिल विश्व गायत्री परिवार के मुख्यालय शांतिकुंज को एक जागृत स्थान मानते हुए इसमें मैं असीम श्रद्धा रखता हूँ। करोड़ों गायत्री मंत्र के वेद सम्मत उच्चारण और महान मनीषियों के सान्निध्य से बने दिव्य वातावरण से हमें असीम ऊर्जा और चेतना, दोनों की प्राप्त होती है। मैंने स्वयं इसकी अनुभूति की है। यहाँ पढ़ने वाले सभी छात्र काफी हैं कि उन्हें इस दिव्य वातावरण में आगे बढ़ने का अवसर मिल रहा है।
केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि हमारे वेदों, उपनिषदों, पुराणों, प्राचीन ग्रंथों में समाहित ज्ञान के खजाने को यदि हम जानने का प्रयास करेंगे तो पता चलेगा कि रोजगारोन्मुख शिक्षा व्यवस्था एवं भौतिक सुख तो दे सकता है लेकिन इससे न तो हमें आध्यात्मिक शांति मिल सकती है और न ही आध्यात्मिक विकास हो सकता है। हमें यदि विश्व का आध्यात्मिक विकास चाहिए और इसके माध्यम से समग्र विश्व के कल्याण के लक्ष्य के साथ आगे बढ़ना है तो इसकी प्राप्ति के लिए देव संस्कृति विश्वविद्यालय जैसे विश्वविद्यालयों की बड़ी आवश्यकता है। गायत्री मंत्र के विधि सम्मत तरीके से नियमित लगातार उच्चारण करने से मनुष्य, देवत्व को प्राप्त करता है। यही एकमात्र रास्ता है जो मानव को महामानव बनाता है।
शाह ने कहा कि पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य जी और पूज्य माता जी के बताये रास्ते पर चलने से ही हम युग परिवर्तन के लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं। उनके बताये रास्ते मानव जीवन को सफल बनाने के साथ साथ समाज में संस्कृति, आध्यात्मिक और व्यक्तिगत उत्थान के भी पथ-प्रदर्शक हैं। वे करोड़ों लोगों के जीवन की प्रेरणा बने। उन्होंने करोड़ों लोगों को युग परिवर्तन के आंदोलन से जोड़ा। आज के कार्यक्रम का विषय ही है – मनुष्य में देवत्व में उदय और धरती पर स्वर्ग का अवतरण। देवत्व क्या है – देवत्व शुभ शक्तियों की एक सहज व्याख्या है। हर मनुष्य के मन, शरीर और आत्मा के साथ शुभ और अशुभ, दोनों वृत्तियाँ जुड़ी होती हैं। यदि आप गायत्री मंत्र का वैज्ञानिक अभ्यास करें तो पायेंगे कि गायत्री मंत्र के सभी 24 अक्षर, मानव शरीर के 24 सदग्रंथियों को जागृत करते हैं। गायत्री मंत्र के वेदसम्मत उच्चारण से ये सभी सदग्रंथियाँ जागृत होती हैं। हर ग्रंथि के जागृत होने से सद्वृत्ति जागृत होती है और यही आपको देवत्व की ओर ले जाते हैं। मैं अपने आप को सौभाग्यशाली मानता हूँ कि बचपन से मुझे गायत्री मंत्र की शिक्षा दी गई। गायत्री मंत्र, पृथ्वी पर देवत्व अवतरण करने का सबसे बड़ा धुरी मार्ग, राजमार्ग है। इसी मंत्र को पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य जी ने विश्व भर प्रचारित, प्रसारित किया और जो जिज्ञासु थे, उन्हें गायत्री मंत्र का विज्ञान भी बताया। इससे करोड़ों जीवन में परिवर्तन आया। वरिष्ठ भाजपा नेता ने कहा कि ‘स्व’ से ‘पर’ पर पहुँच जाने को ही ज्ञान कहते हैं अर्थात् जब आप अपने के सिवाय पूरे संसार की चिंता करते हैं, समग्र समाज के कल्याण की चिंता करते हैं, भारत माता को विश्वगुरु के पद पर प्रतिष्ठित करने का विचार करते हैं, तो वही ज्ञान की प्राप्ति है। आपके कैरियर का गंतव्य खुद के लिए नहीं बल्कि विश्व के कल्याण के लिए होना चाहिए। जब हममें इस तरह की वृत्ति जागृत होती है, तभी देवत्व की जागृति होती है। करुणा और सदविचार, मानव जीवन की मूल भावना है। इसमें से ‘स्व’ के भाव को कम करते जाना ही, देवत्व का मार्ग है।
हमारा ध्यान अपने कर्तव्यों की ओर भी जाना चाहिए
केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि जब हम अपने संविधान प्रदत्त अधिकारों की बात करते हैं तो हमारा ध्यान अपने कर्तव्यों की ओर भी जाना चाहिए। यदि हम अधिकारों की मांग करते हैं तो संवैधानिक कर्त्याव्यों का पालन करना भी हमारा दायित्व बन जाता है। मानव जीवन ईश्वर का प्रदत्त सबसे बड़ा आशीर्वाद है। 2002 से इस विश्वविद्यालय की स्थापना काल से अब तक 50 से ज्यादा विश्वविद्यालयों और शिक्षा केन्द्रों से अनुबंध हो चुके हैं। डॉ प्रणव पांड्या जी ने अपना संपूर्ण जीवन मानव जीवन के उत्थान के प्रति लक्षित करते हुए अर्पित कर दिया। ऐसा लगता है कि ईश्वर ने उन्हें इसी कार्य के लिए बनाया है।
नई शिक्षा नीति देश में नई पीढ़ी को बनाने का काम करेगी
देव संस्कृति विश्वविद्यालय के छात्रों को संबोधित करते हुए केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि आपके पास जीवन का एक बड़ा अध्याय सामने पड़ा है लेकिन आप अपने सनातन विचार, पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य जी के बताये रास्ते और संकल्पों के गंतव्य को कभी जीवन में छोड़ना मत क्योंकि जिस दिशा में आप चल रहे हैं, इसी में देश और दुनिया का हित समाहित है। वर्षों बाद माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में देश में नई शिक्षा नीति आई। पहली बार भारत की मिट्टी की सुगंध से सुवासित शिक्षा नीति बनी। नई शिक्षा नीति देश में नई पीढ़ी को बनाने का काम करेगी, अपनी मातृभाषा में संस्कारित करने का कार्य करेगी। नई शिक्षा नीति के रूप में हमारे यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने बहुत बड़ा बीज बोने का काम किया है जो आने वाले समय में बटवृक्ष बनकर देश के भविष्य को प्रकाशित करेगा। बहुत कम लोगों को शांतिकुंज में पढ़ने का अवसर मिलता है, आप इस समय का सदुपयोग करते हुए मानव कल्याण के लिए अपने आप को समर्पित करेंगे, यही मेरी कामना है।