— भ्रष्टाचार को सार्वजनिक नहीं होने देना चाहती है सरकार
— भाजपा सरकार पारदर्शी शासन देने में ईमानदार नहीं:संतोष दहिया
(विशेष संवाददाता)
कुरुक्षेत्र । सर्वजातीय सर्वखाप महिला महापंचायत की अध्यक्ष डा. संतोष दहिया ने लोकसभा में आरटीआई संशोधन विधेयक 2019 को पारित करने की आलोचना की। उनके अनुसार विधेयक में केंद्र सरकार को केंद्रीय और राज्य सूचना आयोगों के सूचना आयुक्तों की सेवा, कार्यकाल, वेतन, भत्ते और अन्य शर्तों को तय करने के लिए नियम बनाने का अधिकार देने का प्रस्ताव है। ये संशोधन सूचना आयोगों की स्वायत्तता और लोगों के जानने के मौलिक अधिकार पर सीधा हमला हैं। उन्होंने लोकतंत्र की दुहाई देते हुए राज्यसभा सांसदों से इस संशोधन को पारित नहीं करने का आह्वान किया। डा. संतोष दहिया शनिवार को गांव भूतमाजरा में आयोजित एक विचार गोष्ठी को संबोधित कर रही थीं।
इस मौके पर प्रोफेसर संतोष दहिया ने कहा कि आरटीआई अधिनियम एक सामाजिक आंदोलन के बाद वर्ष 2005 में लागू हुआ था। लोगों का सूचना का अधिकार अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के संवैधानिक अधिकार से निकलता है। एक महत्वपूर्ण मौलिक अधिकार की रक्षा के लिए सूचना आयुक्त के अंतिम अपीलीय निकाय होने के नाते उनकी स्वायत्तता और स्वतंत्रता की रक्षा की जानी चाहिए। वर्तमान संशोधन विधेयक सूचना आयुक्तों को नियंत्रित करने की साजिश है। ताकि सरकार द्वारा किए गए भ्रष्टाचार को सार्वजनिक होने से रोका जाए।
भाजपा सरकार पारदर्शी शासन देने में ईमानदार नहीं है, इसीलिए वह ये संशोधन ला रही है। पहले सीबीआई और चुनाव आयोग जैसे स्वतंत्र निकायों को कमजोर करने के बाद अब सूचना आयोगों को निशाना बनाया गया है। डा. संतोष दहिया के अनुसार राज्यसभा में प्रस्तावित संशोधन विधेयक सिर्फ आरटीआई कानून पर हमला नहीं है, बल्कि संवैधानिक अधिकार पर भी हमला है। उनके अनुसार सरकार को बिल वापस लेना चाहिए। इस मौके पर धर्मपाल नांदल, नीरज चहल, ज्ञानचंद नांदल, फूल सिंह चहल, वीरेंद्र नांदल, लाभ सिंह कश्यप, हरपाल नांदल, प्रकाश चंद, सुमित सोही, संजीव, राजपाल, बिट्टू, करण सिंह नांदल, राजेश, देवीचंद, रोशन लाल शर्मा, रणवीर नांदल, सुरेश कुमार, रणधीर सिंह व निशान नांदल आदि मौजूद रहे।