—1985 बैच के आईपीएस अधिकारी जायसवाल महाराष्ट्र के महानिदेशक भी रह चुके
नई दिल्ली/ टीम डिजिटल । केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) को मंगलवार देर रात अपना नया बॉस मिल गया। IPS अधिकारी सुबोध कुमार जायसवाल को सीबीआई का नया डायरेक्टर बनाया गया है। उनका कार्यकाल दो साल का होगा। केंद्र सरकार ने मंगलवार को जायसवाल की नियुक्ति की जानकारी दी। जायसवाल 1985 बैच के भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के अधिकारी हैं और वह पूर्व में महाराष्ट्र के पुलिस महानिदेशक पद पर रहे हैं। 22 सितंबर 1962 को जन्में सुबोध कुमार जायसवाल सीबीआई में डायरेक्टर बनने से पहले वह केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) के महानिदेशक थे। कैबिनेट की नियुक्ति समिति (ACC) की ओर से जारी आदेश के मुताबिक, जायसवाल सीबीआई की कमान संभालेंगे। यह पद फरवरी के पहले सप्ताह से तब से खाली पड़ा है, जब ऋषि कुमार शुक्ला ने अपना कार्यकाल पूरा किया था। उसके बाद से अपर निदेशक प्रवीण सिन्हा अंतरिम प्रमुख के रूप में प्रमुख जांच एजेंसी के मामलों को देख रहे हैं। इससे पहले, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में सोमवार को सीबीआई के नए डायरेक्टर के चयन के लिए गठित उच्चस्तरीय समिति ने केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF ) के महानिदेशक सुबोध कुमार जायसवाल, सशस्त्र सीमा बल (SSB) के महानिदेशक कुमार राजेश चंद्रा और केंद्रीय गृह मंत्रालय में विशेष सचिव वी. एस. के. कौमुदी के नाम की सूची तैयार की थी।
इस बैठक में प्रधानमंत्री के अलावा, समिति के दो अन्य सदस्य लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी और भारत के प्रधान न्यायाधीश एन वी रमन्ना भी उपस्थित थे। यह बैठक प्रधानमंत्री आवास पर हुई थी। केंद्र सरकार ने मंगलवार को जायसवाल की नियुक्ति की जानकारी दी। जायसवाल 1985 बैच के भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के अधिकारी हैं और वह पूर्व में महाराष्ट्र के पुलिस महानिदेशक पद पर रहे हैं। कैबिनेट की नियुक्ति समिति (एसीसी) की ओर से जारी आदेश के मुताबिक, जायसवाल सीबीआई की कमान संभालेंगे। अपर निदेशक प्रवीण सिन्हा अंतरिम प्रमुख के रूप में प्रमुख जांच एजेंसी के मामलों को देख रहे हैं।
तेलगी के फर्जी स्टैंप पेपर घोटाले की जांच के प्रमुख भी रहे
1985 बैच के कुमार ने रॉ में तीन साल तक अतिरिक्त सचिव के रूप में सेवाएं दीं। हालांकि वह रॉ के साथ वर्ष 2009 से जुड़े रहे। 1986 में अमरावती में एएसपी के रूप में जायसवाल ने अपने करियर की शुरुआत की थी। इसके बाद वह राज्य के विभिन्न हिस्सों में उच्च पदों पर रहते हुए बाद में मुंबई में अडिशनल कमिश्नर भी बने। 2005 में अब्दुल करीम तेलगी के फर्जी स्टैंप पेपर घोटाले की जांच के लिए हाई कोर्ट की तरफ से गठित विशेष जांच दल (एसआईटी) की अगुवाई भी जायसवाल ने ही की थी। इसके अलावा जायसवाल मुंबई एटीएस के भी प्रमुख रहे और 2006 में सिलसिलेवार ट्रेन धमाकों और मालेगांव विस्फोट मामले की जांच के भी प्रभारी रहे। साल 2006 में हुए मालेगांव विस्फोट को भला कौन भूल सकता है। इस मामले की भी जांच जायसवाल ने ही की थी।
महज 23 साल की उम्र में IPS अधिकारी बन गए
सुबोध कुमार जायसवाल का जन्म 22 सितंबर 1962 को हुआ था। सुबोध कुमार जायसवाल महज 23 साल की उम्र में IPS अधिकारी बन गए थे। वह 1985 बैच महाराष्ट्र कैडर के भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी हैं। इस छोटी सी उम्र में IPS का पद सँभालने वाले सुबोध कुमार आज 58 साल के हैं और सीआईएसएफ के मुखिया हैं । सुबोध कुमार जायसवाल कई सालों तक इंटरनेशनल एजेंसियों में काम कर चुके हैं। सुबोध कुमार जायसवाल भारत की खुफिया एजेंसी रॉ में भी काफी समय तक कार्यरत रहे हैं। वे RAW के अतिरिक्त सचिव भी रहे हैं। इसके अलावा सुबोध कुमार जायसवाल मुंबई के एडिश्नल कमिश्नर का पद भी संभाल चुके हैं। सुबोध ने बिज़नस एडमिनिस्ट्रेशन की पढ़ाई की है, लेकिन वे देश की सेवा करना चाहते थे और इस कारण ही उन्होंने 23 साल की उम्र में ही आईपीएस की सेवा को ज्वाइन किया था। सुबोध कुमार जायसवाल की पहली पोस्टिंग की बात करें तो उनकी पहली पोस्टिंग साल 1986 में एएसपी अमरावती के रूप में मिली थी।
कई सम्मान से भी नवाजे जा चुके हैं IPS सुबोध जायसवाल
सुबोध कुमार जायसवाल को कई जिम्मेदारियों के साथ आगे बढ़ता देखा गया। इस बीच उन्होंने अपने हर पद पर अपने काम के लिए तारीफें भी बटोरी और काम को अहमियत देते हुए आगे बढ़ते ही चले गए। साल 2001 में सुबोध कुमार को राष्ट्रपति पुलिस पदक से सम्मानित किया गया। उन्होंने हमेशा से ही अपने पद की गरिमा को ध्यान में रखते हुए काम किया और इसे देखते हुए भारत सरकार के द्वारा उन्हें साल 2009 में फिर से सम्मानित किया गया। सरकार ने सुबोध कुमार की विशिष्ट सेवाओं को देखते हुए उन्हें राष्ट्रपति पुलिस पदक से सम्मान दिया। सुबोध कुमार जायसवाल के कदम यहीं नहीं रुके और उन्होंने अपने जाबांज कामों से सबका दिल जीतना कायम रखा। इसे देखते हुए भारत सरकार ने उन्हें ‘असाधारण सुक्षा सेवा प्रमाण-पत्र’ भी दिया। इसके साथ ही महाराष्ट्र सरकार ने सुबोध कुमार को ‘विशेष सेवा पदक’ भी दिया।