—सांस रोकने के अभ्यास कर अपने फेफड़ों को स्वस्थ बनाएं
—25 सेकेंड और उससे अधिक समय तक सांस रोकने वाला व्यक्ति सुरक्षित
—सांस रोक कर रखने के समय में होने वाली कमी पूर्व चेतावनी का संकेत
नई दिल्ली /खुशबू पाण्डेय : कोविड-19 की दूसरी लहर में ज्यादातर मरीजों को सांस लेने में दिक्कत हुई है जिसके चलते उन्हें आक्सीजन के सहारे रखना पडा है। इसके चलते दिल्ली सहित देशभर में पूरक ऑक्सीजन की मांग में भारी वृद्धि देखने को मिली है। नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) डॉ. वी. के. पॉल ने भी माना है कि दूसरी लहर में श्वासहीनता सर्वाधिक सामान्य लक्षण है, जिससे ऑक्सीजन की अधिक आवश्यकता पड़ती है। लेकिन इसमें कुछ ऐसी देशी तकनीक और अभ्यास है जिसके जरिये आप आक्सीजन की समस्या से दूर हो सकते हैं। इसमें सांस रोक कर रखेने का अभ्यास एक ऐसी तकनीक है जो मरीज की ऑक्सीजन आवश्यकता को कम कर सकती है और उन्हें अपनी स्थिति की निगरानी करने में मदद दे सकती है।
मेदांता फाउंडर तथा मैनेजिंग ट्रस्टी लंग केयर फाउंडेशन के चेस्ट सर्जरी इन्स्टीट्यूट के अध्यक्ष डॉ. अरविन्द कुमार ने बताया कि कोविड-19 के 90 प्रतिशत मरीज फेफड़े में तकलीफ का अनुभव करते हैं लेकिन क्लिनिकल रूप में यह महत्वपूर्ण नहीं है। 10-12 प्रतिशत लोगों में निमोनिया विकसित हो जाता है, यह फेफड़े का संक्रमण होता है जिसमें फेफड़े की छोटी-छोटी हवा की जगहें, जिन्हें एल्वियोली कहा जाता है, संक्रमित हो जाती हैं। कम अनुपात में कोविड-19 के मरीजों को ऑक्सीजन के सहारे की जरूरत तब पड़ती है जब सांस लेने में कठिनाई गंभीर रूप ले लेती है।
कैसे सांस रोक कर रखने का अभ्यास है सहायक
मेदांता फाउंडर तथा मैनेजिंग ट्रस्टी लंग केयर फाउंडेशन के चेस्ट सर्जरी इन्स्टीट्यूट के अध्यक्ष डॉ. अरविन्द कुमार का कहना है कि यह अभ्यास उन मरीजों के लिए बहुत ही लाभकारी है जिनमें हल्का लक्ष्ण है। यदि ऐसे मरीज सांस रोक कर रखने का अभ्यास करते हैं तो उन्हें पूरक ऑक्सीजन की आवश्यकता की संभावना कम रह जाती है। इस अभ्यास को मरीज की स्थिति देखने के लिए जांच के रूप में किया जा सकता है। यदि सांस रोक कर रखने के समय में कमी होने लगती है तो यह पूर्व चेतावनी का संकतेहै और मरीज को अपने डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए। दूसरी ओर, यदि मरीज सांस रोक कर रखने के समय में धीरे-धीरे वृद्धि करने में सक्षम होता है तो यह सकारात्मक संकेत है।
अस्पताल में दाखिल मरीज और होम ऑक्सीजन पर डिस्चार्ज किए गए मरीज भी डॉक्टर की सलाह से इस अभ्यास को कर सकते हैं। इससे उनकी ऑक्सीजन आवश्यकता कम करने में मदद मिल सकती है। स्वस्थ व्यक्ति भी सांस रोक कर रखने का अभ्यास कर सकते हैं। यह अभ्यास उन्हें अपने फेफड़ों को स्वस्थ रखने में मदद करेगा।
सांस रोक कर रखने का अभ्यास कैसे करें
—सीधा बैठें और अपने हाथों को जांघों पर रखें।
—अपना मुंह खोलें और सीने में जितना अधिक वायु भर सकते हैं भरें।
—अपने होठों को कस कर बंद कर लें।
—अपनी सांस को जितना अधिक समय तक रोक कर रख सकते हैं रोकें।
—जांचें कि आप कितने समय तक अपनी सांस रोक कर रख सकते हैं।
मरीज एक घंटे में एक बार यह अभ्यास कर सकते हैं और धीरे-धीरे प्रयास करके सांस रोक कर रखने का समय बढ़ा सकते हैं। 25 सेकेंड और उससे अधिक समय तक सांस रोक कर रखने वाले व्यक्ति को सुरक्षित माना जाता है। इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि ज्यादा जोर न लगे और इस प्रक्रिया में थकान न हो जाए।
संक्रमण का शीघ्र पता लगाना महत्वपूर्ण
हम जानते हैं कि कोविड-19 का सबसे बड़ा असर हमारे फेफड़ों पर पड़ता है , इस कारण श्वासहीनता होती है और ऑक्सीजन के स्तर में कमी आ जाती है। डॉ. अरविन्द बताते हैं कि पहली लहर में सबसे अधिक लक्षण बुखार और कफ था। दूसरी लहर में दूसरे किस्म के लक्षण दिख रहे हैं , जैसे गले में खराश , नाक बहना, आंखों में लाली, सिरदर्द,शरीर में दर्द, चकते, मतली, उल्टी, दस्त; और मरीज को बुखार का अनुभव तीन-चार दिनों के बाद होता है। तब मरीज जांच के लिए जाता है और इसकी पुष्टि में भी समय लगता है। इसलिए कोविड-19 की पुष्टि होने तक संक्रमण पांच से 6 दिन पुराना हो जाता है तथा कुछ विशेष मामलों में फेफड़े पहले ही प्रभावित हो जाते हैं। डॉ. अरविन्द कुमा कहते हैं कि फेफड़ों के चपेट में आने वाले कारकों में आयु, वजन, फेफड़े की वर्तमान स्थिति , मधुमेह, उच्च रक्तचाप, हृदय रोग,एचआईवी संक्रमण, कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली, धूम्रपान की आदत , कैंसर इलाज का इतिहास तथा स्टेरॉयड का इस्तेमाल हैं।