-किसान आंदोलन पर चर्चा का बहाना, असल में सिद्धू को मनाना
-पंजाब के प्रभारी हरीश रावत भी दिखे 10 जनपथ पर, चर्चाओं का बाजार गर्म
नई दिल्ली/ टीम डिजिटल । बीते कई महीने से पंजाब के मुख्य सियासी धारा से अलग-थलग पड़े क्रिकेटर से राजनेता बने नवजोत सिंह सिद्धू ने सोमवार को यहां राहुल गांधी और प्रियंका गांधी से मुलाकात की। सोनिया गांधी के आवास, 10 जनपथ पर हुई इस मुलाकात को लेकर कई तरह की कयासबाजी है, लेकिन सूत्रों का कहना है कि राहुल-प्रियंका ने किसान आंदोलन पर सिद्धू से चर्चा की। सूत्र बता रहे हैं कि इसी मुद्दे पर सिद्धू के अलावा भी अन्य राज्यों के करीब दर्जनभर नेताओं की राहुल-प्रियंका से मुलाकात हुई।
जानकार बता रहे हैं कि 10 जनपथ पर पहुंचे इन नेताओं से राहुल-प्रियंका ने अलग-अलग भेंट की। कुछ लोगों से राहुल गांधी मिले तो कुछ से प्रियंका गांधी। हालांकि, सुबह यह चर्चा थी कि इन नेताओं की सोनिया गांधी से भेंट हुई, लेकिन बाद में सूत्रों ने बताया कि सोनिया गांधी इनमें से किसी से भी नहीं मिलीं। सभी ने राहुल और प्रियंका से ही मिलकर अपनी बात कही। सूत्र बता रहे हैं कि इस मुलाकात के दौरान विभिन्न राज्यों में चल रहे किसान आंदोलन को लेकर चर्चा हुई। पार्टी के शीर्ष नेताओं ने राज्यों के नेताओं से फीडबैक लिया।
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पंजाब की सियासत में लंबे समय से हाशिए पर रहे नवजोत सिंह सिद्धू की 10 जनपथ में मौजूदगी को लेकर सबसे ज्यादा चर्चाओं का बाजार गरमाया रहा। कहा जा रहा है कि पार्टी के शीर्ष नेता सिद्धू को दोबारा से मूलधारा में सक्रिय करने की कोशिश में हैं। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता का कहना है कि नई परिस्थितियों में मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह काफी मजबूत हो गए हैं, ऐसे में उनकी मर्जी के खिलाफ हाईकमान कोई भी कदम नहीं उठाना चाहेगा। संभव है कि सिद्धू को केंद्रीय राजनीति में सक्रिय किया जाए। माना जा रहा है कि किसान आंदोलन के बहाने शीर्ष नेतृत्व की ओर से उनसे इसी संबंध में बातचीत की पहल शुरू की गई है।
राहुल गांधी-प्रियंका गांधी से मुलाकातियों में पंजाब कांग्रेस प्रभारी महासचिव और उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत भी थे। रावत ने बताया कि उनसे किसान आंदोलन पर ही बातचीत की गई। उन्होंने पंजाब कांग्रेस संगठन अथवा सरकार को लेकर किसी से बातचीत होने के सवाल पर कहा कि ऐसा हुआ होता तो निश्चित रूप से प्रभारी होने के नाते उन्हें भी बातचीत में शामिल किया जाता। लेकिन सिद्धू या राज्य के अन्य किसी नेता से मुलाकात में उन्हें नहीं शामिल किया गया था।