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Friday, November 22, 2024

किसान खत्म करें आंदोलन, प्रधानमंत्री ने की अपील

–प्रधानमंत्री मोदी ने संसद में किसान बिल पर दिया जवाब, विपक्ष को लताडा
—मोदी ने पंजाब के किसानों के लिए गलत भाषा के इस्तेमाल पर जताई आपत्ति

नयी दिल्ली/ खुशबू पाण्डेय। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को तीन कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलनरत किसानों, खासकर पंजाब के किसानों के लिए इस्तेमाल की गई भाषा की कटु आलोचना की और कहा कि इससे किसी का भला नहीं होगा। उन्होंने किसानों से अपना आंदोलन समाप्त कर कृषि सुधारों को एक मौका देने का आग्रह करते हुए कहा कि यह समय खेती को ‘खुशहाल बनाने का है और देश को इस दिशा में आगे बढऩा चाहिए। राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर पेश धन्यवाद प्रस्ताव पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए प्रधानमंत्री ने कृषि सुधारों पर यू-टर्न लेने के लिए कांग्रेस को आड़े हाथों लिया और कहा कि पिछले कुछ समय से इस देश में आंदोलनजीवियों की एक नई जमात पैदा हुई है जो आंदोलन के बिना जी नहीं सकती।

उन्होंने कहा कि एक नया एफडीआई भी मैदान में आया है और यह है फॉरेन डिस्ट्रक्टिव आइडियोलॉजी। उनका इशारा आंदोलनरत किसानों को खालिस्तानी आतंकवादी बताए जाने की ओर था। उन्होंने कहा कि देश को प्रत्येक सिख पर गर्व है। प्रधानमंत्री ने कहा, हम आंदोलन से जुड़े लोगों से लगातार प्रार्थना करते हैं कि आंदोलन करना आपका हक है, लेकिन बुजुर्ग भी वहां बैठे हैं। उनको ले जाइए, आंदोलन खत्म करिए। आगे मिल बैठ कर चर्चा करेंगे, सारे रास्ते खुले हैं। यह सब हमने कहा है और आज भी मैं इस सदन के माध्यम से निमंत्रण देता हूं। उन्होंने कहा, यह, खेती को खुशहाल बनाने के लिए फैसले लेने का समय है और इस समय को हमें नहीं गंवाना चाहिए। हमें आगे बढऩा चाहिए, देश को पीछे नहीं ले जाना चाहिए। मोदी ने आंदोलनरत किसानों के साथ ही विपक्षी दलों से भी आग्रह किया कि इन कृषि सुधारों को मौका देना चाहिए। उन्होंने कहा, हमें एक बार देखना चाहिए कि कृषि सुधारों से बदलाव होता है कि नहीं। कोई कमी हो तो हम उसे ठीक करेंगे, कोई ढिलाई हो तो उसे कसेंगे।

पक्ष, विपक्ष, आंदोलनरत साथियों को इन सुधारों को मौका देना चाहिए और एक बार देखना चाहिए कि इस परिवर्तन से हमें लाभ होता है कि नहीं। ऐसा तो नहीं है कि सब दरवाजे बंद कर दिए गए हैं। प्रधानमंत्री ने किसानों को भरोसा दिलाया कि मंडियां और अधिक आधुनिक बनेंगी तथा इसके लिए इस बार के बजट में व्यवस्था भी की गई है। उन्होंने जोर देकर कहा, एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) है, एमएसपी था और एमएसपी रहेगा। प्रधानमंत्री ने माना कि कृषि क्षेत्र में समस्याएं हैं और कहा कि इन समस्याओं का समाधान सबको मिलकर करना होगा। उन्होंने कहा, मैं मानता हूं कि अब समय ज्यादा इंतजार नहीं करेगा, नये उपायों के साथ हमें आगे बढऩा होगा। विपक्षी दलों पर निशाना साधते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि सदन में किसान आंदोलन को लेकर भरपूर चर्चा हुई तथा ज्यादा से ज्यादा समय जो बातें बताई गईं, वह आंदोलन के संबंध में थी। उन्होंने कहा, अच्छा होता कि कानूनों की मूल भावना पर विस्तार से चर्चा होती। मोदी ने कहा कि सरकारें किसी की भी रही हों, सभी कृषि सुधारों के पक्ष में रहीं लेकिन यह अलग बात है कि वे इन्हें लागू नहीं कर सकीं। उन्होंने कहा, लेकिन मैं हैरान हूं कि आपने (कांग्रेस ने) अचानक यू-टर्न ले लिया। ऐसा क्यों किया? ठीक है, आप आंदोलन के मुद्दों को लेकर सरकार को घेर लेते लेकिन साथ-साथ किसानों को भी कहते कि भाई, बदलाव बहुत जरूरी हैं। बहुत साल हो गए। अब नयी चीजों को आगे लाना पड़ेगा। लेकिन मुझे लगता है राजनीति इतनी हावी हो जाती है कि अपने ही विचार पीछे छूट जाते हैं। किसानों के आंदोलन का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि ऐसी समस्याओं के समाधान की ताकत भारत में है लेकिन कुछ लोग हैं जो भारत को अस्थिर और अशांत करना चाहते हैं। मोदी ने कहा कि जब देश का बंटवारा हुआ और जब 1984 के दंगे हुए तो सबसे ज्यादा खामियाजा पंजाब को भुगतना पड़ा। उन्होंने कहा, इन सारी चीजों ने देश को किसी न किसी रूप में बहुत नुकसान पहुंचाया है। इसके पीछे कौन है, यह हर सरकार ने देखा है, जाना है। इसलिए हमें इन सारी समस्याओं के समाधान के लिए आगे बढऩा चाहिए।

सिख समुदाय ने देश के लिए जो किया, उस पर देश गर्व

प्रधानमंत्री ने कहा कि सिख समुदाय ने देश के लिए जो किया, उस पर देश गर्व करता है। उन्होंने कहा, कुछ लोग, खासकर पंजाब के सिख भाईयों के दिमाग में गलत चीजें भरने में लगे हैं। उन्होंने कहा ये देश हर सिख पर गर्व करता है। उन्होंने देश के लिए क्या कुछ नहीं किया। उनका जितना हम आदर करें, वो कम होगा। जो भाषा उनके लिए कुछ लोग बोलते हैं, जो लोग उनको गुमराह करने की कोशिश करते हैं, उससे देश का कभी भला नहीं होगा। मोदी ने कहा कि देश श्रमजीवी और बुद्धिजीवी जैसे शब्दों से परिचित है लेकिन पिछले कुछ समय से इस देश में एक नई जमात पैदा हुई है और वह है आंदोलनजीवी । उन्होंने कहा, वकीलों का आंदोलन हो या छात्रों का आंदोलन या फिर मजदूरों का। ये हर जगह नजर आएंगे। कभी परदे के पीछे, कभी परदे के आगे। यह पूरी टोली है जो आंदोलन के बिना जी नहीं सकती। हमें ऐसे लोगों को पहचानना होगा। वह हर जगह पहुंच कर वैचारिक मजबूती देते हैं और गुमराह करते हैं। ये अपना आंदोलन खड़ा नहीं कर सकते और कोई करता है तो वहां जाकर बैठ जाते हैं। यह सारे आंदोलनजीवी परजीवी होते हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि इसी प्रकार से एक नयी चीज एफडीआई के रूप में मैदान में आई है। उन्होंने कहा, यह एफडीआई है फॉरेन डिस्ट्रक्टिव आईडियोलॉजी। इस एफडीआई से देश को बचाने के लिए हमें और अधिक जागरूक रहने की जरूरत है।

भारत ने मानव जाति को बचाने में बहुत बड़ी भूमिका निभाई

प्रधानमंत्री ने कोविड-19 महामारी के प्रबंधन को लेकर विपक्षी दलों द्वारा की गई केंद्र सरकार की आलोचनाओं का जवाब देते हुए कहा कि भारत ने इससे जुड़ी तमाम आशंकाओं को निर्मूल साबित किया है। उन्होंने कहा, भारत के लिए दुनिया ने बहुत आशंकाएं जतायी थीं। विश्व बहुत चतित था कि अगर कोरोना वायरस की इस महामारी में भारत अपने आप को संभाल नहीं पाया तो न सिर्फ भारत के लिए बल्कि पूरी मानव जाति के लिए बहुत बड़ा संकट आ जाएगा। उन्होंने कहा कि ऐसी आशंकाएं भी जताई गईं कि करोड़ों लोग इससे प्रभावित होंगे और लाखों लोग मर जाएंगे। उन्होंने कहा, एक अनजान दुश्मन क्या कर सकता है, इसका किसी को अंदाज नहीं था। यह भी पता नहीं था कि ऐसी स्थिति आने पर किस तरह इससे निपटा जा सकता है। आज समूचा विश्व भारत की सराहना कर रहा है। भारत ने मानव जाति को बचाने में बहुत बड़ी भूमिका निभाई है। कोरोना महामारी की लड़ाई जीतने का यश किसी सरकार को नहीं जाता है, किसी व्यक्ति को नहीं जाता है। लेकिन ङ्क्षहदुस्तान को तो जाता है। कोरोना काल के दौरान दीये जलाने और ताली-थाली बजाने जैसे कार्यक्रमों की आलोचना के लिए उन्होंने विपक्षी दलों को भी आड़े हाथों लिया।

आलोचना होनी चाहिए लेकिन ऐसा काम नहीं किया जाना चाहिए

PM मोदी ने कहा कि आलोचना होनी चाहिए लेकिन ऐसा काम नहीं किया जाना चाहिए जिससे देश का आत्मविश्वास कमजोर हो। उन्होंने कहा कि कोरोना काल में भी भारत विश्व की फार्मेसी के रूप में उभरा और आज देश में तेजी से टीकाकरण अभियान भी जारी है। प्रधानमंत्री ने कम समय में कोरोना वायरस का टीका ईजाद करने के लिए वैज्ञानिकों की सराहना भी की। राष्ट्रपति के अभिभाषण को उन्होंने विश्व में एक नयी आशा जगाने वाला और आत्मनिर्भर भारत की राह दिखाने वाला करार दिया। उन्होंने कहा, पूरा विश्व आज अनेक चुनौतियों से जूझ रहा है। शायद ही किसी ने सोचा होगा कि मानव जाति को ऐसे कठिन दौर से गुजरना होगा, ऐसी चुनौतियों के बीच। इन चुनौतियों के बीच इस दशक के प्रारंभ में ही राष्ट्रपति ने संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक में जो अपना उद्बोधन दिया, वह अपने आप में इस चुनौती भरे विश्व में एक नई आशा जगाने वाला, नयी उमंग पैदा करने वाला और नया आत्मविश्वास पैदा करने वाला है। उन्होंने कहा, यह आत्मनिर्भर भारत की राह दिखाने वाला और और इस दशक के लिए मार्ग प्रशस्त करने वाला है।

अभिभाषण का बहिष्कार करने पर विपक्षी दलों पर भी निशाना साधा

धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा में भाग लेने वक्ताओं का धन्यवाद करते हुए प्रधानमंत्री ने अभिभाषण का बहिष्कार करने पर विपक्षी दलों पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा, अच्छा होता, राष्ट्रपति जी का भाषण सुनने के लिए सब होते तो लोकतंत्र की गरिमा और बढ़ जाती। प्रधानमंत्री ने पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ सीमा पर गतिरोध का भी उल्लेख किया और कहा कि भारत के रुख को सारे देश ने देखा। उन्होंने कहा कि सीमाओं की अवसंरचना विकास में कोई कमी नहीं आएगी। प्रधानमंत्री ने जम्मू एवं कश्मीर में स्थानीय चुनाव कराए जाने की नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद की सराहना करने के लिए उनकी प्रशंसा की और उम्मीद जताई कि कांग्रेस इस प्रशंसा को उचित भावना से लेगी। राष्ट्रपति के अभिभाषण पर कृषि कानूनों सहित लाए गए अन्य सभी संशोधनों को सदन ने ध्वनिमत से खारिज कर दिया।

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