नई दिल्ली/ टीम डिजिटल । कोरोना महामारी से प्रभावित देश की अर्थव्यवस्था में अगले साल ही सुधार की गुंजाईश है। इस साल सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में 7.7 प्रतिशत की गिरावट का अनुमान है। लेकिन व्यापक टीकाकरण अभियान, सेवा क्षेत्र और उपभोग तथा निवेश में तेजी से अर्थव्यवस्था में भी तेज सुधार की उम्मीद है, जिसके चलते वित्त वर्ष 2021-22 में वास्तविक जीडीपी वृद्धि दर 11 प्रतिशत तक पहुंच सकती है।
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को संसद में आर्थिक समीक्षा पेश किया। आर्थिक समीक्षा में महामारी के दौरान कृषि क्षेत्र की मजबूती और बेहतर प्रदर्शन की सराहना करते हुए कहा गया है कि सरकार का कृषि क्षेत्र को आधुनिक उद्यम के रूप में देखने और सतत तथा भरोसेमंद वृद्धि के लिए इसमें तत्काल सुधार की जरूरत है। आर्थिक समीक्षा में राजस्व प्राप्ति और खर्च अनुमान के आधार पर राजकोषीय घाटा चालू वित्त वर्ष में बजटीय लक्ष्य से अधिक रहने का अनुमान जताया गया है। वित्त वर्ष 2020-21 के बजट में चालू वित्त वर्ष में इसके जीडीपी का 3.5 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया गया था। समीक्षा में चालू वित्त वर्ष में सकल घरेलू उत्पाद में रिकार्ड 7.7 प्रतिशत की गिरावट का अनुमान जताया गया है। भारत में इससे पहले जीडीपी (GDP) में 1979-80 में सबसे अधिक 5.2 प्रतिशत का संकुचन हुआ था। बाद में हुई एक प्रेस कांफ्रेंस में मुख्य आर्थिक सलाहकार केवी सुब्रमण्यन ने कहा कि आर्थिक समीक्षा का पहला चैप्टर भारत की कोविड-19 को लेकर नीतियों पर है, जिसमें ऐसे संकट के बीच जान और आजीविका बचाना शामिल है।
देश का आर्थिक बुनियाद अब भी मजबूत है
समीक्षा के अनुसार, कोविड-19 महामारी और उसकी रोकथाम के लिए लगाए गए लॉकडाउन के चलते 2020-21 में अनुमानित 7.7 प्रतिशत संकुचन के बाद भारत का वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद वृद्धि दर 2021-22 में 11.0 प्रतिशत और वर्तमान बाजार मूल्य पर 15.4 प्रतिशत रहने का अनुमान है। इसमें यह भी कहा गया है कि टीके दिए जाने और आर्थिक गतिविधियां सामान्य होने के साथ ही ये अनुमान बढ़ भी सकते हैं। लॉकडाउन के कारण प्रथम तिमाही में जीडीपी में 23.9 प्रतिशत की भारी गिरावट दर्ज की गई। वहीं, बाद में तेजी से सुधार से जीडीपी में गिरावट केवल 7.5 प्रतिशत रही। समीक्षा में कहा गया है कि देश का आर्थिक बुनियाद अब भी मजबूत है क्योंकि लॉकडाउन को धीर-धीरे हटाने के साथ-साथ आत्मनिर्भर भारत मिशन के जरिए दी जा रही आवश्यक सहायता के बल पर अर्थव्यवस्था मजबूती के साथ आगे बढ़ रही है।
कोरोना काल में कृषि क्षेत्र का प्रदर्शन बेहतर
समीक्षा में महामारी के दौरान कृषि क्षेत्र की मजबूती और बेहतर प्रदर्शन की सराहना की गयी है। इसमें कहा गया है कि सरकार को कृषि क्षेत्र को आधुनिक उद्यम के रूप में देखना चाहिए तथा सतत और भरोसेमंद वृद्धि के लिए तत्काल सुधार की जरूरत है। कोवड-19 संकट के दौरान कृषि क्षेत्र का प्रदर्शन बेहतर रहा। जहां जीडीपी में गिरावट का अनुमान है वहीं कृषि क्षेत्र में स्थिर मूल्य पर 2020-21 में 3.4 प्रतिशत वृद्धि की उम्मीद है।
कोरोना के चलते खुदरा मुद्रास्फीति बढ़ी
महंगाई दर के बारे में समीक्षा में देश में मुद्रास्फीति की सही तस्वीर का पता लगाने क लिए खाद्य वस्तुओं का भरांश बढ़ाने का सुझाव दिया गया है। साथ ही ई-वाणिज्यि लेन-देन में वृद्धि को देखते हुए कीमत संबंधी आंकड़ों के नए स्रोत को शामिल करने की जरूरत बताई गयी है। इसमें कहा गया है कि खुदरा मुद्रास्फीति चालू वित्त वर्ष में अप्रैल-दिसम्बर के दौरान औसतन 6.6 प्रतिशत रही। दिसम्बर 2020 में यह 4.6 प्रतिशत थी। समीक्षा में कहा गया है कि कोविड-19 महामारी के कारण आपूर्ति संबंधी बाधाओं से खुदरा मुद्रास्फीति बढ़ी। इस वृद्धि में योगदान खाद्य वस्तुओं का रहा। लॉकडाउन के बारे में इसमें कहा गया है कि भारत ने कोविड-19 महामारी के प्रसार को रोकने के लिए सख्त पाबंदियां लगाई, जिसका उसे आज फायदा मिल रहा है।
आर्थिक समीक्षा के अहम बिंदु-
-निवेश बढ़ाने वाले कदमों पर जोर रहेगा।
-ब्याज दर कम होने से कारोबारी गतिविधियां बढ़ेंगी।
-कोरोना वायरस की वैक्सीन से महामारी पर काबू पाना संभव है।
-भारत में सॉवरेन क्रेडिट रेटिंग उसके मूल सिद्धांतों को नहीं दर्शाती।
-आर्थिक वृद्धि का प्रभाव आय में असमानता से अधिक गरीबी हटाने पर पड़ता है।
-सार्वजनिक स्वास्थ्य व्यय में एक से दो फीसद की वृद्धि हुई है।
-कर प्रशासन में सुधार ने पारदर्शिता, जवाबदेही की प्रक्रिया शुरू की है।