–द्वारका एक्सप्रेस-वे की निगरानी कर रहा है प्रधानमंत्री कार्यालय
— एक्सप्रेस-वे सहित कई प्रोजेक्टों की राह आसान करने को बैठक
–केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी की अध्यक्षता में मंत्री समूह ने की चर्चा
–राष्ट्रीय राजमार्गों पर लेवल क्रॉसिंग हटाया जाएगा, बनी सहमति
(खुशबू पाण्डेय)
नई दिल्ली /टीम डिजिटल : देश में बुनियादी ढांचागत परियोजनाओं के सामने पेड़ों की कटाई एक बड़ा मुद्दा बन गया है, जिसके चलते कई अहम परियोजनाएं बीच में ही अटकी पड़ी हैं। इसमें से एक द्वारका एक्सप्रेस-वे भी है, जिसकी निगरानी खुद दिल्ली में प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) कर रहा है। यह एक महत्वाकांक्षी परियोजना है, जिसे 1939 बबूल की झाडिय़ों ने रोक रखा है। वैसे इस एक्सप्रेस-वे की राह में कुल 6364 पेड़ हैं। हालांकि महाराष्ट्र एवं मध्य प्रदेश जैसे कई राज्य इस झाड़ी को भूमि राजस्व कोड में पेड़ के रूप में कवर नहीं करते हैं।
दरअसल वन आच्छादन में कुछ खास प्रकार की प्रजातियों के छोटे पेड़ एवं पौधे शामिल करने को लेकर मतभेद है। इसमें बबूल एवं कीकर खास माना गया है। इसके एक विदेशी अरबी झाड़ी होने के कारण पेड़ों की परिभाषा में इसे शामिल किया जाना कई वन मंजूरियों पर विचार करने के दौरान समस्याएं पैदा कर रहा है। इसी झाड़ी के चलते द्वारका एक्सप्रेस-वे का काम धीरे हो गया है।
इसी तरह के बड़े मसले को लेकर मंगलवार को यहां मंत्री समूह की बैठक हुई, जिसमें द्वारका एक्सप्रेस-वे जैसे कई अहम परियोजनाओं पर चर्चा की गई। बैठक की अध्यक्षता केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने की। बैठक में इस बात पर जोर दिया गया कि राष्ट्रीय राजमार्गों पर लेवल क्रॉसिंगों को हटाये जाने की आवश्यकता है, क्योंकि वे दुर्घटनाओं के बड़े स्थान बन गये हैं। यह भी बताया गया कि जहां 167 स्थानों पर उनकी डिजाइन को स्वीकृति दे दी गई है लेकिन अभी तक वहां कार्य आरंभ नहीं हुआ है। इस संबंध में पांच वर्ष पहले ही समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए जा चुके हैं और निष्पादन में तेजी लाने की आवश्यकता है। इस दिशा में, मासिक आधार पर सेतुभारतम प्रोग्राम के तहत परियोजनाओं की निगरानी करने की आवश्यकता है। बैठक में लंबित बुनियादी ढांचागत परियोजनाओं के समाधान के संबंध में कई मुद्दों पर विचार किया गया। बैठक में एक प्रमुख मुद्दा 187 राजमार्ग परियोजनाओं की बकाया वन मंजूरी से संबंधित उठा जिसके लिए अधिकारियों को तत्काल इसकी प्रक्रिया आरंभ करने का निर्देश दिया गया।
रेलमंत्री,वन मंत्री, राजमार्ग राज्य मंत्री ने बैठक में भाग लिया
इस मौके पर रेलमंत्री पीयूष गोयल, वन एवं जलवायु परिवर्तन तथा भारी उद्योग एवं लोक उपक्रम मंत्री प्रकाश जावड़ेकर, केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग राज्य मंत्री जनरल (सेवानिवृत्त) वी के सिंह ने बैठक में भाग लिया। इसके अलावा सड़क परिवहन एवं राजमार्ग, रेल, बिजली, पर्यावरण एवं वन मंत्रालयों, रेल बोर्ड, एनएचएआई के वरिष्ठ अधिकारियों तथा महाराष्ट्र, गुजरात, तमिलनाडु, केरल और कर्नाटक राज्यों के प्रतिनिधियों ने भी बैठक में भाग लिया।
रेलवे के पास 30 सड़क परियोजनाएं लंबित पड़ी
हाईलेवल बैठक में भारतीय रेलवे का भी मुद्दा उठा जिसके पास 30 सड़क परियोजनाएं लंबित पड़ी हैं। रेल मंत्री पीयूष गोयल ने दस दिन के भीतर इनका समाधान करने का आश्वासन दिया। साथ ही कहा कि आदर्श तरीका यह है कि रेल और राजमार्ग परियोजनाओं को एक दूसरे के समानांतर संचालित होना चाहिए। अनुपातों में अंतर होने के कारण कभी-कभार वे एक दूसरे से अलग हो जाते हैं। लेकिन, एक साथ मिलकर ये दोनों निकाय कई परियोजनाओं का निर्माण कर सकते हैं।
अब हर महीने बैठक करेंगे रेल,वन व सड़क के अधिकारी
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने विभिन्न मंत्रालयों के वरिष्ठ स्तर के अधिकारियों के बीच बैठकों द्वारा बकाया मुद्दों पर प्रगति को लेकर संतोष जताया। साथ ही कहा, वह हमेशा महसूस करते हैं कि लिखित रूप से पत्राचार करने पर समय एवं ऊर्जा नष्ट करने से बेहतर है कि हमेशा एकजुट होकर बैठें और एक दूसरे के सामने मुद्दों का समाधान करें। उन्होंने निर्देश दिया कि अबसे रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष, वन महानिदेशक और सड़क महानिदेशक के बीच एक संयुक्त बैठक हुआ करेगी। इसके लिए प्रत्येक महीने एक बैठक करने से कई सारे मुद्दों का समाधान हो जाएगा।