नई दिल्ली, 26 जून(ब्यूरो)माना जाता है कि बच्चे हमारा आने वाला भविष्य है। लेकिन दुर्भाग्य की बात है कि हम अपने भविष्य को बुनियादी सुविधाएं भी नहीं दे पा रहे हैं। आज भी देश के अधिक्तर स्कूलों में बच्चे बिजली,पानी और शौचालय जैसी सुविधाओं के अभाव में ही पढ़ाई करने को मजूबर है। राईट टू एजुकेशन 2009 को लागू हुए तीन साल बीच चुके है परंतु इस एक्ट के तहत निशुल्क एवं गुणवत्तायुक्त शिक्षा के मौलिक अधिकार बच्चों को नहीं मिल पा रहे हैं। इन सब बातों का खुलासा क्राई नामक एक संस्था ने एक अध्ययन के तहत एकत्रित किए गए आकड़ों में किया है। क्राई-चाइल्ड राइट्स एंड यू नामक संस्था ने देश के 13 राज्यों के 71 जिलों और दिल्ली,कोलकाता,मुम्बई और हैदराबाद जैसे महानगरों में अध्ययन कराया गया है।
क्राई ने परियोजना भागीदारों और स्वंयसेवकों द्वारा लर्निंग ब्लॉक्स नामक से यह अध्ययन कराया है। निष्कर्ष से खुलासा हुआ है कि स्कूल ढांचे,मौसम के अनुरूप इमारत,शौचालय और पेयजल सुविधाओं,चारदीवारी,छात्र शिक्षक अनुपात और वन-क्लासरूम-वन-टीचर प्रणाली जैसी जरूरी व्यवस्थाएं शत प्रतिशत अनुपालन में नहीं हैं।
क्राई की मुख्य कार्यकारी अधिकारी पूजा मारवाहा ने बताया कि सुरक्षित कक्षाओं,बिजली,स्वच्छ जल और चालू शौचालय के बगैर स्कूल में बच्चों के लिए शिक्षा की उम्मीद नहीं की जा सकती है। क्राई का अनुभव इस तथ्य से जुमीनी तौर पर जुड़ा हुआ है कि बुनियादी ढंाचे का अभाव,खासतौर पर पेयजल और लड़कियों के लिए अलग शौचालय जैसी सुचिधाओं का अभाव उन कारकों में प्रमुख तौर पर शामिल हैं,जिन्हें बच्चों को स्कूल से दूर रहने के लिए जिम्मेदार माना जाता है।